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पाकिस्‍तान से प्रेम पड़ा भारी! तुर्की की नाक के नीचे उसके ही दुश्‍मन ग्रीस के साथ भारतीय नौसेना का युद्धाभ्‍यास  ​​​​​​​

ग्रीस की नौसेना के साथ युद्धाभ्यास सामान्य बात नहीं है. दरअसल तुर्की और ग्रीस के बीच विवाद काफी पुराना है. दोनों देशों के बीच बॉर्डर से लेकर हवाई क्षेत्रों तक विवाद बहुत गहरा है.

पाकिस्‍तान से प्रेम पड़ा भारी! तुर्की की नाक के नीचे उसके ही दुश्‍मन ग्रीस के साथ भारतीय नौसेना का युद्धाभ्‍यास  ​​​​​​​
  • भारतीय नौसेना ने ग्रीस की नौसेना के साथ द्विपक्षीय युद्धाभ्यास के लिए आईएनएस त्रिकंद को सलामिस खाड़ी भेजा है.
  • तुर्की और ग्रीस नाटो के सदस्य हैं, फिर भी दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं और कई तरह के सीमाई विवाद हैं.
  • तुर्की हमेशा से पाकिस्‍तान का भी समर्थक रहा है और ऑपरेशन सिंदूर में भी उसने खुलकर भारत के दुश्मन की मदद की थी.
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भारतीय नौसेना एक रणनीतिक कदम के तहत ग्रीस की नौसेना के साथ पहली बार द्विपक्षीय युद्धाभ्यास कर रही है. इस साझा अभ्यास के लिए भारतीय नौसेना का स्टेल्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंद 13 सितम्बर को ग्रीस की सलामिस खाड़ी पहुंचा है. ऐसा नहीं है कि ग्रीस की नौसेना के साथ भारतीय नौसेना का युद्धाभ्यास पहली बार हो रहा हो, लेकिन अब तक यह युद्धाभ्यास हमेशा पासेक्स युद्धाभ्यास होता था यानी किसी मित्र देश की सीमा के करीब से गुजरते हुए युद्धाभ्यास. 

क्यों अहम है भारत का कदम?

यूं तो किसी देश के साथ युद्धाभ्यास सामान्य सी बात लगती है, लेकिन ग्रीस की नौसेना के साथ युद्धाभ्यास सामान्य बात नहीं है. दरअसल तुर्की और ग्रीस के बीच विवाद काफी पुराना है. दोनों देशों के बीच सीमावर्ती लेकर हवाई क्षेत्रों तक विवाद इतना गहराया है कि कभी भी दो-दो हाथ हो सकते हैं. तुर्की और ग्रीस नाटो के सदस्य हैं, फिर भी दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं.   ऐसे में भारत का ग्रीस के साथ युद्धाभ्यास करना रणनीतिक दृष्टि से एक सोचा समझा कदम है. साफ है कि भारत यहां दुश्मन का दुश्मन दोस्त की रणनीति अपना रहा है. 

भारतीय नौसेना के ग्रीस के साथ युद्धाभ्यास से तुर्की को मिर्च लगना लाजिमी है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की ने किस कदर पाकिस्तान की खुलकर मदद की थी. भारत के खिलाफ पाकिस्तानी सेना, तुर्की के ड्रोन्स का प्रयोग कर रही थी. यह अलग बात है कि तुर्की की यह मदद के बावजूद पाकिस्तानी सेना भारत का बाल भी बांका नहीं कर सकी और ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. सामरिक मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत ने तुर्की को चिढ़ाने के लिये ही ग्रीस की नौसेना के साथ भूमध्यसागर में अपना दमखम दिखाने का फैसला किया है. 

युद्धाभ्यास में क्या होगा?

ग्रीस के साथ यह युद्धाभ्यास 18 सितंबर तक चलेगा. अभ्यास का मकसद सामरिक कौशल को बढ़ाना और आपसी अंतर संचालन क्षमता को मजबूती देना है. इस सैन्य अभ्यास के जरिये  दोनों देशों की नौसेनाएं अपने युद्धकौशल को और बेहतर करेंगी और साझा सैन्य अभियानों संबंधी तालमेल को गहरा करेंगी. सलामिस खाड़ी पर पोर्ट कॉल के दौरान आईएनएस त्रिकंद कई  गतिविधियों में हिस्सा लेगा. इन सभी गतिविधियों का मकसद द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग एवं सहभागिता को और मजबूत करना है. 

इन गतिविधियों में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात, योजना बनना, चर्चा करना, क्रॉस-डेक विजिट और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी गतिविधियां शामिल होंगी. शुरुआती कार्यक्रमों के बाद अभ्यास का सामुद्रिक चरण आयोजित किया जाएगा. इस सामरिक कवायद से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे. इससे पहले ग्रीस में ही आयोजित मल्टी नेशनल वायुसेना के अभ्यास इनियोचोस में भारतीय वायुसेना ने हिस्सा लिया था. इसी साल जून में भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयरचीफ मार्शल ए पी सिंह ने भी ग्रीस का दौरा किया था. 

कश्‍मीर पर पाक के साथ तुर्की

कश्मीर पर भी तुर्की की पाकिस्तान परस्ती साफतौर पर दिखती रही है. लेकिन इसके बावजूद भारत ने तुर्की से संबंध सुधारने की पहल की. खासकर जब तुर्की में भूकंप आया तो भारत ने आगे बढ़कर वहां राहत सामग्री भेजी लेकिन तुर्की इस्लामी ब्रदरहुड के चक्कर में हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा. न सिर्फ उसे हथियार दिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का विरोध करने से बाज नहीं आया. ऐसे में लगता यही है कि भारत ने भी ठान लिया है कि तुर्की के दुश्मन के अपने संबध बेहतर करके उसे सबक सिखाना है. 

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