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सेना और नौसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास ‘जल प्रहार 25’ हुआ खत्म

यह अभ्यास दो चरणों में हुआ. पहला चरण ‘हार्बर फेज़’ 16 से 20 सितम्बर तक विशाखापत्तनम में आयोजित किया गया. इस दौरान थल सेना के जवानों को नौसेना के आईएनएस घड़ियाल पर तैनात कर जहाज पर जीवन और सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण दिया गया.

सेना और नौसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास ‘जल प्रहार 25’ हुआ खत्म
  • भारतीय सेना और नौसेना ने पूर्वी समुद्री तट पर द्विवार्षिक युद्धाभ्यास 'जल प्रहार 25' सफलतापूर्वक संपन्न किया
  • अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच संचालन क्षमता, युद्धकौशल और बेहतर तालमेल को परखना तथा मजबूत बनाना था
  • पहला चरण विशाखापत्तनम में हुआ जिसमें थल सैनिकों को नौसेना जहाज पर जीवन और सुरक्षा प्रशिक्षण दिया गया
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नई दिल्ली:

भारतीय सेना और नौसेना ने पूर्वी समुद्री तट पर संयुक्त द्विवार्षिक युद्धाभ्यास ‘जल प्रहार 25' को सफलतापूर्वक संपन्न किया. भूमि और जल दोनों मोर्चों पर किए गए इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल, संचालन क्षमता और युद्धकौशल को परखना तथा और मजबूत बनाना रहा.

यह अभ्यास दो चरणों में हुआ. पहला चरण ‘हार्बर फेज़' 16 से 20 सितम्बर तक विशाखापत्तनम में आयोजित किया गया. इस दौरान थल सेना के जवानों को नौसेना के आईएनएस घड़ियाल पर तैनात कर जहाज पर जीवन और सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण दिया गया. सैनिकों को समुद्री संचालन की बारीकियों से परिचित कराया गया. साथ ही खेलकूद और संवाद जैसी गतिविधियों के माध्यम से नौसैनिकों और थल सैनिकों के बीच आपसी तालमेल को भी और गहरा किया गया.

इसके बाद दूसरा चरण ‘सी फेज़' 21 से 23 सितम्बर तक कोच्चि के काकीनाड़ा तट पर चला. इसमें लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट और बीएमपी वाहनों का उपयोग कर समुद्र तट पर ‘हार्ड बीचिंग' का अभ्यास किया गया. इसके अलावा दोनों सेनाओं की साझा मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) का सफल परीक्षण कर उनकी प्रभावशीलता को परखा गया.

‘जल प्रहार 25' ने स्पष्ट किया कि भारतीय सेना और नौसेना की संयुक्त क्षमताएं न केवल समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करती हैं, बल्कि किसी भी आपात स्थिति में समन्वित और तेज कार्रवाई करने की उनकी तैयारियों को भी मजबूत करती हैं. यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच सहयोग और विश्वास को नई ऊंचाई प्रदान करता है.

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