भारतीय सेना सिर्फ युद्ध के मैदान में ही अपनी छाप नहीं छोड़ती, बल्कि शांति काल में भी लोगों का दिल जीत लेती है. देश को जब भी कोई जरूरत पड़ती है तो सेना संकटमोचक की तरह सामने आकर खड़ी हो जाती है. सेना हर जगह मदद के लिए आ खड़ी होती है चाहे वह कोई प्राकृतिक हादसा हो या इंसानी भूल. अब इसी कड़ी में इंटरनेशनल मदर्स डे के अवसर पर भारतीय सेना ने "मां-पहली रक्षक" थीम को ध्यान में रखते हुए उत्तर पूर्वी राज्यों में कई आयोजन किए. माताओं के अमूल्य योगदान को सम्मान देते हुए भारतीय सेना ने समाज के विभिन्न समुदायों तक अपनी पहुंच बढ़ाई.
इसके साथ ही, मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में भारतीय सेना ने चल रहे सामुदायिक संघर्षों से प्रभावित 14 माताओं और उनके नवजात शिशुओं को आवश्यक चिकित्सा सहायता और शिशु देखभाल किट दिए. सेना के चिकित्सा अधिकारियों ने माताओं और शिशुओं की स्वास्थ्य जांच भी की. इसके अलावा, इम्फाल पूर्वी जिले में भारतीय सेना ने इंटरैक्टिव सत्रों और मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से मातृ प्रेम के महत्व पर जोर दिया.
भारतीय सेना की ओर से कहा गया है कि इस तरह के आयोजन का मकसद लोगों के बीच मां के महत्व को उजागर करना है. इन इंटरैक्शन का उद्देश्य उत्तर पूर्वी राज्यों में समुदायों के भीतर उज्ज्वल संभावनाओं को बढ़ावा देने और लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए माताओं के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करना है.
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