
S-400 Air Defense Systems: पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को मिली अभूतपूर्व सफलता के बाद भारत रूस से इस वायु रक्षा प्रणाली के और सिस्टम्स खरीद सकता है. रूसी समाचार एजेंसी तास ने एक खबर में इसका खुलासा किया है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 ने पाकिस्तान की कमर तोड़ने में कमाल का काम किया था. खुद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शन एपी सिंह ने कहा था कि एस-400 ने 300 किलोमीटर दूर से ही पाकिस्तानी लड़ाकू विमान और अवॉक्स को मार गिराया था. हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भा कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से प्रेरणा लेकर हमने दुश्मन के हमलों को नाकाम किया. साथ ही उन्होंने कहा था कि अब देश सुदर्शन चक्र मिशन लॉन्च करेगा.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 ने दिखाई अपनी ताकत
एस-400 एक पावरफुल वेपन सिस्टम है, जो दुश्मन के हमने से बचाव कर उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए जबरदस्त हमला भी करता है. इस लिहाज से देश के लिये S-400 वेपन सिस्टम काफी जरूरी हो जाता है. भारत ने साल 2018 में चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रूस से लॉन्ग-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम S-400 खरीदने का बड़ा निर्णय लिया था. यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी तरह सही साबित हुआ, जब पाकिस्तान के हवाई हमलों को भारत की एस-400 बैटरी ने आसमान में ही नष्ट कर दिया था.
भारत के पास अभी तीन स्क्वाड्रन
इसी ऑपरेशन के साथ S-400 का कॉम्बैट डेब्यू भी हो गया. हलांकि भारत ने रूस से कुल 5 यूनिट्स की डील की थी, लेकिन अब तक केवल तीन स्क्वाड्रन ही भारतीय वायुसेना को मिल पाई हैं. पहली स्क्वाड्रन – दिसंबर 2021 में मिली तो दूसरी स्क्वाड्रन – अप्रैल 2022 में और तीसरी फरवरी 2023 में मिली हैं. ये स्क्वाड्रन क्रमशः आदमपुर (पंजाब), पूर्वी सेक्टर और पश्चिमी सेक्टर में तैनात की गई हैं.
सूत्रों के मुताबिक चौथी यूनिट 2026 में और अंतिम पांचवी यूनिट 2027 तक भारत को मिलने की संभावना है. अगर एस-400 की खासियतों की बात करें तो यह 600 किलोमीटर तक दुश्मन की आसमानी गतिविधियों पकड़ने की क्षमता रखता है . साथ ही यह सिस्टम एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों पर नज़र रख सकता है.
400 किलोमीटर की दूरी तक वार की क्षमता
एस-400 की मदद से 400 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मन के एयर एसैट्स को गिराने की क्षमता रखता है. एस-400 बॉम्बर, फाइटर जेट, ड्रोन, अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट और बैलिस्टिक मिसाइल तक को ध्वस्त कर सकता है . इसमें मल्टी-रेंज मिसाइलें तैनात होती हैं. एस-400 की एक रेजिमेंट में 8 लॉन्च व्हीकल होते है . प्रत्येक में 4 मिसाइल ट्यूब यानी 32 मिसाइलों के साथ-साथ कमांड-एंड-कंट्रोल और एडवांस राडार भी होता है.
2018 में भारत ने 39 हजार करोड़ रुपए में किया था डील
भारत ने 2018 में इस सौदे पर 39,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे. अब एस-400 की बची हुई दो स्क्वाड्रन की तैनाती के बाद भारत की वायु रक्षा क्षमता और भी अभेद्य हो जाएगी. आधुनिक युद्धों में दुशमन के किसी भी हवाई हमले को आसानी से विफल करने के लिए ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम बेहद ज़रूरी है. जिस तरह इज़रायन ने अपने आयरन डोम के जरिये हमास के हमले को नाकाम किया, ठीक वैसे ही भारत ने एस-400 के दम पर पाकिस्तान को दिन में ही तारे दिखा दिए.
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