भारत ने मंगलवार को ईरान के राजदूत अली चेगेनी को तलब किया और दिल्ली हिंसा के बारे में ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ द्वारा की गई टिप्पणी पर कड़ा विरोध जताया. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ईरान के राजदूत को यह बताया गया कि जरीफ ने जिस मामले पर टिप्पणी की, वह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है. सूत्रों ने कहा, ‘दिल्ली में ईरान के राजदूत को मंगलवार को तलब किया गया और जरीफ द्वारा भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी किए जाने पर कड़ा विरोध जताया गया.'
जरीफ ने सोमवार को अपने ट्वीट कहा था, 'भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ संगठित रूप से की गई हिंसा की ईरान भर्त्सना करता है. सदियों से ईरान भारत का मित्र रहा है. हम भारतीय अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वे सभी भारतीयों की सलामती सुनिश्चत करें और निरर्थक हिंसा को फैलने से रोकें. आगे बढ़ने का मार्ग शांतिपूर्ण संवाद और कानून का पालन करने से प्रशस्त होगा.'
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वहीं, दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर उच्चतम न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दायर की है और जिनेवा में भारत के स्थायी दूतावास को इसकी जानकारी दी है. विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी. मंत्रालय ने कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है और यह कानून बनाने वाली भारतीय संसद के संप्रभुता के अधिकार से संबंधित है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'जिनेवा में हमारे स्थायी दूतावास को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख (मिशेल बैश्लेट) ने सूचित किया कि उनके कार्यालय ने सीएए, 2019 के संबंध में भारत के उच्चतम न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है.' उन्होंने कहा, “हमारा स्पष्ट रूप से यह मानना है कि भारत की संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर किसी विदेशी पक्ष का कोई अधिकार नहीं बनता है.” कुमार ने कहा कि भारत का रुख स्पष्ट है कि सीएए संवैधानिक रूप से वैध है और संवैधानिक मूल्यों का अनुपालन करता है.
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