जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने शुक्रवार को कहा कि भारत मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए एक ‘अपरिहार्य' भागीदार है और टोक्यो दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को गहरा करने के लिए नई दिल्ली के साथ सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है. ‘ग्लोबल साउथ' (दक्षिण एशिया के विकासशील देश) पर भारत के ध्यान केंद्रित किए जाने की सराहना करते हुए हयाशी ने कहा कि स्वतंत्र और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का आह्वान तब तक सिर्फ एक नारे की तरह लग सकता है, जब तक कि विकासशील देशों के सामने पेश आने वाली चुनौतियों का हल तलाशने के लिए पर्याप्त प्रतिबद्धता न हो. हयाशी भारत के दो दिवसीय दौरे पर बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली पहुंचे थे.
अनंत सेंटर और विदेश मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को आयोजित भारत-जापान मंच को संबोधित करते हुए हयाशी ने कहा कि साइबर और अंतरिक्ष जैसे नये क्षेत्रों में भारत-जापान पहल पर प्रगति हुई है तथा रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी सरीखे क्षेत्रों में ‘पर्याप्त सहयोग' को साकार करने की दिशा में चर्चा जारी है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कार्यक्रम में भारत में विभिन्न क्षेत्रों में जापान के सहयोग के बारे में विस्तार से बताया और सेमीकंडक्टर क्षेत्र को सहयोग के संभावित क्षेत्रों में से एक के रूप में चिह्नित किया.
जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जापान ने वास्तव में इस देश में कई क्रांति की शुरुआत की है. मारुति क्रांति है, जो जहां यह सिर्फ सुजुकी कार के आने के बारे में नहीं थी, यह केवल एक कार के आने के बारे में नहीं थी, यह वास्तव में एक पूरी जीवनशैली के लिए एक तरीका था, यह एक सोच थी, यह एक औद्योगिक संस्कृति थी.''
जयशंकर ने कहा, ‘‘दूसरी क्रांति मेट्रो क्रांति थी. मुझे लगता है कि इसका भारत के शहरी बुनियादी ढांचे पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है.''
मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘तीसरी क्रांति की प्रक्रिया जारी है, जो हाई-स्पीड रेल है. इसलिए मुझे लगता है कि जब हम इस परियोजना को पूरा करेंगे, तो लोग भारत में देखेंगे कि इसका कितना बड़ा प्रभाव है.''
जयशंकर ने कहा कि चौथी क्रांति उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग के रूप में होगी.
जयशंकर ने अपने संबोधन में जापान को भारत का स्वाभाविक साझेदार करार दिया.
आतंकवाद के खतरे पर एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि ‘मूल कारणों और मूल देशों' को जानना महत्वपूर्ण है.
ताइवान जलडमरूमध्य में संभावित युद्ध की स्थिति में जापान के साथ सहयोग करने के भारत के विकल्पों को लेकर एक सवाल किया गया क्योंकि साझेदारी की ताकत का परीक्षण ऐसे कठिन समय में किया जाता है, लेकिन जयशंकर ने कहा कि वह इस सवाल से असहमत हैं.
जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह वास्तव में शांतिकाल का सहयोग है, जब आपकी परीक्षा होती है क्योंकि यदि आप रिश्ते बनाने और क्षमताओं व संरचनाओं को स्थापित करने के लिए हर रोज काम नहीं करते हैं, तो जब कुछ अधिक गंभीर स्थिति आती है... अगर मैं एक अच्छे दिन को नहीं संभाल सकता, तो मैं एक कठिन दिन को कैसे संभालूंगा.''
यह पूछे जाने पर कि हिंद-प्रशांत या भारत-चीन सीमा पर संघर्ष की स्थिति में भारत को जापान किस तरह का समर्थन देगा. इसके जवाब में हयाशी ने रक्षा क्षेत्र में टोक्यो और नई दिल्ली के बीच बढ़ती भागीदारी का उल्लेख किया और सुझाव दिया कि इस तरह के सहयोग से भविष्य की किसी भी संभावित चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी.
हयाशी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी में कहा, “ऐसे समय में, जब यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता सहित कई गंभीर चुनौतियां हैं, जापान और भारत दुनिया को विभाजन और टकराव के बजाय सहयोग की ओर ले जाने की आवश्यकता को पूरी तरह से समझते हैं.”
उन्होंने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में कहा, “कानून के शासन पर आधारित खुली एवं स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था ऐसी दुनिया के सपने को साकार करने के लिए अहम है.”
हयाशी ने विस्तार से समझाया कि ‘स्वतंत्र' का अर्थ यह है कि प्रत्येक देश अपनी संप्रभुता के आधार पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हों और ‘खुले' का मतलब समावेशन, खुलेपन और विविधता जैसे सिद्धांतों के प्रति सम्मान से है.
उन्होंने कहा, “यह अहम है कि हम मूल्यों को थोपने या कुछ देशों को अलग-थलग करने से बचें. यह अवधारणा छोटे देशों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. भारत के साथ समन्वय में जापान ‘खुले और स्वतंत्र हिंद प्रशांत‘ या एफओआईपी को साकार कर ऐसी अवधारणा को मूर्त रूप देने का इरादा रखता है.”
मार्च में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने नई दिल्ली में एफओआईपी को लेकर टोक्यो की नई योजना की घोषणा की थी.
हयाशी ने कहा, “यह तथ्य अपने आप में जापान द्वारा भारत को दिए जाने वाले महत्व का साक्ष्य है, क्योंकि आपका देश एफओआईपी यानी एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद प्रशांत को प्राप्त करने में अपरिहार्य भागीदार है.”
उन्होंने मई में हिरोशिमा में हुए जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि समूह और भारत तथा यूक्रेन जैसे आमंत्रित देशों के नेता इस बात पर सहमत हुए थे कि कहीं भी बलपूर्वक यथास्थिति बदलने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
जापानी विदेश मंत्री ने कहा कि जापान का एफओआईपी स्पष्ट करता है कि दक्षिण एशिया प्रमुख क्षेत्रों में से एक है.
भारत की जी-20 अध्यक्षता पर उन्होंने कहा कि सितंबर में नई दिल्ली में प्रस्तावित समूह के शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए टोक्यो भारत के साथ मिलकर काम करने को लेकर बहुत उत्सुक है.
हयाशी ने कहा, “भारत की जी-20 अध्यक्षता का विषय ‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य' है. प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी ने इस विषय का अर्थ समझाते हुए कहा था कि हमें शून्य-योग सोच से बाहर निकलने की जरूरत है. उन्होंने मानव जाति के अलावा पृथ्वी के साथ सद्भाव कायम करने का आह्वान किया है.”
उन्होंने कहा, “जी-20 के विषय का अर्थ जापान के एफओआईपी के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो गहराते विभाजन और टकराव के समय सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करता है. हम क्षेत्र और उससे आगे के बेहतर भविष्य के लिए सद्भाव और सहयोग की भावना से भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना जारी रखने के लिए तत्पर हैं.”
द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों की चर्चा करते हुए हयाशी ने कहा कि जापान अपनी कंपनियों को भारत में निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री किशिदा ने 2022 से अगले पांच वर्षों के लिए जापान से भारत में 50 खरब येन के सरकारी एवं निजी निवेश तथा वित्तपोषण का लक्ष्य निर्धारित किया है. साथ ही, हम भारतीय बाजार में जापानी कंपनियों के सामने पेश आने वाली कठिनाइयों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे.”
हयाशी ने जापान द्वारा पिछले महीने अपने ‘विकास सहयोग चार्टर' को संशोधित किए जाने का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि यह विकास सहयोग पर तोक्यो का बुनियादी दस्तावेज है.
जापानी विदेश मंत्री ने कहा, “नया चार्टर जापान को खाद्य एवं ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सामने आने वाली विकास चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटने में सक्षम बनाएगा.”
उन्होंने कहा, “संशोधित चार्टर के तहत हम भारत में हाई-स्पीड रेल और शहरी परिवहन सहित गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयास जारी रखेंगे.”
मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड भारत-जापान बुलेट ट्रेन परियोजना पर हयाशी ने कहा कि इससे परिवहन सेवा में सुधार के साथ-साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, “हमें वास्तव में उम्मीद है कि इस हाई-स्पीड रेल परियोजना के पूरा होने से भारत के आर्थिक विकास को गति मिलेगी.”
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