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This Article is From Jan 17, 2024

भारतीय छात्र राजनीतिक विवाद के बीच छोड़ रहे कनाडा, मंत्री बोले- 86% की आई गिरावट

कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने एक इंटरव्यू में कहा, उनका मानना ​​है कि भारतीय छात्रों के स्टडी परमिट (India Canada Row) की संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना नहीं है.

भारतीय छात्र राजनीतिक विवाद के बीच छोड़ रहे कनाडा, मंत्री बोले-  86% की आई गिरावट
कानाड में जाने वाले भारतीय छात्रों में आई कमी.(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

भारत से चल रहे राजनयिक विवाद के बीच भारतीय छात्रों के कनाडा (India Canada Diplomatic Row) छोड़ने की खबरें सामने आ रही हैं. कनाडा के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि भारतीय छात्रों को कनाडा की तरफ से स्टडी परमिटों (Canada Study Permits) की संख्या में तेजी से गिरावट आई है. भारत ने परमिट की प्रक्रिया करने वाले कनाडाई राजनयिकों को कनाडा वापस भेज दिया. वहीं खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या पर राजनयिक विवाद की वजह से बहुत ही कम भारतीय छात्रों ने कनाडा जाने के लिए आवेदिन दिया. ये बात एक शीर्ष अधिकारी ने रॉयटर्स से कही.

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"भारतीय छात्रों के स्टडी परमिट जल्द बढ़ने की संभावना नहीं"

इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने एक इंटरव्यू में कहा, उनका मानना ​​है कि भारतीय छात्रों के स्टडी परमिट की संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना नहीं है.  कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के जून में यह कहने के बाद राजनयिक तनाव पैदा हो गया कि ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के सबूत हैं. मार्क मिलर ने कहा, "भारत के साथ हमारे रिश्तों की वजह से वास्तव में आवेदनों की क्षमता आधी हो गई है."

बता दें कि निज्जर की हत्या से पैदा हुए विवाद के बाद अक्टूबर में,  कनाडा को अपने 41 राजनयिकों और दो-तिहाई कर्मचारियों को भारत से वापस बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मंत्री के एक प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों के विवाद ने भारतीय छात्रों को दूसरे देशों में पढ़ने के लिए ऑप्शन दिया है.

"स्टडी परमिट में पिछली तिमाही की तुलना में 86% की गिरावट"

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत-कनाडा विवाद की वजह से पिछले साल की चौथी तिमाही में भारतीयों को जारी किए गए स्टडी परमिट में पिछली तिमाही की तुलना में 86% की गिरावट आई, जो 108,940 से घटकर 14,910 रह गई. ओटावा में भारतीय उच्चायोग के काउंसलर सी. गुरुस उब्रमण्यम ने कहा कि कनाडा की कुछ जगहों पर रहने और शिक्षण सुविधाओं की कमी की वजह से भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा के अलावा अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.

बता दें कि पिछले कुछ सालों में भारतीयों ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा ग्रुप बनाया है. साल 2022 में 41% से अधिक - या 225,835, ये सभी परमिट उन्हें साल 2022 में दिए गए थे. मार्क मिलर ने कहा, "मैं आपको यह नहीं बता सकता कि राजनयिक संबंध कैसे विकसित होंगे, खासकर अगर पुलिस को आरोप लगाना पड़े." 

निज्जर हत्या विवाद के बीच घटी भारतीय छात्रों की तादाद

कनाडाई विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की वजह से हर साल करीब 22 बिलियन कनाडाई डॉलर की कमाई होती है, अब छात्रों का कम होना इन संस्थानों के लिए एक झटका है. कनाडा ने जून में कहा था कि खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के "विश्वसनीय" सबूत हैं, लेकिन भारत ने उस आरोपों को ख़ारिज कर दिया. कनाडाई अधिकारियों ने अभी तक हत्या के लिए किसी पर आरोप नहीं लगाया है.

कनाडाई सरकार भी उनके देश में आवास की कमी की प्रतिक्रिया के रूप में, देश में आने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की कुल संख्या को कम करने की मांग कर रही है. मिलर ने कहा, "अभी हमारे सामने बड़ी संख्या में आने वाले छात्रों की चुनौती है. यह नियंत्रण से बाहर हो गया है और थोड़े समय के लिए इसे कम करने की जरूरत है."

मार्क मिलर ने कहा कि सरकार इस साल की पहली छमाही के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या कम करने के लिए संभावित सीमा सहित अन्य उपाय पेश करेगी. बता दें कि कनाडा अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक लोकप्रिय जगह है, क्योंकि यहां पर पढ़ाई खत्म करने के बाद वर्क परमिट पाना थोड़ा आसान है. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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