विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) की 12वीं मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस (12th Ministerial Conference) में इस बार कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य सामग्री की उपलब्धता में कमी और उनकी बढ़ती कीमतों को लेकर बढ़ती चिंता पर मंथन चल रहा है. भारत के लिए इस बार सबसे अहम मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भारत के खाद्यान्न खरीद कार्यक्रम के प्रोटेक्शन से जुड़ा हुआ है. भारत खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग (Public Stockholding) के मुद्दे का स्थायी समाधान चाहता है.
विश्व व्यापार संगठन (WTO) की बारहवीं मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस में खाद्य सुरक्षा के मसले पर भारत समेत विकासशील देशों और विकसित देशों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. डब्लूटीओ में जिन मुद्दों पर नेगोशिएशन चल रहा है उनमें खाद्य सुरक्षा का मुद्दा अहम है. एक महत्वपूर्ण मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भारत के खाद्यान्न खरीद कार्यक्रम के प्रोटेक्शन से जुड़ा है. भारत का स्टैंड है कि एमएसपी व्यवस्था में किसानों से एडमिनिस्टर्ड निर्धारित कीमतों पर खरीद शामिल है और यह देश में किसानों और उपभोक्ताओं को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण है. डब्लूटीओ के नियम उस अनुदान सहायता (Subsidy) को सीमित करते हैं जो ऐसे उत्पादों की खरीद के लिए दी जाती है.
वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने डब्लूटीओ के प्लेनरी सेशन में कहा, "कोविड -19 महामारी ने एक बार फिर जनता की भलाई के लिए खाद्य भंडार की आवश्यकता और इसकी प्रभावशीलता को अहम बनाया है. सन 2013 में बाली मंत्रिस्तरीय निर्णय के बाद, 2014 में सामान्य परिषद ने सार्वजनिक खाद्य पदार्थों के मुद्दे पर स्थायी समाधान अनिवार्य कर दिया. इसमें पहले से ही देरी हो चुकी है. नए क्षेत्रों में जाने से पहले बारहवीं मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. दुनिया के लोगों के लिए इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है."
कृषि क्षेत्र में डब्लूटीओ के डायरेक्टर जनरल ने मई 2022 में कृषि, व्यापार और खाद्य सुरक्षा पर तीन नए मसौदे रखे हैं जिनमें वर्ल्ड फूड प्रोग्राम यानी विश्व खाद्य कार्यक्रम को निर्यात प्रतिबंधों से छूट देने का प्रस्ताव शामिल है. साथ ही कृषि उत्पाद के निर्यात पर प्रतिबंध की जानकारी पहले से सदस्य देशों को देनी होगी. भारत का आरोप है कि ये तीनों मसौदे विकासशील और गरीब देशों के पक्ष में नहीं हैं.
भारत नाराज है कि डब्लूटीओ कोरोना महामारी की चुनौती से निपटने में नाकाम साबित हुआ है. वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने कहा, "महामारी ने "एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य" के महत्व को सुदृढ़ किया, वैश्विक एकजुटता और सामूहिक कार्रवाई का संदेश दिया. दुर्भाग्य से, विश्व व्यापार संगठन तत्परता से प्रतिक्रिया नहीं दे सका. हमने अल्पविकसित और विकासशील देशों के लोगों को निराश किया है ... समय पर महामारी का जवाब देने में असमर्थता के लिए हमें अपना सिर शर्म से झुकाने की जरूरत है."
यह भी पढ़ें -
WTO की बैठक में भारत को खाद्य भंडारण संबंधी प्रावधान में बदलाव की उम्मीद
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं