विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर हाल में हुई भारत-चीन सैन्य वार्ता ‘‘रचनात्मक'' थी और दोनों पक्ष शेष मुद्दों का समाधान ‘‘तेज गति से करने पर'' सहमत हुए. भारतीय सेना द्वारा 12वें दौर की सैन्य वार्ता के दो दिन बाद सोमवार को यहां जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों पक्षों के बीच सैनिकों को पीछे हटाने के मुद्दे पर विचारों का व्यापक आदान-प्रदान हुआ तथा बैठक से पारस्परिक समझ और मजबूत हुई. ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत-चीन सैन्य वार्ता के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने वार्ता के बाद जारी किए गए बयान का जिक्र किया और कहा कि यह संयुक्त प्रेस वक्तव्य था.
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उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि उसमें (बयान) उल्लेख था, वार्ता स्पष्ट और रचनात्मक थी. दोनों पक्ष शेष मुद्दों का समाधान मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुरूप तेज गति से करने तथा संवाद और चर्चा में गति बनाए रखने पर सहमत हुए. जब हमें और जानकारी मिलेगी तो हम आपके साथ साझा करेंगे.''
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पांच मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में हुई हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर गतिरोध चला आ रहा है. इस घटना के बाद दोनों देशों ने सीमाओं पर हजारों अतिरिक्त सैनिक और भारी अस्त्र-शस्त्र तैनात कर दिए थे.
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वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर संवेदनशील क्षेत्र में दोनों देशों ने लगभग पचास-पचास हजार सैनिक तैनात कर रखे हैं. सिलसिलेवार सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने सैनिकों तथा अस्त्र-शस्त्रों को पीछे हटा लिया था.
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