विज्ञापन
This Article is From Aug 05, 2021

2012 का विवादित Retrospective टैक्स कानून खत्म करेगी सरकार, कैबिनेट ने दी मंजूरी

सरकार ने विवादास्पद Retrospective टैक्स कानून को रद्द करने का फैसला किया है. इस कानून की वजह से सरकार का वोडाफोन और केयर्न एनर्जी जैसी कंपनियों के साथ विवाद हुआ था.

2012 का विवादित Retrospective टैक्स कानून खत्म करेगी सरकार, कैबिनेट ने दी मंजूरी
भारत सरकार विवाविद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने जा रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

सरकार एक पूर्वव्यापी टैक्स कानून को खत्म करने जा रही है. 2012 के विवादित Retrospective टैक्स कानून के कारण केयर्न और वोडाफोन जैसी फर्मों ने मुकदमा दायर किया था. कैबिनेट ने 2012 के विवादास्पद कानून को पूर्ववत करने के लिए आज एक विधेयक को मंजूरी दी है. केंद्र भुगतान की गई राशि को बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है. भारत वोडाफोन के खिलाफ मुकदमा हार गया था और पिछले साल दिसंबर में एक अपील दायर की थी.

पूर्वव्यापी कर प्रावधान को हटाने के लिए नए विधेयक पर राजस्व सचिव तरुण बजाज ने एनडीटीवी से कहा कि टैक्सेशन लॉ अमेंडमेंट बिल भारत को एक बेहतर इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के तौर पर तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. Retrospective इफेक्ट से टैक्स न लगाने से जुड़े इस नए बिल के पारित होने पर हमें टैक्स विभाग से जुड़े 17 टैक्स विवाद से जुड़े मामले सुलझाने में मदद मिलेगी. इनमें से चार टैक्स विवाद के मामलों में अब तक करीब 8000 करोड़ रुपए कलेक्ट किए गए हैं. इस बिल के पारित होने के बाद भारत सरकार की टोटल फाइनेंशियल लायबिलिटी करीब आठ हजार करोड़ की होगी.

बताते चलें कि सितंबर में हेग में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया था कि वोडाफोन पर भारत की कर देयता, साथ ही ब्याज और दंड, भारत और नीदरलैंड के बीच एक निवेश संधि समझौते का उल्लंघन है.

एंटीलिया मामला : अनिल देशमुख के खिलाफ जांच कर रही सीबीआई ने उद्धव सरकार पर गंभीर आरोप लगाए

प्रस्तावित कानून यह भी बताता है कि केंद्र 2012 के कानून के तहत भुगतान की गई राशि बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है. इस मामले के कारण केयर्न और वोडाफोन जैसी फर्मों ने अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुकदमों का नेतृत्व किया था. सभी मुकदमों में भारत को हार का सामना करना पड़ा था.

दोनों निर्णयों में, नीदरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा कि भारत को "कथित कर देयता या किसी ब्याज और या दंड" की वसूली के लिए कोई और प्रयास नहीं करना चाहिए. भारत पिछले साल सितंबर में नीदरलैंड में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में वोडाफोन के खिलाफ मामला हार गया था.

सरकार ने 2007 में हचिसन व्हामपोआ से वोडाफोन की 11 अरब डॉलर की भारतीय मोबाइल संपत्ति के अधिग्रहण से संबंधित ₹ 11,000 करोड़ की कर मांग की थी. कंपनी ने इसका विरोध किया था और मामला कोर्ट में चला गया था. ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया था कि वोडाफोन पर कर देयता, साथ ही ब्याज और दंड लगाने से भारत और नीदरलैंड के बीच एक निवेश संधि समझौते का उल्लंघन हुआ है.

न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि सरकार को कानूनी लागत के आंशिक मुआवजे के रूप में कंपनी को 40 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना चाहिए. 2012 में, सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार प्रदाता के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन उस वर्ष बाद में सरकार ने नियमों को बदल दिया ताकि इसे कर सौदों में सक्षम बनाया जा सके जो पहले ही समाप्त हो चुके थे.

घर बैठे यूं ऑनलाइन खोलें SBI के साथ अपना फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट, जानें स्टेप-बाई-स्टेप तरीका

ब्रिटिश तेल प्रमुख केयर्न के खिलाफ आमने-सामने, अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने कहा कि भारत की पूर्वव्यापी कर की मांग "निष्पक्ष और न्यायसंगत उपचार की गारंटी के उल्लंघन में" है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com