Madhya Pradesh Flood: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में ग्वालियर-चंबल के इलाके में बारिश ने कहर बरपा दिया है. बांधों के गेट खोलने से सिंध और सीप नदी ने भारी तबाही मचाई है. आलम ये है दो दिनों में 6 पुल ढह चुके (Bridges Swept Away In Flood) हैं जिनमें से 4 का निर्माण पिछले 10-11 साल में ही हुआ था. सरकार ने अब इस मामले में जांच के लिये कमेटी बनाई है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है. मंगलवार को सिंध नदी के तेज पानी में रतनगढ़ वाली माता मंदिर का पुल टूटा तो बुधवार को दतिया जिले में सिंध नदी पर बना सेंवढ़ा पुल बह गया. 3 दिनों में भारी बारिश में मध्यप्रदेश में 33.55 करोड़ रुपये के पुल बह गये.
1) रतनगढ़-बसई का पुल 2010 में बन लागत थी 5.9 करोड़
2) इंदरगढ़-पिछोर का पुल 2013 में बना लागत थी 10 करोड़
3) दतिया-सेवढ़ा पर 1982 में पुल बना लेकिन लागत का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है
4) श्योपुर जिले में गिरधरपुर-मानपुर में 1985 में पुल बना इसका रिकॉर्ड नहीं है
5) श्योपुर-बड़ौदा पर 2013 में पुल बना लागत आई 3.94 करोड़
6) भिंड के गोरई-अडोखर में तो 2017 में 13.71 करोड़ से पुल बना था
मप्र में 3 दिन में 6 पुल बह गये, 4 की उम्र दस साल भी नहीं थी! #rain #Flood @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/POcVwlWEeX
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) August 5, 2021
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट पर लिखा प्रदेश के दतिया ज़िले में बारिश से रतनगढ़, लांच के बाद अब सनकुआं के पुल बहने की घटना बेहद गंभीर व चिंताजनक? कुछ ही वर्षों पूर्व, करोड़ों की लागत से बने यह पुल बारिश के पानी में पत्ते की तरह बह गये. कैसा निर्माण कार्य? इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच हो, जवाबदेही तय हो.
सरकार ने सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर की अध्यक्षता में जांच के लिये तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है, जिसे 7 दिनों में रिपोर्ट सौंपनी है. पीडब्लूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने एनडीटीवी से कहा "ये बात सही है कि भीषण क्षति ग्वालियर चंबल में हुई है... क्षति का बारिश जैसे ही समाप्त होती है पानी नीचे उतरता है आंकलन करा रहे हैं... पुल जो टूटे हैं उनका सर्वे करा रहे हैं... इंजीनियरों की कमेटी बनाई है जो पता करेगी कि डिजाइन में कोई कमी थी या गुणवत्ता में."
मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि और बाढ़ से शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, ग्वालियर, गुना, भिंड और मुरैना जिलों के कुल 1225 गांव प्रभावित हैं. अब तक श्योपुर जिले के 32 गांवों से 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है. इसी प्रकार शिवपुरी के 90 गांवों से 2000 और दतिया, ग्वालियर, मुरैना, भिंड के 240 गांवों से एसडीईआरएफ, एनडीईआरएफ, सेना और बीएसएफ ने मिलकर लगभग 5,950 लोगों को सुरक्षित निकालने में सफलता प्राप्त की है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा "नुकसान व्यापक हुआ है, ट्रांसफॉर्मर जल गये हैं, सड़क-पुल-पुलिया में हजारों करोड़ का नुकसान है, निजी नुकसान अलग है लेकिन हम सबको राहत देने की कोशिश में हैं."
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, "मध्य प्रदेश में इस साल पिछले 30 साल में सबसे भयंकर बाढ़ आई है, मैंने राज्यसभा में इस मसले को उठाया है और इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है."
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