अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अफगानिस्तान की यात्रा करेंगे। पिछले 6 माह में पीएम की यह दूसरी अफगानिस्तान यात्रा होगी। अपनी एक दिन की इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी वहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से बातचीत करेंगे और हेरात प्रांत में अफगानिस्तान-भारत मैत्री बांध का उद्घाटन करेंगे। इससे पहले इसे 'सलमा बांध' के नाम से जाना जाता था। यह बांध अफगानिस्तान की ईरान से लगी सीमा के बेहद नजदीक है और इसके निर्माण पर दो अरब डॉलर से अधिक की लागत आई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के अनुसार, मोदी और गनी के बीच मुलाकात अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने और कैसे दोनों देश उस देश में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने के लिए आगे सहयोग कर सकते हैं, इस पर विचार का अवसर प्रदान करेगी। गौरतलब है कि अफगानिस्तान चार जून से शुरू हो रही मोदी की पांच देशों की यात्रा का हिस्सा है। इसके तहत वह कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको भी जाएंगे।
बांध परियोजना को पूरा किया जाना बेहद कठिन परिस्थितियों में तकरीबन 1500 भारतीय और अफगान इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के कठोर परिश्रम को दर्शाता है, इस बात पर जोर देते हुए स्वरूप ने कहा कि यह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के प्रति भारत की सतत प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
उन्होंने कहा कि बांध 44000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करने में मदद करेगा। पाकिस्तान का परोक्ष तौर पर उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान में आतंकवाद और अस्थिरता को प्रोत्साहन देने वालों के विपरीत भारत काबुल के साथ हमेशा खड़ा रहा। पिछले साल, मोदी और राष्ट्रपति गनी ने संयुक्त रूप से नए संसद भवन को अफगान राष्ट्र को समर्पित किया था। इसका निर्माण भारत-अफगानिस्तान सहयोग के तहत किया गया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के अनुसार, मोदी और गनी के बीच मुलाकात अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने और कैसे दोनों देश उस देश में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने के लिए आगे सहयोग कर सकते हैं, इस पर विचार का अवसर प्रदान करेगी। गौरतलब है कि अफगानिस्तान चार जून से शुरू हो रही मोदी की पांच देशों की यात्रा का हिस्सा है। इसके तहत वह कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको भी जाएंगे।
बांध परियोजना को पूरा किया जाना बेहद कठिन परिस्थितियों में तकरीबन 1500 भारतीय और अफगान इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के कठोर परिश्रम को दर्शाता है, इस बात पर जोर देते हुए स्वरूप ने कहा कि यह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के प्रति भारत की सतत प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
उन्होंने कहा कि बांध 44000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करने में मदद करेगा। पाकिस्तान का परोक्ष तौर पर उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान में आतंकवाद और अस्थिरता को प्रोत्साहन देने वालों के विपरीत भारत काबुल के साथ हमेशा खड़ा रहा। पिछले साल, मोदी और राष्ट्रपति गनी ने संयुक्त रूप से नए संसद भवन को अफगान राष्ट्र को समर्पित किया था। इसका निर्माण भारत-अफगानिस्तान सहयोग के तहत किया गया था।
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