मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा के एक अस्पताल में बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं हो रहा है. हालात इतने दयनीय है कि परिजनों को लाश को अपने हाथों पर उठाकर ले जाना पड़ता है. हैरानी की बात तो यह है कि नालंदा का यह एकमात्र आईएसओ प्रमाणित अस्पताल है औऱ इस अस्पताल में शवों को इधर –उधर ले जाने के लिए स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. पिछले दिनों सबेरे सबेरे नदी में एक युवक का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई. घटना के संबंध में मृतक के परिजन ने बताया कि युवक शौच के लिए खेत गया था.
उसी दौरान नदी में पैर फिसल जाने के कारण डूबने से उसकी मौत हो गई. मौत के बाद पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए बिहार शरीफ सदर अस्पताल भेज दिया, मगर सदर अस्पताल में मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई. पुलिस के द्वारा शव को निजी वाहन के द्वारा पोस्टमार्टम के लिए भेज तो दिया गया मगर पोस्टमार्टम कक्ष से करीब दो सौ मीटर पहले ही गाड़ी को रोक दिया गया था.
वहां से मृतक के भाई और बहनोई खुद हाथो पर शव को उठाकर पोस्टमार्टम रूम तक ले गए. वहां मौजूद सिपाही और अस्पताल के कुछ कर्मी ने कोई मदद नहीं की. मृतक के भाई ने कहा कि स्ट्रेचर न मिलने की वजह से उनलोगों को परेशानी उठानी पड़ी. इश मुद्दे पर अस्पताल के अधिकारी ने बोलने से इंकार कर दिया. स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था ऐसी है कि लोगों को स्ट्रैचर जैसी बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है.
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