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This Article is From Dec 21, 2019

CAA Protest: पथराव और लाठीचार्ज की खबरों के बीच IIM के छात्र ऐसे कर रहे हैं प्रदर्शन कि तस्वीरें हुईं वायरल

नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के विरोध में हर ओर से आवाजें उठ रही हैं. राजनीति, फिल्म जगत व तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ छात्रों ने भी इस कानून के खिलाफ हल्ला बोला हुआ है.

CAA Protest: पथराव और लाठीचार्ज की खबरों के बीच IIM के छात्र ऐसे कर रहे हैं प्रदर्शन कि तस्वीरें हुईं वायरल
IIM बेंगलुरु के छात्रों के विरोध जताने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
बेंगलुरु:

नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के विरोध में हर ओर से आवाजें उठ रही हैं. राजनीति, फिल्म जगत व तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ छात्रों ने भी इस कानून के खिलाफ हल्ला बोला हुआ है. कई शहरों में विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. पथराव, आगजनी, लाठीचार्ज की खबरों के बीच देश में अब तक करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है. दूसरी ओर विरोध जताने की कुछ दिलचस्प तस्वीरें बेंगलुरु से सामने आ रही हैं. यहां आईआईएम बेंगलुरु (IIM Bangalore) के छात्रों ने कानून का विरोध जताने के लिए अनोखा तरीका अपनाया.

IIM बेंगलुरु के छात्रों ने नागरिकता कानून का विरोध दर्ज कराने के लिए मेन गेट के बाहर ही अपने जूते-चप्पल छोड़ दिए. एक प्रोफेसर ने भी शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जता रहे छात्रों का समर्थन किया और उन्होंने भी एक पोस्टर पर अपने जूते रख दिए. धारा 144 लागू होने के चलते छात्र वहां जूते-स्लीपर रखने के लिए अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते देखे गए. कुछ छात्रों ने उस जगह पर फूल भी रखे. एक छात्रा ने बताया कि उसने देश में शांति के लिए ऐसा किया है. कुछ छात्र ऐसे भी थे जो इस शांतिपूर्वक प्रदर्शन में शामिल होना चाहते थे लेकिन प्लेसमेंट के नतीजे प्रभावित होने की वजह से ऐसा नहीं कर सके. एक छात्रा ने कहा, 'हां जरूर, हम डरे हुए हैं. हम सिर्फ स्टूडेंट्स हैं.'

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IIM बेंगलुरु के प्रोफेसर दीपक ने NDTV से बातचीत में बताया कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी हमारी पहचान बदल रहा है. वह इसे शैक्षणिक नजर से देख रहे हैं. यह छात्रों के लिए सामाजिक मुद्दे पर बोलने का अच्छा अवसर भी है. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटीज़ को न्यूट्रल रहना चाहिए. हमें इसके (कानून) विरोध में प्रदर्शन की इजाजत देनी चाहिए, हालांकि वास्तविकता में यह प्रदर्शन नहीं है. बताते चलें कि यूनिवर्सिटी के बाहर पुलिस तैनात है लेकिन छात्रों द्वारा इस तरह से विरोध जताने पर किसी भी पुलिसकर्मी ने हस्तक्षेप नहीं किया.

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गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल के संसद में पेश किए जाने के बाद से ही पूर्वोत्तर सहित पूरे देश में इसे वापस लिए जाने की मांग ने जोर पकड़ा था. लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने और राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून बन गया. इस संशोधित कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. इसमें 6 समुदाय- हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसियों को रखा गया है. मुस्लिमों को इससे बाहर रखे जाने का विरोध हो रहा है. केंद्र सरकार का तर्क है कि इस कानून को इन तीन देशों में धार्मिक आधार पर सताए जा रहे अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए संशोधित किया गया है और इन तीनों ही देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं.

VIDEO: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जारी है बवाल

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