विज्ञापन
This Article is From Jul 31, 2022

अगर संक्रमित व्यक्ति की अस्पताल में मौत होती है तो उसे कोविड मौत ही माना जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को एक महीने के भीतर कोविड पीड़ितों के आश्रितों को वित्तीय सहायता जारी करने का भी निर्देश दिया

अगर संक्रमित व्यक्ति की अस्पताल में मौत होती है तो उसे कोविड मौत ही माना जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कोविड-19 से मृत लोगों के परिजनों को अनुग्रह राशि एक महीने के भीतर देने का निर्देश दिया (प्रतीकात्मक फोटो).
प्रयागराज:

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति को कोविड-19 (COVID-19) के मरीज के तौर पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है और उसकी मृत्यु ह्रदय गति रुकने से हो या किसी अन्य कारण से, यह मृत्यु कोविड-19 से हुई मृत्यु (Covid Death) मानी जाएगी और सरकार को मृतक के परिजनों को अनुग्रह राशि देनी होगी.

कुसुम लता यादव और कई अन्य लोगों द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य के अधिकारियों को कोविड-19 से मृत लोगों पर आश्रित परिजनों को अनुग्रह राशि एक महीने के भीतर देने का निर्देश दिया. अदालत ने भुगतान में विफल रहने पर नौ प्रतिशत की दर से ब्याज सहित भुगतान करने को भी कहा.

हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘हम पाते है कि अस्पताल में कोविड-19 की वजह से हुई मृत्यु, प्रमाणन की जांच में पूरी तरह से खरी उतरती है. यह दलील कि मेडिकल रिपोर्ट में मृत्यु की वजह ह्रदय गति रुकना या कोई अन्य कारण है और कोविड-19 से मृत्यु नहीं है, हमारे गले नहीं उतरता. कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का कोई भी अंग चाहे वह फेफड़ा हो या हृदय, संक्रमण से प्रभावित हो सकता है और उसकी मृत्यु हो सकती है.''

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 जुलाई, 2022 के अपने निर्णय में निर्देश दिया कि प्रत्येक याचिकाकर्ता जिनके दावे यहां स्वीकार किए गए हैं, वे 25,000-25,000 रुपये मुआवजा पाने के हकदार होंगे.

उल्लेखनीय है कि इन याचिकाकर्ताओं ने एक जून, 2021 के सरकारी आदेश के उपबंध 12 को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह उपबंध मुआवजे का भुगतान रोकने वाला है क्योंकि संक्रमित मरीज की मृत्यु अगर 30 दिन के भीतर होती है तभी मुआवजा दिया जाएगा.

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस शासकीय आदेश का उद्देश्य उन परिवारों को मुआवजा देना है जिसका रोजी रोटी कमाने वाला सदस्य पंचायत चुनाव के दौरान कोविड-19 की वजह से मर गया है. राज्य के अधिकारियों ने यह माना कि याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु कोविड-19 से हुई, लेकिन उपबंध 12 की वजह से मुआवजे का भुगतान रोका गया है.

अदालत को बताया गया कि अक्सर देखा गया है कि संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु 30 दिनों के बाद भी हुई.

WHO के कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत के दावे पर भारत ने दर्ज कराई आपत्ति

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com