फाइल फोटो : एसपी सिंह
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के एक सीनियर आईएएस अफसर एसपी सिंह सियासी और समाजी भ्रष्टाचार के खिलाफ अब सड़कों पर उतरेंगे। यूपी के 75 ज़िलों में वह इसके लिए ढाबा चौपाल लगाएंगे। इस चौपाल के लिए वॉलंटियर्स की भर्ती के लिए उन्होंने फेसबुक पर विज्ञापन दिया है।
इश्तेहार के मुताबिक़, इसमें सिर्फ वही लोग अप्लाई कर सकेंगे, जिनका खून जोश से भरा हो। सरकार इसे अपने खिलाफ बग़ावत मानती है, जिस पर उनसे जवाब तलब किया गया है, लेकिन एसपी सिंह इसे बग़ावत नहीं बल्कि समाज सेवा बताते हैं।
सिंह इस वक़्त सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के प्रमुख सचिव हैं। उनकी ताज़ा फेसबुक पोस्ट में यूपी के 75 ज़िलों में 'ढाबा चौपाल' लगाने का ऐलान है। इसमें वह सामाजिक, राजनीतिक भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाएंगे। चौपाल के लिए उन्हें हर ज़िले में 50 से 60 वॉलंटियर चाहिए। फेसबुक पर इसके इश्तेहार के मुताबिक़, इसके लिए सिर्फ वही अर्ज़ी भेज सकेंगे जिनके खून की रफ़्तार तेज़ हो और जो जोश से भरे हों। इसमें राजनीतिक और ग़ैर राजनीतिक दोनों तरह के लोग शामिल हो सकते हैं। उनका कहना है कि वह इससे सामाजिक परिवर्तन का काम कर रहे हैं।
एसपी सिंह इसके पहले भी गाहे-बगाहे धरने-प्रदर्शनों में शामिल होते रहे हैं, लेकिन इस बार उनका प्रोग्राम बहुत बड़ा है। वे प्रदेश के पहले आईएएस हैं जो नौकरी में रहते हुए सूबे भर में इस तरह की चौपाल लगाएंगे। इसके पहले वह इलाहाबाद में यूपीएससी के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन का नेतृत्व भी कर चुके हैं। इसी मुद्दे पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ के एक सम्मलेन में भी शिरकत कर चुके हैं। फेसबुक पर तो वह काफी वक़्त से सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं।
आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को मुलायम सिंह की कथित धमकी पर उन्होंने 11 जुलाई को लिखा "यूपी में 43 फीसदी मंत्रीगण आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। मंत्रियों और नेताओं द्वारा गाली-गलौज और बलात्कार के प्रयास आम बात हैं।" अमिताभ ठाकुर पर रेप की एफआईआर हुई तो उन्होंने 12 जुलाई को लिखा 'क्या उत्तर प्रदेश में आंख के बदले आंख का क़ानून लागू है?' जब यह खबर आई कि एसपी सिंह को सरकार ने चार्जशीट दे दी है, उन्होंने 16 जुलाई को लिखा "सुनो सर जी! मार डालो पर, डराओ मत सर जी।"
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने एक बयान जारी किया कि जो अफसर राजनीति कर रहे हैं, उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए। इस पर एसपी सिंह कहते हैं, 'राजनीति क्या है? नीति के हिसाब से राज्य चलना यही
राजनीति है। ब्यूरोक्रेट क्या करता है? नीति के हिसाब से राज्य चलने में मदद करता है, तो ब्यूरोक्रेट जिस दिन सेवा ज्वाइन करता है, उसी दिन वह राजनीति में आ गया।"
सरकार कहती है कि चीफ सेक्रेटरी ने एस पी सिंह से उनके इस आचरण के लिए जवाब तलब किया है, लेकिन एसपी सिंह कहते हैं कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला।
इश्तेहार के मुताबिक़, इसमें सिर्फ वही लोग अप्लाई कर सकेंगे, जिनका खून जोश से भरा हो। सरकार इसे अपने खिलाफ बग़ावत मानती है, जिस पर उनसे जवाब तलब किया गया है, लेकिन एसपी सिंह इसे बग़ावत नहीं बल्कि समाज सेवा बताते हैं।
सिंह इस वक़्त सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के प्रमुख सचिव हैं। उनकी ताज़ा फेसबुक पोस्ट में यूपी के 75 ज़िलों में 'ढाबा चौपाल' लगाने का ऐलान है। इसमें वह सामाजिक, राजनीतिक भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाएंगे। चौपाल के लिए उन्हें हर ज़िले में 50 से 60 वॉलंटियर चाहिए। फेसबुक पर इसके इश्तेहार के मुताबिक़, इसके लिए सिर्फ वही अर्ज़ी भेज सकेंगे जिनके खून की रफ़्तार तेज़ हो और जो जोश से भरे हों। इसमें राजनीतिक और ग़ैर राजनीतिक दोनों तरह के लोग शामिल हो सकते हैं। उनका कहना है कि वह इससे सामाजिक परिवर्तन का काम कर रहे हैं।
एसपी सिंह इसके पहले भी गाहे-बगाहे धरने-प्रदर्शनों में शामिल होते रहे हैं, लेकिन इस बार उनका प्रोग्राम बहुत बड़ा है। वे प्रदेश के पहले आईएएस हैं जो नौकरी में रहते हुए सूबे भर में इस तरह की चौपाल लगाएंगे। इसके पहले वह इलाहाबाद में यूपीएससी के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन का नेतृत्व भी कर चुके हैं। इसी मुद्दे पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ के एक सम्मलेन में भी शिरकत कर चुके हैं। फेसबुक पर तो वह काफी वक़्त से सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं।
आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को मुलायम सिंह की कथित धमकी पर उन्होंने 11 जुलाई को लिखा "यूपी में 43 फीसदी मंत्रीगण आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। मंत्रियों और नेताओं द्वारा गाली-गलौज और बलात्कार के प्रयास आम बात हैं।" अमिताभ ठाकुर पर रेप की एफआईआर हुई तो उन्होंने 12 जुलाई को लिखा 'क्या उत्तर प्रदेश में आंख के बदले आंख का क़ानून लागू है?' जब यह खबर आई कि एसपी सिंह को सरकार ने चार्जशीट दे दी है, उन्होंने 16 जुलाई को लिखा "सुनो सर जी! मार डालो पर, डराओ मत सर जी।"
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने एक बयान जारी किया कि जो अफसर राजनीति कर रहे हैं, उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए। इस पर एसपी सिंह कहते हैं, 'राजनीति क्या है? नीति के हिसाब से राज्य चलना यही
राजनीति है। ब्यूरोक्रेट क्या करता है? नीति के हिसाब से राज्य चलने में मदद करता है, तो ब्यूरोक्रेट जिस दिन सेवा ज्वाइन करता है, उसी दिन वह राजनीति में आ गया।"
सरकार कहती है कि चीफ सेक्रेटरी ने एस पी सिंह से उनके इस आचरण के लिए जवाब तलब किया है, लेकिन एसपी सिंह कहते हैं कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला।
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