मुंबई:
सौ दिनों से गुमशुदगी और पांच दिनों के सर्च आपरेशन के बाद भी सात साल के बाघ "जय " का कोई सुराग नहीं मिला है। आठ तहसीलों के 400 छोटे बड़े जंगल और गांवों में सर्च पूरा हो चुका है। सरकार अब सर्च ऑपरेशन को और व्यापक बनाने पर विचार कर रही है।
महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद जय की तलाश के लिए जारी सर्च ऑपरेशन को अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। वन अधिकारी, फॉरेस्ट गार्ड, और स्वंयसेवी संगठन की टीमें लगातार सर्च में जुटी हुई हैं। सेव इकोसिस्टम एंड टाइगर के सचिव शाहिद खान ने कहा हमें चीते, जंगली सुअर, हिरण, नीलगाय के पांवों के निशान मिले हैं लेकिन बाघ के नहीं।
इन टीमों ने अब तक करीब 400 गांवों में जाकर लोगों से संपर्क किया। जंगल से सटे गांवों में जय की पहचान के लिए उसके पोस्टर भी लगाए, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला है। स्पेशल टाइगर फोर्स में शामिल विलास डोरे ने कहा ''हमारे पास वीएचएफ एंटेना है और हम उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी छह टीमें इन घने जंगलों में उसे ढूंढ रही हैं लेकिन पैदल बहुत ज्यादा दूरी तय करना मुश्किल है।''
वन विभाग की टीमों ने अब जय की जन्मस्थली नागझिरा का रुख किया है। उसके बारे में जानकारी देने वाले को 50,000 रुपए के इनाम का भी ऐलान किया गया है।
महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद जय की तलाश के लिए जारी सर्च ऑपरेशन को अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। वन अधिकारी, फॉरेस्ट गार्ड, और स्वंयसेवी संगठन की टीमें लगातार सर्च में जुटी हुई हैं। सेव इकोसिस्टम एंड टाइगर के सचिव शाहिद खान ने कहा हमें चीते, जंगली सुअर, हिरण, नीलगाय के पांवों के निशान मिले हैं लेकिन बाघ के नहीं।
इन टीमों ने अब तक करीब 400 गांवों में जाकर लोगों से संपर्क किया। जंगल से सटे गांवों में जय की पहचान के लिए उसके पोस्टर भी लगाए, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला है। स्पेशल टाइगर फोर्स में शामिल विलास डोरे ने कहा ''हमारे पास वीएचएफ एंटेना है और हम उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी छह टीमें इन घने जंगलों में उसे ढूंढ रही हैं लेकिन पैदल बहुत ज्यादा दूरी तय करना मुश्किल है।''
वन विभाग की टीमों ने अब जय की जन्मस्थली नागझिरा का रुख किया है। उसके बारे में जानकारी देने वाले को 50,000 रुपए के इनाम का भी ऐलान किया गया है।
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