
- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से अपने कार्यकाल के बीच अचानक इस्तीफा दिया है.
- मानसून सत्र के पहले दिन धनखड़ बतौर राज्यसभा सभापति सामान्य रूप से कामकाज करते दिखे थे.
- एक तरफ उन्होंने सांसदों को अच्छे आचरण की नसीहत दी तो कुछ मौकों पर नाराजगी भी जताई थी.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से हर कोई हैरान है. सियासी हलचल तेज हैं. वीवी गिरि और भैरों सिंह शेखावत के बाद वह ऐसे तीसरे उपराष्ट्रपति हैं, जिन्होंने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया. धनखड़ ने सेहत को वजह बताते हुए इस्तीफा दिया है. उनकी तबीयत पिछले कुछ समय से खराब थी. हालांकि राज्यसभा में वह ऊर्जावान और एक्टिव दिखते थे. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को भी एक तरफ जहां उन्होंने सांसदों को अच्छे आचरण की नसीहत दी, वहीं कुछ मौकों पर नाराजगी भी जताई. आइए बताते हैं कि बतौर सभापति राज्यसभा में धनखड़ का आखिरी दिन कैसे बीता.
दिवंगतों को श्रद्धांजलि, नए सदस्यों को शपथ
जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की. करीब 11 बजे सत्र की शुरुआत में उन्होंने उन पूर्व राज्यसभा सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जिनका निधन बजट सत्र और मानसून सत्र के बीच हुआ था. इसके बाद उन्होंने नवनिर्वाचित और नामित सदस्यों को शपथ दिलाई. इनमें असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य, भाजपा के कणाद पुरकायस्थ, मनोनीत डॉ मीनाक्षी जैन, सी सदानंदन मास्टर और हर्षवर्धन श्रृंगला शामिल थे. सभापति ने इनका संक्षिप्त परिचय भी दिया.
सदन में एकता और शिष्टाचार की अपील
जगदीप धनखड़ ने उच्च सदन की बैठक में सांसदों से राजनीतिक तनाव कम करने और रचनात्मक चर्चा में भाग लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि राजनीति का सार टकराव नहीं, संवाद है. अलग-अलग राजनीतिक दल भले ही अलग रास्तों से चलें, लेकिन सभी का लक्ष्य देशहित ही होता है. भारत में कोई भी राष्ट्र के हितों का विरोध नहीं करता. उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ अशोभनीय भाषा और व्यक्तिगत हमलों से परहेज करने की अपील करते हुए कहा था कि टीवी या अन्य मंचों पर असभ्य व्यवहार हमारी सभ्यता के मूल स्वरूप के विपरीत है.
विपक्ष के 18 स्थगन प्रस्ताव खारिज किए
उच्च सदन में सभापति धनखड़ ने विपक्ष की तरफ से लाए गए 18 स्थगन प्रस्तावों को खारिज कर दिया. ये स्थगन प्रस्ताव पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर, और बिहार में मतदाता सूची संशोधन आदि मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर पेश किए गए थे. इसे लेकर सदन में हंगामा हुआ और कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी. इसके बाद प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू हुई.
जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
इसके बाद राज्यसभा में हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया. इस पर धनखड़ ने सेक्रेटरी जनरल से यह पता लगाने को कहा कि क्या ऐसा प्रस्ताव लोकसभा में भी लाया गया है. दरअसल दोनों सदनों में एक ही दिन महाभियोग प्रस्ताव आने पर लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को संयुक्त जांच समिति गठित करनी होती है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के लोकसभा में भी ऐसे प्रस्ताव का नोटिस दिए जाने की जानकारी दिए जाने पर धनखड़ ने सेक्रेटरी जनरल को आगे की कार्रवाई के लिए निर्देशित किया. धनखड़ ने महाभियोग प्रस्ताव पर एक सांसद के दो बार दस्तखत पर नाराजगी भी जताई.
उपराष्ट्रपति के जयपुर दौरे की जानकारी
सोमवार को करीब 3.53 बजे सरकार की तरफ से एक बयान जारी करके बताया गया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बुधवार को जयपुर की एकदिनी यात्रा पर रहेंगे. इस दौरान वह जयपुर के रामबाग पैलेस में कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) राजस्थान के नवनिर्वाचित समिति सदस्यों से बातचीत करेंगे. सत्र के बीच उपराष्ट्रपति के जयपुर दौरे की घोषणा पर हैरानी भी जताई गई थी.
कार्य सलाहकार समिति की बैठक
जगदीप धनखड़ ने शाम साढ़े चार बजे कार्य सलाहकार समिति की बैठक बुलाई थी. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू नहीं आए. सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि के दौर पर सूचना प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन ने बैठक को मंगलवार को रीशेड्यूल करने का आग्रह किया. बताते हैं, नड्डा और रिजिजू की गैरमौजूदी पर धनखड़ नाराज भी हुए थे. बाद में नड्डा की तरफ से सफाई दी गई कि वह और रिजिजू अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्यों में व्यस्त थे, इसलिए बैठक में शामिल नहीं हुए. इसकी जानकारी उपराष्ट्रपति कार्यालय को पहले दे दी गई थी.
...और फिर धनखड़ का इस्तीफा
व्यस्त दिन के बाद जगदीप धनखड़ ने सोमवार की रात 9:25 बजे उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया. उपराष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से सोशल मीडिया पर इस्तीफे का ब्यौरा भी दिया गया. राष्ट्रपति को लिखे पत्र में धनखड़ ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और मेडिकल सलाह का पालन करने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं. बता दें कि धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था.
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