Online fraud, shopping scam : अक्सर सामान खरीदने का बाद हमें लगता है कि नुकसान हो गया. हमारे साथ ठगी हो गई या हमें ठग लिया. कंपनी या दुकानदार ने जो वादा कर सामान दिया, वो उससे कम या खराब क्वालिटी का है. इसके बाद अधिकतर लोग दुकानदार या कंपनी में एक-दो बार शिकायत कर देते हैं. इससे उनका काम बन गया तो ठीक, नहीं तो नुकसान को बर्दाश्त कर लेते हैं. मगर यह गलत निर्णय है. कारण यह है कि सरकार ने कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए उपभोक्ता मामले विभाग (Deparatment of Consumer Affairs) बनाया हुआ है. आप इसकी वेबसाइट पर जाकर डिटेल में अपने अधिकारों के बारे में पढ़ सकते हैं. अगर इतना रिसर्च नहीं करना चाहते तो आगे पढ़ें.
कहां करें शिकायत?
भारत की सरकार भी जानती है कि हर कोई इतना रिसर्च कर शिकायत करने उसके पास नहीं पहुंचेगा. इसीलिए उसने हेल्पलाइन नंबर (consumer helpline number) जारी किए हैं. 1800114000 और 1915 पर फोन कर कोई भी अपने साथ हुई ठगी की शिकायत कर सकता है. इसी तरह नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के वॉट्सऐप नंबर पर भी चैट कर सकते हैं. इस नंबर से चैट करने से फायदा यह होगा कि अगर हेल्पलाइन पर बैठे लोग आपकी शिकायत के आधार प्रमाण मांगे तो आप कंपनी के बिल आदि आसानी से भेज सकेंगे. इतना काम करने के बाद हेल्पलाइन के लोग आपको सलाह देंगे कि आपको किस तरह न्याय मिल सकता है.
कैसे करें शिकायत?
http://consumerhelpline.gov.in पर इसके बाद जाए और लॉग इन लिंक पर क्लिक करें और फिर आवश्यक जानकारी देने के बाद अपने ईमेल के माध्यम से सत्यापित करें. इससे यूजर आईडी और पासवर्ड आपकी बन जाएगी. इस यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग कर पोर्टल में शिकायत दर्ज करें और आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें. इसके बाद आपको एक शिकायत आईडी मिलेगी. इसी के जरिए आप अपनी शिकायत को ट्रैक कर सकते हैं. आपकी शिकायत को संबंधित कंपनी / एजेंसी / नियामक / लोकपाल के पास भेजा जाएगा.
कब तक होगी कार्रवाई?
पोर्टल के माध्यम से प्राप्त प्रत्येक और हर शिकायत शीघ्र निपटान के लिए संबंधित कंपनी / एजेंसी आदि के साथ उठाया जाएगा. इसके तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने में अधिकतम 45 दिन लग सकता है. अगर आप इससे संतुष्ट नहीं होते तो उपभोक्ता अदालत जा सकते हैं.
छोटी गलतियों पर भी होती है कार्रवाई
अगर आपको लगता है कि सिर्फ बड़ी धोखाधड़ी के खिलाफ ही शिकायत और कार्रवाई हो सकती है तो आप गलत हैं. नीचे दिए दो उदाहरणों से आप समझ जाएंगे कि आप छोटी से छोटी गलती के लिए भी हर्जाना ले सकते हैं और सिर्फ प्राइवेट कंपनी से ही नहीं, सरकार से भी उसकी गलती पर मुआवजा ले सकते हैं. पहला उदाहरण 2021 का है. एक उपभोक्ता अदालत ने भारत के प्रमुख समूहों में से एक आईटीसी लिमिटेड को एक उपभोक्ता को मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. उपभोक्ता ने कंपनी पर भ्रामक प्रचार का आरोप लगाया था. उसने दावा किया था कि उसे एक पैकेट में केवल 15 बिस्किट मिले थे, जिसमें 16 बिस्किट होने चाहिए थे. चेन्नई निवासी पी दिलीबाबू ने आईटीसी द्वारा बेचे गए बिस्किट के पैक में 15 बिस्किट पाए जाने के बाद शिकायत दर्ज की थी और अदालत ने 29 अगस्त 2023 को शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया और आईटीसी को "अनुचित व्यापार प्रथाओं" का दोषी पाया. न्यायाधीश ने आईटीसी को दिलीबाबू को मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया.
दूसरा उदाहरण तो और गजब
बेंगलुरु की एक महिला सौम्या पी ने बिग बिलियन डेज सेल के दौरान एक शैम्पू के लिए मैक्सिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) से दोगुना शुल्क वसूले जाने के बाद ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट (Flipkart) पर मुकदमा दायर किया था. सेल्स ऐड्स से प्रभावित होकर सौम्या पी ने PhonePe के जरिए 191 रुपये में पतंजलि केश कांति प्रोटीन हेयर क्लींजर का ऑर्डर दिया. 10 अक्टूबर, 2019 को प्रोडक्ट मिलने पर उसे एहसास हुआ कि एमआरपी 95 रुपये थी, जबकि उसी शैम्पू को फ्लिपकार्ट ऐप पर 140 रुपये में लिस्ट किया गया था और शिपिंग के लिए एक्स्ट्रा 99 रुपये जोड़े गए. छूट के बाद उसे 191 रुपये में यह मिला था. फ्लिपकार्ट के कस्टमर सर्विस से मिले जवाब से निराश सौम्या ने उचित समाधान पाने के लिए कानूनी कार्रवाई का रास्ता चुना. उपभोक्ता अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया, अनुचित व्यवहार के लिए फ्लिपकार्ट की आलोचना की और उसे मुआवजे के रूप में 20,000 रुपये देने का आदेश दिया.
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