
पहलगाम आतंकी हमले के बाद (Pahalgam Terrorist Attack) पाकिस्तान के नापाक मंसूबे एक बार फिर से खुलकर दुनिया के सामने आ गए हैं. इस बीच नेवी के एक रिटायर्ड अधिकारी ने भारतीयों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के जाल में न फंसने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि ISI भारतीयों को अपने चंगुल में फंसाना चाहती है. रिटायर्ड एडमिरल अरुण प्रकाश ने NDTV से कहा कि ISI और पाकिस्तानी एक्टर्स भारत में धार्मिक आधार पर बड़ा विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. हिंदू-मुस्लिम का यह धंधा इसलिए फल-फूल रहा है. घाटी में हिंदुओं को निशाना बनाया गया है, इस वजह से पूरे देश में कश्मीरी छात्रों के खिलाफ़ प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. ये बात उन्होंने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस का हवाला देते हुए कहीं.
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पाकिस्तानी की साजिश से कैसे बचें?
पूर्व नौसेना प्रमुख ने कहा कि वही हो रहा है जो पाकिस्तानी विरोधी हमसे करवाना चाहते हैं. इसलिए वह लोगों से अपील करना चाहते हैं कि कश्मीरी छात्रों को कोसे बिना पहले तथ्यों पर ध्यान दें. उन्होंने बताया कि वह खुद भी एक कश्मीरी हैं. उनका जन्म अनंतनाग के पहलगाम से 40 मील दूर हुआ था. एक कश्मीरी होने के नाते जब वह सुनते हैं कि पाकिस्तानी आतंकियों की हरकत की वजह से किसी कश्मीरी छात्र को पीटा जा रहा है, तो उनको बहुत दुख होता है. इस सबको खत्म करने में मीडिया को बड़ी भूमिका निभानी चाहिए.
पाकिस्तान को बचने का मौक़ा दिया
पहलगाम आतंकी हमले को उन्होंने पिछले 35 सालों से चलते आ रहे हालात का महज हिस्सा मात्र बताया. एडमिरल प्रकाश ने कहा कि 1989 से ही पाकिस्तानियों को हमारे बॉर्डर पार करने और सैन्य, नागरिक ठिकानों आदि पर हमला करने की आज़ादी है. अगर हम पिछले समय को देखें तो सीमा पार आतंकवाद शब्द गढ़ना सबसे बड़ी गलती थी. यह शब्द बहुत ही सुविधाजनक और नरम था, लेकिन इसने पाकिस्तान को बचने का मौक़ा दे दिया. क्योंकि बॉर्डर पार, अंतरराष्ट्रीय सीमा या नियंत्रण रेखा के पार करने वाली किसी भी चीज़ को आक्रमण या युद्ध की कार्रवाई माना जाना चाहिए था. और जवाब भी उसी के हिसाब से देना चाहिए था.
भारत का सिद्धांत स्पष्ट होना चाहिए था
सर्जिकल स्ट्राइक पर बात करते हुए एडमिरल प्रकाश ने कहा कि हमने जब सर्जिकल स्ट्राइक की तब उम्मीद की जा रही थी कि इसके परिणाम लाभकारी होंगे, वे निवारक के रूप में काम करेंगे. लेकिन उसके साथ हमारी राष्ट्रीय नीति की स्पष्ट होनी चाहिए थी कि भविष्य में हम इस तरह के किसी भी कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेंगे और तत्काल और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जाएगी. लेकिन भारत ऐसा करने में विफल रहा, हमारा सिद्धांत स्षष्ट नहीं था. इसलिए मुझे नहीं पता कि 2016 और 2019 के हमले कितने प्रभावी थे और क्या उन्होंने पाकिस्तान को निवारक का संदेश दिया या नहीं. जाहिर है, उन्होंने ऐसा नहीं किया. हम पाकिस्तान को रोकने में सफल नहीं हो सके. सीमा पार आतंकवाद की एक हजार घाव देकर खून बहाने की नीति जारी है.
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