सुरक्षा एजेंसियों (Security Agencies) ने देश के सबसे बड़े नक्सली लीडर दिनेश गोप (Dinesh Gope) को भारत- नेपाल बॉर्डर (India- Nepal border) से गिरफ्तार किया है. गोप यहां पर पंजाबी सिख बनाकर पिछले 13 महीने से ढाबा चला रहा था. फरवरी 2022 में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूमि जिले (Singhbhum District) में मुठभेड़ के बाद वो फरार हो गया था. यहां सुरक्षाबलों और उसके बीच सैकड़ों राउंड फायरिंग हुई थी. बिहार बॉर्डर से वह नेपाल भाग गया था और वहां पहचान छिपाने के लिए पगड़ी पहनाकर ढाबा चला रहा था.
गोप ने ढाबे पर 3 नेपाली नागरिकों को भी नौकरी पर रखा था. वो हमेशा अपने एरिया कमांडरों को फोन कॉल करने के बाद सिम कार्ड तोड़कर फेंक देता था. कुछ दिन पहले उसने झारखंड के एक बीजेपी नेता को फोन कर 10 AK-47 मंगवाई थी. जांच एजेंसियों को पता चला जिस नंबर से फोन किया गया वो नेपाल का है. उस नंबर के कॉल डिटेल्स निकाले गए तो पता चला कि ये नंबर दिनेश गोप इस्तेमाल कर रहा है. उसी नंबर से वो झारखंड में एक पंचायत सदस्य को फोन करता था, जिससे हर रोज की जानकारी लेता था. इसके बाद टीम नेपाल पहुंची और उसे ढाबे से गिरफ्तार कर लिया.
वो झारखंड, उड़ीसा और बिहार में PFLI के एरिया कमांडरों के संपर्क में रहता था और कोयला के कारोबारियों और रेलवे के बड़े ठेकेदारों से करोड़ो रुपए जबरन वसूली कर रहा था. गोप झारखंड के खूंटी जिले का रहने वाला है. उस पर हत्या ,जबरन वसूली ,अपहरण और धमकी देने के 102 से जायदा मामले दर्ज हैं. उसने 2007 में पीपल्स लिब्रेशन फ्रंट ऑफ इंडिया नाम का नक्सली संगठन बनाया जो सीपीआई माओसिस्ट से जुड़ा था.
गोप ने जांच एजेंसियों को बताया की उसके संगठन में तीनों राज्यों में करीब 8500 लोग जुड़े हैं और 6 एरिया कमांडर हैं जिनके वो संपर्क में रहता है. उसने बताया कि वो हर साल संगठन के लिए करीब 120 करोड़ रुपए की वसूली करता है. ये पैसे अलग-अलग चैनल जैसे हवाला या शेल कंपनियों के जरिए बाहर भेजे जाते थे. फिर इन्हीं पैसो से Ak-47 और HK-33 जैसे हथियार खरीदे जाते थे. एनआइए दिनेश गोप समेत 11 लोगों के खिलाफ जुलाई 2022 में चार्जशीट दायर कर चुकी है. उसके खिलाफ एनआइए ने 2018 में केस दर्ज किया था.
यह भी पढ़ें :
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं