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लगातार 20 घंटे काम, 150 जवानों की मेहनत... सेना ने वायनाड में ऐसे बना डाला 190 फीट लंबा पुल

NDTV की टीम ने चूरलमाला और मुंडक्कै को जोड़ने वाले 190 फीट (58 मीटर)लंबे पुल का जायजा लिया है. इस पुल का निर्माण बुधवार रात 9.30 बजे शुरू हुआ. गुरुवार शाम 5.30 बजे तक इसे पूरा तैयार कर लिया गया. इस काम में 150 से ज्यादा जवान डटे रहे.

इस पुल के बनने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई है.

वायनाड:

केरल के वायनाड (Wayanad) में सोमवार देर रात हुई भारी बारिश के बाद लैंडस्लाइड होने से तबाही मची. लैंडस्लाइड (Landslides) में वायनाड के 4 गांव बह गए. लैंडस्लाइड के रास्ते में आए घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां सब बह गए. हादसे में अब तक कुल 250 से ज्यादा मौतें हुई हैं. 200 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. लैंडस्लाइड की वजह से सड़कें बह गईं. ऐसे में रेस्क्यू टीम को लैंडस्लाइड में फंसे लोगों को बचाने में दिक्कत आ रही है. ऐसे में भारतीय सेना (Indian Army) की टीम ने बड़ा कदम उठाया. भारतीय सेना की मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप (MEG) की टीम ने बहुत कम समय में एक अस्थायी पुल (Bailey Bridge)तैयार कर लिया, ताकि लोगों को निकाला जा सके और उनतक मदद पहुंचाई जा सके.

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू के मुताबिक, भारतीय सेना की दो महिला अधिकारियों, मेजर सीता शेल्के और मेजर अनीश ने फ्रंट से लीड करके 190 फुट लंबा ये बेली पुल तैयार करवाया है. इससे बचाव और राहत के काम में आसानी हो गई है. इस बीच गुरुवार को NDTV की टीम ने चूरलमाला और मुंडक्कै को जोड़ने वाले 190 फीट (58 मीटर)लंबे पुल का जायजा लिया है. इस पुल का निर्माण बुधवार रात 9.30 बजे शुरू हुआ. गुरुवार शाम 5.30 बजे तक इसे पूरा तैयार कर लिया गया. इस काम में 150 से ज्यादा जवान डटे रहे.

स्थानीय नदी में बढ़ते पानी के कारण बुधवार को एक अस्थायी पुल बह गया. पुल बह जाने के बाद सेना के इंजीनियरों ने चूरलमाला से प्रभावित क्षेत्र मुंडक्कई तक भारी उपकरण ले जाने के लिए 190 फुट (58 मीटर) का पुल बनाने का काम शुरू किया. इसके लिए जरूरी सामान दिल्ली और बेंगलुरु से कन्नूर एयरपोर्ट पर लाया गया. फिर उन्हें 17 ट्रकों से वायनाड पहुंचाया गया.

ये पुल 24 टन वजन झेल सकता है. इसका निर्माण पूरा होने के बाद GOC-कर्नाटक और केरल सब-एरिया मेजर जनरल वीटी मैथ्यू ने अपने ऑफिशियल गाड़ी से पुल को पार किया. मेजर जनरल मैथ्यू ने NDTV को बताया, "इस पुल ने लोगों और लॉजिस्टिक्स के ट्रांसपोर्टेशन को बहुत आसान बना दिया है." इस पुल के बनने के बाद रेस्क्यू टीमों के को-ऑर्डिनेशन में सेना की टीमें अट्टामाला, मुंदक्कई और चूरलमाला में काम कर रही हैं.

मेजर जनरल वीटी मैथ्यू ने कहा, "इस पुल के बनने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई है. हम हर जगह लोगों को तलाश कर रहे हैं. कुछ लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं. ऐसे भी हम मदद के लिए उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं"

मेजर जनरल वीटी मैथ्यू ने कहा, "मृतकों की कुल संख्या जिला अधिकारियों की तरफ से बताई गई है. लेकिन सेना और क्षेत्र के अन्य लोगों ने 120 शव बरामद किए हैं. हालांकि, मरने वालों की संख्या इससे ज्यादा है. ये सिर्फ वो शव हैं, जो हमने बरामद किए हैं."

उन्होंने कहा, "हम रडार डिवाइस तैनात करने पर विचार कर रहे हैं. हमारे पास पहले से ही स्निफर डॉग हैं, जो गहराई में दबे शवों को ढूंढने का काम कर रहे हैं. हम थर्मल स्कैनर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसकी भी एक सीमा है. क्योंकि शवों पर ये काम नहीं करता है."

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