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New GST पर केंद्र और राज्यों में कैसे बनी बात? क्या आई थी वोटिंग की नौबत? इनसाइड स्टोरी

New GST Slabs 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हॉल में रखी आयताकार टेबल की ओर इशारा कर कहा कि यहां रखा पैसा केंद्र का भी है और राज्यों का भी. अगर राज्यों को नुक़सान हो रहा है तो केंद्र को भी हो रहा है.

New GST पर केंद्र और राज्यों में कैसे बनी बात? क्या आई थी वोटिंग की नौबत? इनसाइड स्टोरी
  • विपक्ष के शासन वाले राज्य राजस्व हानि की पूर्ति के आश्वासन की मांग करते हुए अंतिम समय तक टाल-मटोल करते रहे.
  • छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ने वोटिंग का सुझाव दिया, तब पश्चिम बंगाल ने कर्नाटक और केरल को निर्णय के लिए मनाया.
  • GST सुधार से शुरूआती 6 महीनों में संग्रह में कमी आ सकती है, लेकिन अगले वर्ष से वृद्धि होने की उम्मीद है.
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New GST Rates 2025: दो दिन की जीएसटी बैठक एक दिन में ही ख़त्म क्यों हो गई? विपक्ष के शासन वाले राज्य जीएसटी कटौती के लिए कैसे हो गए तैयार? एनडीटीवी को इस पर ख़ास जानकारी मिली है. दरअसल, जीएसटी परिषद की बैठक दो दिन के लिए बुलाई गई थी. जीएसटी में बड़े सुधार की लाल क़िले की पीएम मोदी की घोषणा के बाद माना जा रहा था कि परिषद जल्दी ही इस पर मुहर लगाएगी. हालांकि, विपक्ष के शासन वाले राज्य अपने राजस्व में कमी से आशंकित थे. सूत्रों के अनुसार, तीन सितंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में कुछ राज्यों ने बदलावों को लेकर तीखा विरोध किया. पश्चिम बंगाल, पंजाब, कर्नाटक और केरल सबसे मुखर थे. विज्ञान भवन में हुई यह बैठक सात बजे तक चलनी थी, लेकिन रात साढ़े नौ बजे तक चली. इसकी भी अलग कहानी है. 

पीएम मोदी के निर्देश

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पहले बात जीएसटी सुधार की. इसका होम वर्क पूरा हो चुका था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार छह महीने तक अलग-अलग बैठकें कर ग्राउंड वर्क किया. पीएम मोदी का स्पष्ट निर्देश था कि मिडिल क्लास को बड़ी राहत देनी है. इसके लिए कई स्तर पर बातचीत की गई. गृह मंत्री अमित शाह ने भी बैठक की. यह देखा गया कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील किसी वस्तु पर टैक्स को लेकर कोई बात न उठे. पीएम मोदी का निर्देश था कि राजस्व को लेकर भी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए, ताकि राज्य आश्वस्त हो सकें. संघीय ढांचे की मजबूती पर ध्यान देने को कहा गया था. 

ये राज्य चाहते थे टालना

हालांकि, विपक्ष के शासन वाले राज्य आख़िरी समय तक हील-हवाला करते रहे. सूत्रों के मुताबिक़, तीन सितंबर की परिषद की बैठक में पंजाब और पश्चिम बंगाल तैयार हो गए, लेकिन कर्नाटक और केरल आख़िरी वक़्त तक अड़े रहे. वे चाहते थे कि राज्यों को राजस्व हानि के पूर्ति के बारे में ठोस आश्वासन दिया जाए. इसी कारण जो बैठक सात बजे समाप्त होनी थी, लंबी खिंचती गई. वे चाहते थे कि यह मसला अगले दिन यानी चार सितंबर तक के लिए टाल दिया जाए.

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फिर ऐसे बन गई बात

इस गतिरोध से अन्य राज्य ऊब गए. छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि अगर कर्नाटक और केरल तैयार नहीं हो रहे तो फिर वोटिंग करा ली जाए. ग़ौरतलब है कि जीएसटी परिषद में अमूमन आम राय से ही निर्णय होते आए हैं. केवल लॉटरी पर 28% जीएसटी के मुद्दे पर वोटिंग की नौबत आई थी. चौधरी ने अपनी बात एक बार नहीं बल्कि कई बार कही. अंत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी कहना पड़ा कि अगर सदस्य वोटिंग चाहते हैं तो बताएं. इस पर पश्चिम बंगाल ने दख़ल दिया और कर्नाटक और केरल को मनाया. इस तरह जीएसटी सुधार पर आम राय बनी और तीन सितंबर देर रात को फ़ैसले का ऐलान हुआ.

वित्त मंत्री ने समझाया

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बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को आश्वस्त किया था. सूत्रों के अनुसार उन्होंने हॉल में रखी आयताकार टेबल की ओर इशारा कर कहा कि यहां रखा पैसा केंद्र का भी है और राज्यों का भी. अगर राज्यों को नुक़सान हो रहा है तो केंद्र को भी हो रहा है, लेकिन अभी उद्देश्य आम लोगों को राहत देना है. उन्होंने कहा कि केंद्र के पास अलग से राशि नहीं है, बल्कि राज्यों और केंद्र दोनों को मिल कर यह काम पूरा करना है. उन्होंने कहा कि राज्यों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा. 

अगले साल से होगा फायदा

सूत्रों के अनुसार, जीएसटी सुधार से शुरुआती छह महीनों में जीएसटी संग्रह पर असर दिख सकता है. इस वित्त वर्ष की बची अवधि में जीएसटी संग्रह की राशि में कमी आ सकती है, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष से उसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगेंगे. लोगों के हाथ में अधिक पैसा आएगा और खपत बढ़ने से राजस्व में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी होगी.

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