
- जम्मू के वैष्णो देवी पारंपरिक अर्धकुंवारी मार्ग पर भारी बारिश के दौरान लैंडस्लाइड में कई श्रद्धालु हताहत हुए.
- पहाड़ के मलबे ने यात्रियों को अचानक अपनी चपेट में ले लिया, जिससे फंसे हुए कई लोग घायल हो गए.
- इस महीने पहले भी बाणगंगा क्षेत्र में भूस्खलन हुआ था, जिसमें एक श्रद्धालु की मौत और कई घायल हुए थे.
26 अगस्त, मंगलवार की दोपहर. जम्मू में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही थी. प्रशासन ने एहतियातन यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित करने को कहा था, हालांकि पारंपरिक अर्धकुंवारी मार्ग पर कुछ श्रद्धालु अभी भी आगे बढ़ रहे थे. करीब 3 बज रहे होंगे. बारिश अपने चरम पर थी. इसी दौरान अर्धकुंवारी इलाके में इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास अचानक पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा. थोड़ी देर बाद पहाड़ी से बड़े-बड़े पत्थर और मलबा इतनी तेजी से गिरने लगे कि वहां से गुजर रहे श्रद्धालुओं को संभलने का मौका ही नहीं मिला. पत्थरों ने टीन के शेडों को चीरते हुए लोगों को अपनी चपेट में ले लिया.
वैष्णो देवी की यात्रा पर गए श्रद्धालुओं के लिए मंगलवार का दिन भयानक त्रासदी साबित हुआ. भारी बारिश और लैंडस्लाइड के चलते कई लोगों की मौत हो गई. श्रीमाता वैष्णो देवी के पारंपरिक मार्ग पर हुई इस घटना के बाद यात्रा फिलहाल रोक दी गई है. इस हादसे में कई लोग बाल-बाल बचे. घटना के चश्मदीदों ने इस बारे में बताया है.
अपनों को खोने का दर्द
एक यात्री ने बताया कि वे करीब नौ लोग माता वैष्णो देवी के दर्शन के बाद खुशी-खुशी लौट रहे थे. अर्धकुंवारी के पास पहुंचे ही थे कि अचानक पहाड़ से पत्थर गिरने लगे और फिर ऐसा लगा कि पूरा का पूरा पहाड़ ही श्रद्धालुओं पर आ गिरा.

उनके साथ रही एक महिला श्रद्धालु ने बताया- 'जिस समय यह हादसा हुआ, ट्रैक पर 50-60 यात्री मौजूद थे. हमारी आंखों के सामने वह भयानक मंजर अभी भी तैर रहा है. मैं नहीं जानती कि कितने लोग इसमें दब गए और कितने बचे हैं' उनके जाननेवाले दो लोगों का कटरा अस्पताल में इलाज चल रहा है.

मां की कृपा से बच गई जान
हरियाणा के सोनीपत से गए अमित कुमार ने बताया कि वो अपने परिवार के साथ दर्शन कर लौट रहे थे. उस दौरान ऐसा लगा जैसे पूरा बड़ा पहाड़ ही हमलोगों पर आकर गिरने वाला है. उन्होंने कहा, 'मां वैष्णो देवी की कृपा से मेरी जान बच गई.' यह घटना एक महीने के अंदर वैष्णो देवी मार्ग पर हुई दूसरी बड़ी आपदा है. इससे पहले 21 जुलाई को बाणगंगा क्षेत्र में भी भूस्खलन हुआ था, जिसमें एक श्रद्धालु की मौत हो गई थी और नौ घायल हुए थे.

अस्पताल में चल रहा घायलों का इलाज
घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर मौजूद श्राइन बोर्ड की आपदा प्रबंधन टीम और पुलिस ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया. कड़ी मशक्कत के बाद मलबे में दबे श्रद्धालुओं को बाहर निकाला गया. घायल हुए लोगों को एम्बुलेंस की मदद से तुरंत कटड़ा और नारायणा अस्पताल पहुंचाया गया. इस हादसे में 9 लोगों को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि 21 घायल हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है. हादसे की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में एक आपात बैठक बुलाई और अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए.

पहले भी हो चुके हैं कई हादसे
यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी इसी महीने में किश्तवाड़ और बाणगंगा मार्ग पर भूस्खलन हो चुका है, जिसमें कई जानें गई थीं. मौसम विभाग ने पहले ही भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी. फिलहाल, यात्रा स्थगित है और जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. गृहमंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इस घटना पर दुख जताते हुए स्थानीय प्रशासन को हरसंभव मदद देने के लिए कहा है.
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