देश में लाखों अन्य लोगों की तरह गुजरात के एक व्यापारी को भी कोरोनावायरस संक्रमण हुआ, और लगभग 20 दिन प्राइवेट अस्पताल में गुज़ारने के बाद जब वह COVID-19 से उबर गया, तो अस्पताल का बिल हाथ में आने पर भौंचक्का रह गया. इस बिल की रकम को देखने के बाद व्यापारी ने पांवों पर खड़े होते ही अपने लम्बे-चौड़े दफ्तर को 85-बिस्तरों वाले अस्पताल में तब्दील कर डाला, जहां गरीबों का मुफ्त इलाज हो सके.
आबादी के लिहाज़ से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मुल्क में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की तादाद बुधवार को 15 लाख से ज़्यादा हो चुकी है, और इस वायरस से होने वाले रोग COVID-19 की चपेट में आकर अब तक लगभग 35,000 लोग जान गंवा चुके हैं.
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गुजरात के सूरत शहर में पिछले माह 20 दिन एक प्राइवेट क्लीनिक में गुज़ारने वाले व्यवसायी कदर शेख को अस्पताल का बिल देखकर झटका लगा. प्रॉपर्टी डेवलपर कदर शेख ने समाचार एजेंसी AFP से कहा, "प्राइवेट अस्पताल में इलाज का खर्च बहुत ज़्यादा था... गरीब आदमी इस तरह का इलाज कैसे अफोर्ड कर सकता है...?"
उन्होंने कहा, "इसीलिए मैंने कुछ करने और इस घातक वायरस के खिलाफ जंग में योगदान देने का इरादा बनाया..."
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बीमारी से पूरी तरह उबर चुकने के बाद कदर शेख ने स्थानीय प्रशासन से मंज़ूरी ली, ताकि ववह 30,000 वर्ग फुट (2,800 वर्ग मीटर) में बने अपने दफ्तर को अस्पताल में तब्दील कर सकें.
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अब इस अस्पताल में डॉक्टरों, स्टाफ, मेडिकल उपकरणों तथा दवाओं का खर्च सरकार वहन करती है, तथा बिस्तरों, चादरों और बिजली का खर्च कदर शेख के ज़िम्मे है. कदर शेख का कहना है, "इस अस्पताल में कोई भी भर्ती हो सकता है, भले ही वह किसी भी धर्म, समुदाय, पंथ या जाति का हो..."
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