कांग्रेस की सरकार के दौरान रॉबर्ट वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी सहित अन्य बिल्डरों को ‘अनुचित लाभ’ पहुंचाने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पूर्ववर्ती सरकार की खिंचाई की है।
हरियाणा विधानसभा में बुधवार को पेश 2013-14 की रिपोर्ट में सरकारी अंकेक्षक ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को आड़े हाथों लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग ने सैद्धान्तिक मंजूरी देते समय और लाइसेंसों के औपचारिक स्थानांतरण के समय यह सुनिश्चित नहीं किया कि कुल लागत पर 15 प्रतिशत से अधिक का लाभ सरकार के खाते में जाए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे डेवलपर्स को सिर्फ जमीन बेचने से ही भारी मुनाफा हुआ और वहीं सरकार को एक अच्छी खासी राशि का नुकसान उठाना पड़ा। बीजेपी और कांग्रेस के अन्य प्रतिद्वंद्वी दलों ने पूर्ववर्ती भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को रीयल्टी कंपनी डीएलएफ के साथ भूमि सौदे में अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था।
हालांकि, रिपोर्ट में वाड्रा का नाम नहीं लिया गया है। इसमें उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी का नाम जरूर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 2008 में डीएलएफ को गुड़गांव के मानेसर में एक प्रमुख 3.5 एकड़ जमीन 58 करोड़ रपये में बेची थी। इससे पहले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस भूमि सौदे को रद्द करते हुए इसे गैरकानूनी बताया था।
हालांकि, पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार ने इस भूमि सौदे में वाड्रा को क्लीन चिट दे दी थी। कैग ने आंतरिक सर्कुलेटिंग व अप्रोच में सड़कों के विकास में अनियमितताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि मौजूदा व्यवहार के तहत वाणिज्यिक स्थल या साइट्स पर आंतरिक सड़कों के जरिये पहुंचने की सुविधा होनी चाहिए। स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लि. के मामले में ऐसा नहीं किया गया।
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