
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों के लिए 10वीं कक्षा तक हिन्दी पढ़ना अनिवार्य हो सकता है, क्योंकि इस संबंध में एक संसदीय समिति की सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय को हिन्दी भाषा अनिवार्य बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ सलाह मशविरा करके एक नीति बनाने का भी निर्देश दिया गया है.
राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पाठ्यक्रम में हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए. पहले कदम के रूप में, हिन्दी को सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालय संगठन के सभी स्कूलों में 10वीं कक्षा तक एक अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए. इसमें कहा गया कि केंद्र को राज्य सरकारों के साथ सलाह मशविरा करके एक नीति बनानी चाहिए.
ये सिफारिशें राजभाषा पर संसद की समिति की नौवीं रिपोर्ट में की गईं. सीबीएसई ने पिछले साल तीन भाषा का फॉर्मूला (अंग्रेजी और दो अन्य भारतीय भाषाएं) नौवीं और दसवीं कक्षा में भी लागू करने की सिफारिश की थी. हालांकि मंत्रालय ने अब तक इस सुझाव पर कोई फैसला नहीं किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पाठ्यक्रम में हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए. पहले कदम के रूप में, हिन्दी को सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालय संगठन के सभी स्कूलों में 10वीं कक्षा तक एक अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए. इसमें कहा गया कि केंद्र को राज्य सरकारों के साथ सलाह मशविरा करके एक नीति बनानी चाहिए.
ये सिफारिशें राजभाषा पर संसद की समिति की नौवीं रिपोर्ट में की गईं. सीबीएसई ने पिछले साल तीन भाषा का फॉर्मूला (अंग्रेजी और दो अन्य भारतीय भाषाएं) नौवीं और दसवीं कक्षा में भी लागू करने की सिफारिश की थी. हालांकि मंत्रालय ने अब तक इस सुझाव पर कोई फैसला नहीं किया है.
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