मध्यप्रदेश में भोपाल की वनिशा पाठक (Vanisha Pathak) ने सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा (Class 10 CBSE Examination) में 99.8 फीसद अंक हासिल किये हैं, दो और बच्चों के साथ वो शहर की टॉपर हैं. वनिशा ने सीबीएसई (CBSE) की दसवीं कक्षा की अंग्रेजी, संस्कृत, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की परीक्षा में 100 और गणित में 97 अंक हासिल किए. किसी भी छात्र के लिए यह एक अविश्वसनीय उपलब्धि है, लेकिन 16 साल की उस बिटिया के लिये खास तौर पर शानदार जिसने दो महीने पहले कोरोना में अपने माता-पिता (Girl lost her parents to COVID-19) को खो दिया. वनिशा ने अपने माता-पिता से किया हुआ वादा पूरा कर दिया है लेकिन खुशी के इस पल को साझा करने के लिए वे आज उसके साथ नहीं हैं.
इस खुशी को लेकर इस नन्हीं बिटिया से बाते करेंगे तो उसकी आंखों के साथ खुद की भावनाओं पर काबू रखना मुश्किल हो जाता है, किसे उम्मीद थी कि 2 महीने पहले माता-पिता को खोने वाली वनिशा शहर की टॉपर बनेंगी, कहती हैं छोटे भाई को देखकर संघर्ष करती रही. ''मेरे माता-पिता की स्मृति ने मुझे स्पष्ट रूप से प्रेरित किया और मुझे जीवन भर प्रेरित करेगा (लेकिन) वह (भाई) अभी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत है... मेरा छोटा भाई, उसे देखकर लगा कि उसके पास बस मैं हूं, उसके लिये एक उदाहरण देना था कि मुझे देखे और बोले कि दीदी जैसा करना है.''
वनिशा के पिता जीतेंद्र कुमार पाठक एक वित्तीय सलाहकार थे और माता डॉ सीमा पाठक एक सरकारी स्कूल में शिक्षक. वनिशा ने आखिरी बार दोनों को अस्पताल जाते देखा था. अस्पताल में वनिशा की मां का निधन 4 मई और पिता की मौत 15 मई को हुई. अब उनकी आखिरी इच्छा को पूरा करने की जिद है.
"मेरी मां ने मुझसे जो आखिरी बात कही थी, वह थी 'बस खुद पर विश्वास करो... हम जल्द ही वापस आएंगे'. मेरे पिता के आखिरी शब्द थे 'बेटा, हिम्मत रखना'. मां ने कहा था बेटा ख्याल रखना हम दोनों ठीक होकर आएंगे, बीच में 2-3 बार फोन पर बात हुई, पापा से 10 मई को आखिरी बात हुई, बोला कि तुमने हम दोनों का बहुत साथ दिया. "मेरे पिता मुझे IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में देखना चाहते थे, मां चाहती थी मैं UPSC पास करके देश की सेवा करूं. उनका सपना अब मेरा सपना है." भाई विवान कहते हैं, मुझे 100 ही लाना है दीदी से भी ज्यादा, मुझे क्रिकेट बहुत अच्छा लगता है.
वनिशा, अब वह कविताओं के रूप में आंसुओं की जगह शब्दों को बहने देती है, पिता के लिये लिखा कविता का सार है ..
भारी मन से, मैं आपको अलविदा कहती हूं...
आपने मुझे रोने के लिए बिल्कुल अकेला छोड़ दिया
अब हर आंसू में आपकी याद आती है,
लेकिन मैं इन्हें रोक लेती हूं, बहने नहीं देती...
दर्द मुझ पर हावी नहीं होगा...
मैं आपके गर्व का कारण बनूंगी..
किसी दिन फिर से मिलने की उम्मीद के साथ...
वनिशा भाई के साथ अपने मामा डॉ अशोक कुमार के साथ रहती हैं, जो भोपाल के गवर्नमेंट एमवीएम कॉलेज में प्रोफेसर हैं. उनकी मामी डॉ भावना शर्मा नम आंखों से कहती हैं, दोनों बच्चे बहुत खास हैं, इन्होंने इतने अच्छे से परिस्थिति समझी है... घर में नानी है तो वो जानते हैं रोना नहीं है, हमारा प्यार हमेशा बना रहेगा, ये बहुत समझदार बच्चे हैं.
वहीं मामा डॉ अशोक कुमार कहते हैं, वनिशा फाइटर है... छोटे भाई ने बहुत सपोर्ट किया, नानी को बोला है इनके मां-पिताजी सिंगापुर गये हैं. वनिशा की उपलब्धि इसलिये भी खास है क्योंकि जब उनके दोस्त परीक्षा की तैयारी कर रहे थे उस वक्त वो अपने माता-पिता को खोने के सदमे और दर्द से गुजर रही थीं.
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