असम में महज 6 साल पहले कांग्रेस का साथ छोड़ BJP में शामिल हुए हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) को पूर्वोत्तर (North East) में बीजेपी की राजनीति का चाणक्य यूं ही नहीं कहा जाता. सरमा ने असम (Assam) ही नहीं, मणिपुर,त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश में जैसे राज्यों में BJP की सरकार कायम करने में अहम भूमिका निभाई है. असम विधानसभा चुनाव में मतदान तीन चरणों में होना है.
BJP ने असम में इस बार पार्टी का निवर्तमान मुख्यमंत्री (सर्बानंद सोनोवाल) होने के बावजूद परंपरा से हटकर किसी को CM पद का चेहरा नहीं घोषित किया है. ऐसे में अगर असम में बीजेपी दोबारा सत्ता में आती है तो हिमंता बिस्वा सरमा की दावेदारी से इनकार भी नहीं किया जा सकता.
जालुकबारी का जादूगर
वकालत से सियासत में कदम रखने वाले सरमा ने 2001 में कांग्रेस के टिकट पर गुवाहाटी लोकसभा क्षेत्र की जालुकबारी (Jalukbari Seat) विधानसभा सीट से चुनाव जीता और लगातार तीन बार विधायक बने. सरमा तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) के खास सिपहसालार थे, लेकिन अनबन के चलते 2014 में उन्हें मंत्रिपद छोड़ दिया. गोगोई के आगे कांग्रेस नेतृत्व ने भी उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया. BJP इस तेजतर्रार नेता को अपने पाले में लाने में कामयाबी रही. अगस्त 2015 में बीजेपी का दामन थामने के बाद तो जालुकबारी से सरमा रिकॉर्ड मतों से जीते. यहां से हिमंता बिस्वा सरमा की 5वीं जीत की डगर भी ज्यादा कठिन नहीं मानी जा रही.
पूरे पूर्वोत्तर में भगवा पताका लहराई
बीजेपी ने सरमा को नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का संयोजक नियुक्त किया और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास औऱ केंद्र सरकार के साथ समन्वय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी. 2016 में असम (Assam) में सत्ता पाने के साथ बीजेपी ने पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में अपने मुख्यमंत्री वाली सरकार बनाई और पिछले 5 सालों में पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में भगवा पार्टी सत्ता में है. उन्हें मोदी सरकार (PM Narendra Modi) के मंत्रिमंडल में अहम जगह देने की अटकलें भी काफी समय से लग रही हैं.
कुशल प्रशासक की छवि
सरमा की काबिलियत समझते हुए ही सोनोवाल की सरकार में उन्हें वित्त, शिक्षा-स्वास्थ्य, पर्यटन जैसे अहम मंत्रालय दिए गए. असम में कोरोना महामारी पर प्रभावी नियंत्रण से भी सरमा ने दिखा दिया कि वह कुशल प्रशासक भी हैं. जोरहाट, बारपेटा, तेजपुर समेत आठ क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज खोलने की मुहिम के साथ सरमा ने काफी लोकप्रियता अर्जित की. सरमा के कार्यकाल में पहली बार असम में इंटरव्यू की बजाय टीईटी के जरिये 50 हजार शिक्षकों की भर्ती की गई.
केंद्र और पूर्वोत्तर के बीच का मजबूत पुल
नेडा अध्यक्ष के तौर पर पूर्वोत्तर (North East) क्षेत्र में हीरा यानी हाईवे, इंटरनेट, रेलवे और हवाई मार्ग के विस्तार के साथ सरमा केंद्र और पूर्वोत्तर की सरकारों के बीच मजबूत सेतु बनकर उभरे हैं. सरमा खुद असम में रेलवे के डबल ट्रैक, सभी पूर्वोत्तर राज्यों को हवाई मार्ग से जोड़ने और इंटरनेट के लिए दूसरे राज्यों की निर्भरता खत्म करने की योजनाओं को गिनाना नहीं भूलते हैं.
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