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This Article is From Mar 02, 2023

हिमंता बिस्‍व सरमा पूर्वोत्तर में भगवा सूर्योदय के लिए बने ‘डील-मेकर’

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद हिमंता बिस्‍व सरमा नॉर्थ ईस्ट में लगातार बीजेपी को मजबूत करने के लिए काम करते रहे हैं.

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हिमंता बिस्‍व सरमा पूर्वोत्तर में भगवा सूर्योदय के लिए बने ‘डील-मेकर’
हिमंता बिस्‍व सरमा को साल 2022 में असम विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया था
नई दिल्ली:

पूर्वोत्तर में भाजपा के सूर्योदय में मदद करने वाले विभिन्न गठबंधनों को एक साथ लाने वाले व्यक्ति ने एक बार फिर वही किया है. इस क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘पोस्टर बॉय' एवं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्‍व सरमा पूर्वोत्तर में भगवा सूर्योदय के लिए बने ‘डील-मेकर' पार्टी के ‘डील मेकर' के रूप में उभरे हैं. वह लगभग 'हर दिन' पूर्वोत्तर के उन सभी तीन राज्यों के लिए उड़ान भरते रहे जहां इस साल फरवरी में चुनाव हुए थे. उन्होंने सबसे पहले नेफ्यू रियो को उग्रवाद से ग्रस्त राज्य नगालैंड में दूसरे कार्यकाल के लिए पसंदीदा व्यक्ति बताया और फिर माणिक साहा को ऐसे व्यक्ति के रूप में चुनने में दिल्ली की मदद की जो महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य त्रिपुरा में भाजपा की लोकप्रियता को पहुंचे नुकसान को कम कर सके.

गठबंधन टूटने के बाद भी कोनराड संगमा के साथ बातचीत चलती रही

मेघालय विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा से अपनी पार्टी एनपीपी का गठबगंधन समाप्त करने वाले कोनराड संगमा को बहुमत न मिलने की स्थिति में फिर से भाजपा के साथ संभावित गठजोड़ के लिए बातचीत की मेज पर वापस लाने में भी सरमा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. माना जाता है कि संगमा ने इस मुद्दे पर सरमा के साथ दो दौर की बैठकें की हैं और ऐसा लगता है कि किसी तरह का समझौता हो गया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या एनपीपी भाजपा के साथ गठबंधन करेगी, एनपीपी प्रवक्ता अम्पारीन लिंगदोह ने कहा, 'चूंकि लोगों ने पिछली बार की तुलना में अधिक जनादेश के साथ हम पर अपना विश्वास जताया है, इसलिए पिछले भागीदारों के साथ गठबंधन की उच्च संभावना है.' सरमा ने त्रिपुरा के पूर्ववर्ती राजपरिवार के वंशज प्रद्योत देबबर्मा द्वारा स्थापित टिपरा मोथा को भी मनाने के लिए पर्दे के पीछे से समझौते का प्रयास किया था.

टिपरा मोथा के अध्यक्ष बने बिजॉय कुमार हरंगखाल के साथ भी हुई थी बैठक

उग्रवादी से टिपरा मोथा के अध्यक्ष बने बिजॉय कुमार हरंगखाल ने कुछ हफ्ते पहले पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए प्रयास किए गए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा था, ‘‘हम गुवाहाटी में मिले थे... हमें असम के मुख्यमंत्री (हिमंत विश्व सरमा) ने आमंत्रित किया था. दिल्ली से दो और भाजपा नेता आए... हमने मना कर दिया क्योंकि उन्होंने कहा कि हम (एक अलग टिपरालैंड के लिए) सहमत नहीं हो सकते.' हालांकि, उन्होंने कुछ निश्चित परिस्थितियों में बाहर से समर्थन देने की संभावना जताई थी.

दिल्ली में काफी महत्व रखने वाले शर्मा काफी दूर स्थित गुजरात और दिल्ली में क्षेत्र से भाजपा के पहले स्टार प्रचारक थे. चाहे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुद्दा हो, पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना हो, मवेशी संरक्षण अधिनियम पारित करना हो, अल्पसंख्यक जनसंख्या वृद्धि को धीमा करने के लिए विशिष्ट नीतिगत उपायों की मांग करना हो या 'अवैध' गांवों पर बुलडोजर चलाना हो, सरमा ने भाजपा के अहम एजेंडे को आगे बढ़ाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी है.

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