हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए शिमला अर्बन सीट पर बीजेपी के मंत्री सुरेश भारद्वाज की जगह एक चाय की दुकान के मालिक को प्रत्याशी बनाया गया है. भारद्वाज शिमला शहरी (Shimla Urban) सीट से चार बार चुनाव लड़ चुके हैं. संजय सूद, जो शिमला में चाय की दुकान चलाते हैं, को शिमला अर्बन सीट से टिकट मिलने के बाद भारद्वाज अब कसुम्पटी (Kasumpti) सीट से चुनाव लड़ेंगे. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए संजय सूद ने कहा, "मैं आभारी हूं कि बीजेपी ने मुझे शिमला अर्बन जैसी महत्वपूर्ण सीट से चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार बनाया है. मैं सातवें आसमान पर हूं क्योंकि मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता के लिए यह बहुत बड़ा सम्मान है. मैं कहना चाहूंगा कि बीजेपी के लिए काम करना एक अच्छा फैसला था. "
सूद ने कहा कि वे बेहद गरीब परिवार से संबंध रखते हैं और अपनी टीशॉप 1991 से चला रहे हैं. उन्होंने बताया, "इससे पहले मैं बस स्टेंड पर अखबार बेचता था. गरीब परिवार से होने के बावजूद मेरे दिल में हमेशा सेवा की भावना बनी रही." उन्होंने अपनी शिक्षा का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को दिया. सूद ने बताया कि अखबार बेचने से उन्हें कॉलेज की फीस चुकाने में मदद मिली और यही वह समय था जब उन्हें RSS की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में काम करने का मौका मिला.
उन्होंने कहा, "मैं पांच साल तक स्टूडेंट परिषद में काम किया लेकिन वित्तीय इश्युज के कारण इसे रोकना पड़ा. बाद में मैंने दो साल मेडिकल रिप्रजेंटेटिव का काम किया और उसके बाद मैंने 1991 में चाय की दुकान शुरू की, इससे मुझे रिवार का पेट पालने और उनके खर्चे का भुगतान करने में मदद मिलती है. मैं राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं आता लेकिन मैं उच्च स्तर का सेवाभाव रखता हूं और यही कारण है कि मैं 1977 में जनता पार्टी के बलाक्रम कश्यप के लिए उस समय बूथ पर बैठा था जब स्कूल में था. 1980 में बीजेपी की स्थापना के बाद से मैं इसके लिए काम कर रहा हूं. " सूद ने बताया कि पार्टी के उपाध्यक्ष बनने वे पहले वे शिमला मंडल अर्बन के महासचिव थे. वे बाद में जिले में पार्टी के मीडिया प्रभारी बने. उन्होंने कहा कि मीडिया इंचार्ज की भूमिका निभाते हुए पार्टी ने मुझे टिकट दिया और मैं दो बार शिमला नगरनिगम का पार्षद बना. इसके बाद मैं पार्टी की शिमला इकाई का अध्यक्ष बना. सूद ने कहा, "आज मुझे इस बात की खुशी है कि पार्टी ने मुझे शिमला से प्रत्याशी घोषित किया है. मैं पार्टी का यह कर्ज चुका नहीं सकता. "
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी उम्मीदवारी को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कोई नाराजगी है, सूद ने कहा, "मैं केवल एक बात कहना चाहूंगा कि कमल के फूल (बीजेपी का चुनाव चिन्ह) वाला कोई भी व्यक्ति नाराज नहीं हो सकता. यह केवल थोड़े समय का 'दर्द' है. आप जो चाहते हैं, वह हासिल नहीं होने पर ऐसा होना स्वाभाविक है. मैं उन सभी से मिलूंगा और मुझे विश्वास है कि आखिरकार हम सभी कमल के फूल के लिए काम करेंगे और शिमला सीट पर जीत हासिल करेंगे. " उम्मीदवारी में आश्चर्यजनक बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा, "हिमाचल में एक सीट बदलने और दूसरी सीट पर लड़ने का रिवाज नहीं है. निश्चित रूप से यह आश्चर्यजनक है."भारद्वाज 1980 से बीजेपी के लिए काम रहे हैं, इससे पहले वे जनता पार्टी में थे. वैसे उन्होंने कहा कि कसुम्पटी सीट, शिमला से बहुत दूर नहीं है और अनजानी (untouched) नहीं है.
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