
- हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश से भारी तबाही का सामना करना पड़ रहा है
- इस साल 20 जून से अब तक 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है
- 15 से ज्यादा बादल फटने और फ्लैश फ्लड से 69 लोग जान गंवा चुके हैं
- मंडी जिले में सबसे अधिक 17 मौतें हुईं और 31 लोग लापता हैं
हिमाचल प्रदेश इस साल फिर से ही मॉनसून आते ही पहाड़ों के मलबों में दफ्न चीखों और बहते आंसुओं के बीच कराह रहा है. बादल फटने, भूस्खलन और उफनती नदियों के कहर ने यहां इंसानी ज़िंदगियों के साथ हज़ारों करोड़ की संपत्ति को भी लील लिया. प्रकृति का ताडंव ऐसा कि जिसके आगे सब बेबस हो जाते हैंं. मगर सवाल वही है — क्या ये महज़ कुदरत का प्रकोप है, या फिर हमने ख़ुद अपने हाथों ये तबाही लिखी है? साल 2023 की भयावह बारिशें अभी धुंधली भी नहीं पड़ी थीं, जब 400 से ज्यादा लोगों की जानें चली गई थी. 10,000 करोड़ का नुकसान हुआ था. मगर सबक शायद कोई नहीं ले पाया.

मॉनसून का पीक बाकी और चारों तरफ दिख रही तबाही
साल 2025 में भी लगभग वही मंजर दोहराया जा रहा है, वो भी तब जबकि मॉनसून अभी शुरुआती दौर में है. मॉनसून का पीक नहीं आया है. इस बार 20 जून से अब तक हिमाचल में 15 से ज्यादा बादल फटने और फ्लैश फ्लड की घटनाएं हो चुकी हैं. जिनमें 69 लोग जान गंवा चुके हैं, 37 अब भी लापता हैं और करीब 160 लोग घायल हैं. 3 नेशनल हाइवे समेत 280 सड़कें बंद हैं, 650 ट्रांसफॉर्मर ठप पड़े हैं, 800 से ज़्यादा पानी की योजनाएं ठप हैं, और कुल नुकसान का आंकड़ा अब तक 5000 करोड़ पार कर चुका है.

लेकिन असली चिंता की बात है — आखिर जिम्मेदार कौन?
क्या ये हिमाचल की जनता है जो बेतरतीब निर्माणों से पहाड़ों के सीने को छलनी कर रही है, या फिर प्रशासन जो तमाशाई बना बैठा है? पहाड़ी नदियों और नालों (खड्डों) के किनारे बिना सोचे-समझे बनाए गए घर, होटल और पनबिजली परियोजनाएं इस कदर बेतरतीब हैं कि कोई पूछने वाला ही नहीं. जानकारों के मुताबिक, इन क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर नज़र रखने के लिए कोई समिति भी गठित की गई थी. लेकिन उसकी रिपोर्ट, उसकी सिफारिशें — सब लापता हैं. कोई बताने वाला नहीं कि कहां गलती हुई, कौन ज़िम्मेदार है और अगली बार क्या रोकथाम होगी. इसलिए हिमाचल की पहाड़ियां फिर रो रही हैं, मलबे में दबे लोग फिर इंसाफ मांग रहे हैं, और सवाल वहीं खड़े हैं — दर्द में डूबे हिमाचल का गुनहगार कौन है?

हिमाचल प्रदेश में बारिश से भारी तबाही
मॉनसून ने 20 जून को राज्य में दस्तक दी थी और तब से अब तक मौसम की मार से 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. अधिकारियों ने 14 लोगों की मौत बादल फटने, आठ लोगों की मौत अचानक बाढ़ में बह जाने और एक व्यक्ति की मौत भूस्खलन में हुई जबकि सात लोग डूब गए. उन्होंने बताया कि सबसे अधिक मौतें, मंडी (17) जिले में हुईं, जहां मंगलवार को बादल फटने, अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की दस घटनाओं ने कहर बरपाया. अधिकारियों ने बताया कि अकेले मंडी जिले से लापता 31 लोगों की तलाश अब भी जारी है.

कई गांवों से संपर्क टूटा, पुल और सड़के क्षतिग्रस्त
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने शुक्रवार को भारी बारिश के बाद भारद, देजी, पयाला और रुकचुई गांवों में फंसे 65 लोगों को बचाया. भारी बारिश के बाद भूस्खलन से सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और नदियां उफान पर हैं, जिससे कई गांवों का संपर्क टूट गया तथा लोगों के घरों व खेतों में मलबा जमा हो गया. अधिकारियों ने बताया कि 150 से अधिक घर, 106 मवेशी शेड, 31 वाहन, 14 पुल और कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं जबकि विभिन्न घटनाओं में 164 मवेशियों की मौत हो गयी.

उन्होंने बताया कि सुरक्षित बाहर निकाले गए 402 लोगों के लिए पांच राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें से 348 लोग अकेले मंडी जिले से हैं. इस बीच, राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) ने बताया कि मंडी में 156, सिरमौर में 49 और कुल्लू जिलों में 36 सहित 280 सड़कें वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दी गई हैं. राज्य में कुल 332 ट्रांसफार्मर और 784 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हैं। स्थानीय मौसम विभाग ने ‘ऑरेंज' अलर्ट जारी किया है, जिसमें शनिवार से मंगलवार तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी गई है.
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