प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्रचीर से 9वीं बार तिरंगा फहराया. ध्वजारोहण के बाद वे देश की आबादी को संबोधित कर रहे हैं. देख को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने देश की आजादी में योगदान देने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद और नमन किया. उन्होंने कहा कि आज का ये दिन ऐतिहासिक है. एक पूण्य पड़ाव, एक नई राह , एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है.
संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा -
- आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो पिछले 75 साल में देश के लिए जीने-मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देश के संकल्पों को पूरा करने वाले चाहे सेना के जवान हों,पुलिसकर्मी हों, जन प्रतिनिधि हों, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं के प्रशासक रहे हों.
- आकांक्षी समाज किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति होता है. देश का हर नागरिक चीजों को बदलना चाहता है और बदलाव देखना चाहता है. वे अपनी आंखों के सामने बदलाव देखना चाहते हैं.
- हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था. आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया.
- अमृत महोत्सव के दौरान देशवासियों ने देश के हर कोने में लक्ष्यावधि कार्यक्रम किए. शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो. वो शायद एक पहली घटना हुई है.
- 2014 में देश की जनता ने मुझे जिम्मेदारी दी थी. मैं आजादी के बाद पैदा हुआ पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से लोगों को संबोधित करने का मौका मिला.
- देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी.
- आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले भी अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है.
- हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो. आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है.
- कोरोना के कालखंड में दुनिया वैक्सीन लेने या न लेने की उलझन में जी रही थी. उस समय हमारे देश लोगों ने 200 करोड़ डोज लेकर दुनिया को चौंका देने वाला काम करके दिखाया.
- आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है. विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है.
- आने वाले 25 साल के लिए हमें 'पंच प्रण' पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा. ये 'पंच प्रण' हैं - 1. अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा और वो बड़ा संकल्प है 'विकसित भारत'. 2. किसी भी कोने में, मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी. 3. हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए. 4. एकता और एकजुटता और 5. नागरिकों का कर्तव्य.
- जिस प्रकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है. भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है. हमनें जो कौशल्य पर बल दिया है, ये एक ऐसा सामर्थ्य है, जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा.
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