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This Article is From Apr 24, 2018

महाभियोग पर कपिल सिब्बल का अब इतना बड़ा यू-टर्न क्यों?

आज जिस महाभियोग प्रस्ताव पर कपिल सिब्बल का स्टैंड दिख रहा है, अभी से कुछ साल पहले जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उनका स्टैंड इसी मामले को लेकर कुछ और था.

महाभियोग पर कपिल सिब्बल का अब इतना बड़ा यू-टर्न क्यों?
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू की ओर से खारिज किये जाने के बाद घमासान जारी है. राज्यसभा सभापति के इस फैसले को एक ओर जहां कांग्रेस असंवैधानिक बता रही है, वहीं बीजेपी इसे नियम के अनुरुप बता रही है. कांग्रेस की ओर से सीजेआई के खिलाफ महाभियोग मामले का नेतृत्व खुद वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल कर रहे हैं. आज जिस महाभियोग प्रस्ताव पर कपिल सिब्बल का स्टैंड दिख रहा है, अभी से कुछ साल पहले जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उनका स्टैंड इसी मामले को लेकर कुछ और था. आठ साल पहले कपिल सिब्‍बल जब कांग्रेस की सत्‍ता में मंत्री थे, तब जजों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई पर उनका स्टैंड पूरी तरह से अलग था. 

साल 2010 में एनडीटीवी से बातचीत में कपिल सिब्बल ने कहा था कि 'मुझे लगता है कि अगर राजनेता जजों का भाग्य तय करने लगें तो यह देश के लिए सबसे बड़ा नुकसान होगा. '

महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करना गैरकानूनी, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे : कांग्रेस

उस वक्त कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का मामला चल रहा था. यह महाभियोग इसलिए था, क्योंकि जज सौमित्र सेन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे. महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा में पारित हो चुका था. लोकसभा में उसके ऊपर वोटिंग होने वाली थी, मगर उससे पहले ही जज सेन ने इस्तीफा दे दिया और ससंद द्वारा महाभियोग प्रक्रिया से हटाए जाने वाले इतिहास में पहले जज बनने से बच गये थे. 

बीते शुक्रवार को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए सात पार्टियों के 64 सांसदों के हस्ताक्षर वाला नोटिस दिया था.  मगर इस महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया. इसके बाद सीनियर वकील और कांग्रेसी नेता कपिल सिबब्ल ने कहा कि वह अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने कभी वकालत नहीं करेंगे. 

महाभियोग पर 25 साल बाद कांग्रेस की भूमिका बदली

यहां खास बात यह है कि साल 2010 में कपिल सिब्बल ने महाभियोग की पूरी प्रक्रिया को  ‘असंवैधानिक’ बताया था, क्योंकि इसके लिए पार्टियों को सदन में सदस्यों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी करने पड़ते. उस वक्त कपिल सिब्बल ने कहा था कि अगर आप एक व्हिप जारी करते हैं तो आप संसद के किसी भी सदस्य को उसके न्यायिक निर्णय लेने के अधिकार से रोकते हैं. क्योंकि अगर आप संसद में महाभियोग प्रक्रिया के दौरान उपस्थित हैं, तो आप एक जज हैं. 

उन्होंने उस समय तर्क दिया था कि जज से जुड़े ऐसे किसी भी मुद्दे पर वह ऐसी कोई व्यवस्था नहीं चाहते हैं जिसमें राजनीतिक पार्टियों के सदस्य फैसला करें. सिब्बल ने कहा था, 'ऐसी कोई व्यवस्था नहीं चाहते हैं जहां विपक्ष के तौर पर राजनीतिक पार्टियों के सांसद हस्ताक्षर कर दें और एक ह्विप जारी हो जाए फिर इसके बाद आप चाहें सहमत हो या न हों आपको खिलाफ ही वोट करना है. ये किस तरह की प्रक्रिया है?' लेकिन अब सिब्बल कह रहे हैं कि 50 सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और उनकी मानें तो उसके मुताबिक जज दोषी सिद्ध हो गए हैं.  

सीजेआई के महाभियोग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम शामिल नहीं

जब सोमवार को एनडीटीवी ने कपिल सिब्बल से पूछा कि व्हिप जारी करने के उस वक्त और अब के सयम में उनका क्या स्टैंड है तो उन्होंने कहा कि मैंने कभी अपने विचार नहीं बदले. मैं आज भी उसी तरह से अपने स्टैंड पर कायम हूं. 

कांग्रेस जब सत्ता में थी तब वह एक से अधिक बार यानी 2010 से पहले भी महाभियोग प्रस्ताव का विरोध कर चुकी है. साल 1993 में जब संसद में सुप्रीम कोर्ट जज वी रामास्‍वामी के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू की गई थी, तो उस वक्त कपिल सिब्‍बल ने ही सदन में उनका बचाव किया था. उस वक्त महाभियोग प्रस्‍ताव को सदन में खारिज कर दिया गया था. 

VIDEO: CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज, SC जाएगी कांग्रेस

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