भारत के कई इलाकों में समय से कुछ पहले ही गर्मी का प्रकोप बढ़ गया है, और तापमान झुलसाने लगा है. मौसम विभाग ने कई राज्यों में अलर्ट और चेतावनियां जारी की हैं, लेकिन इसे जलवायु परिवर्तन का असर मानने के लिए विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी फिलहाल तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा निष्कर्ष निकालने के लिए लम्बे अरसे के आंकड़ों का अध्ययन किया जाना बेहद ज़रूरी है.
भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ नरेश ने NDTV से बातचीत में कहा, हमने पश्चिम बंगाल और बिहार के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जो Severe Heat Wave की चेतावनी होती है. इन दोनों राज्यों में अगले दो दिन तक तापमान के औसत से 4.5 से 6.5 डिग्री सेल्सियस तक या उससे भी ज़्यादा रहने का पूर्वानुमान है. इनके अलावा आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों, ओडिशा और झारखंड में भी अगले तीन-चार दिन तक हीटवेव रहने की आशंका है.
डॉ नरेश का कहना था कि हमने प्रभावित राज्यों के लिए एडवाइज़री जारी की है, जिसके तहत बुज़ुर्गों को घरों के भीतर ही रहना चाहिए, जानवरों की विशेष देखभाल की जानी चाहिए. स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ सलाह-मशविरे के बाद जारी की जाने वाली NDMA की गाइडलाइन का पालन किया जाना चाहिए.
इसके बाद उनसे पूछा गया, इस साल फरवरी में भी कई इलाकों में औसत से अधिक तापमान दर्ज हुआ. गेहूं की फसल पर असर पड़ा. फिर मार्च में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि हुई और अब अप्रैल में एक बार फिर औसत से अधिक तापमान और हीटवेव लगातार बनी हुई है, क्या हम इसे जलवायु परिवर्तन का असर मान सकते हैं...?
इस पर डॉ नरेश का कहना था कि यह सब जलवायु परिवर्तन का असर है या नहीं, इसकी समीक्षा के लिए हमें कम से कम 30-40 साल के आंकड़ों का अध्ययन करना पड़ता है. उन्होंने कहा, यह सही है कि ग्लोबल स्तर पर तापमान बढ़ रहा है, लेकिन तापमान में हर साल variability होती है. पिछले साल मार्च-अप्रैल में काफी तेज़ हीटवेव रही थी, लेकिन उसका कारण Western Disturbance का नहीं आना था, और जब मौसम खुश्क होता है, तो तापमान स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है.
उन्होंने बताया, "इस साल भी अगर मार्च की बात करें, तो जितने वेस्टर्न डिस्टरबेंस आए, उन्होंने सिर्फ जम्मू-कश्मीर में असर किया, और उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के अलावा मैदानी इलाके ड्राई रहे और इसी वजह से फरवरी में तापमान असामान्य रहा... यह सही है कि तापमान में बढ़ोतरी हो रही है... लेकिन अगर आप पिछले साल मार्च की इस साल के मार्च से तुलना करें, तो आप देखेंगे कि पिछले साल मार्च में कई जगहों पर हीटवेव थी, लेकिन इस साल नहीं थी... वर्ष 2015 में भी वेस्टर्न डिस्टरबेंस बहुत एक्टिव रहा था और देश के कई हिस्सों में फरवरी के तीसरे हफ्ते से मार्च के पहले हफ्ते तक तेज़ बारिश और ओलावृष्टि हुई थी..."
डॉ नरेश ने कहा, "मौसम में बदलाव की संभावना हर साल रहती है, और मौसम में बदलाव जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है या नहीं, इसके लिए long-term स्टडी की ज़रूरत है..."
गौरतलब है कि पूर्वोत्तर भारत में इस साल गर्मी कुछ जल्दी और ज़्यादा ही पड़ रही है, और तापमान सामान्य से अधिक दर्ज हो रहा है. पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में तो स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है, हालांकि असम ने स्कूलों को लेकर फिलहाल कोई फ़ैसला नहीं लिया है. पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख मीडिया हाउस www.sentinelassam.com के मुताबिक, गुवाहाटी स्थिति क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के उप-निदेशक (Deputy Director) डॉ. संजय ओ'नील शॉ (Dr Sanjay O'Neill Shaw) ने बताया कि सोमवार को असम के प्रमुख शहर गुवाहाटी में अधिकतम तापमान 37.7 डिग्री तक पहुंच गया, जो सामान्य से 6.5 डिग्री अधिक रहा. रविवार को भी गुवाहाटी का अधिकतम तापमान 36.9 डिग्री रहा था, जो साल के इस समय के सामान्य तापमान से 5.7 डिग्री अधिक था. डॉ. संजय ओ'नील शॉ के अनुसार, मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में तापमान सामान्य से 4.9 डिग्री ज़्यादा रहा. मणिपुर की राजधानी इम्फाल में तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री अधिक रहा, और त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में अधिकतम तापमान सामान्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया.
रविवार को भी मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, उत्तर-पश्चिम, पूर्व तथा पूर्वोत्तर भारत के कई भागों में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा रहा. मौसम विभाग के मुताबिक, रविवार को भी अगरतला पूर्वोत्तर भारत का सबसे गर्म इलाका रहा था, जहां तापमान 38.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था. इसके अलावा, गुवाहाटी का तापमान 37.7 डिग्री सेल्सियस, सिलचर का तापमान 37.4 डिग्री सेल्सियस, धुबरी का तापमान 36.1 डिग्री सेल्सियस, मिज़ोरम की राजधानी आइज़ॉल का तापमान 35.7 डिग्री सेल्सियस और तेजपुर में तापमान 35.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था. रविवार को भी गुवाहाटी का तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा था, जो समूचे क्षेत्र में सामान्य से सबसे ज़्यादा था.
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