यूपी के प्रयागराज (Prayagraj) में एक निजी कृषि विश्वविद्यालय (Agricultural University) के कुलपति और निदेशक पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण (Conversion) के लगे आरोप के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई टल गई है. कोर्ट ने यूपी सरकार के हलफनामे पर याचिकाकर्ता को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अलगी सुनवाई अब जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी. सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह दावा किया है कि प्रयागराज के नैनी की सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) ने विदेश से मिले करीब 34.5 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अवैध धर्मांतरण के लिए किया गया.
शुआट्स के निदेशक (प्रशासन) विनोद बिहारी लाल, कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य आरोपियों को अदालत से किसी भी राहत का विरोध करते हुए यूपी पुलिस ने कहा कि ये सभी लोग समाज में हाशिए पर रह रहे हिंदू व मुस्लिमों को प्रलोभन के जरिये या जबरन ईसाई धर्म में परिवर्तित कराने में शामिल हैं. शुआट्स को जो 34.5 करोड़ रुपये मिले हैं, उनके स्रोत अमेरिका, जापान, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी व इराक सरीखे देशों में मिले हैं. वर्ष 2005 से अब तक ये राशि यीशु दरबार ट्रस्ट को स्थानांतरित की गई.
इसके बाद चर्च और वहां से चर्च के लोगों व ब्रॉडवेल हॉस्पिटल को रकम दी जाती रही. हलफनामे में यह भी कहा है कि विभिन्न जगहों पर तलाशी के दौरान प्रचार सामग्री व दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिसमें ईसाई धर्मांतरण के लाभों के साथ लोगों को लुभाने के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की सूची शामिल थी. पुलिस के हलफनामे के अनुसार, प्रचार सामग्री में उल्लेख है कि ईसाई धर्म अपनाने पर 35 हजार रुपये दिए जाएंगे. इसके लिए प्रेरित करने पर बोनस भी मिलेगा. साथ ही, ईसाई धर्म का प्रचारक बनने पर 25 हजार मासिक वेतन व पांच से 10 लोगों का धर्मांतरण कराने पर और अधिक बोनस मिलेगा. हलफनामे के मुताबिक, धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया 40 दिन में पूरी होती है. मिशनरी अस्पतालों के रोगियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है.
अस्पताल के कर्मचारी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं. पुलिस हलफनामे में दावा है कि इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया, हरिहरगंज, फतेहपुर के पादरी ने अधिकारियों को बताया कि वह और उसके साथी हिंदुओं व मुसलमानों को प्रलोभन देकर धर्मांतरित कर रहे हैं. वे इस मकसद के लिए दस्तावेज में नामों का हेरफेर भी करते हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुआट्स के कुलपति और निदेशक की गिरफ्तारी पर मार्च में, जबकि यूनिवर्सिटी के अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी पर छह अप्रैल को रोक लगा दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इन्कार किया था. आरोपियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
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