मणिपुर पर अमेरिका बोला-भारत ने मदद मांगी तो हम तैयार, अब सरकार ने दिया ये जवाब

कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान एक पत्रकार ने अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी से मणिपुर के मौजूदा हालात पर सवाल पूछा था. इसके जवाब में गार्सेटी ने मदद की पेशकश की.

मणिपुर पर अमेरिका बोला-भारत ने मदद मांगी तो हम तैयार, अब सरकार ने दिया ये जवाब

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि विदेशी राजनयिक आमतौर पर भारत में आंतरिक विकास पर ऐसी टिप्पणी नहीं करते हैं.

नई दिल्ली:

अमेरिका ने गुरुवार को मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर भारत मदद मांहता है, तो हम उसके लिए तैयार हैं. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा, "हम जानते हैं कि ये भारत का आंतरिक मसला है. हम जल्द से जल्द शांति की उम्मीद करते हैं. वहां के हालातों पर हमें कोई रणनीतिक चिंता नहीं है, हमें लोगों की चिंता है." अब भारत ने इस मामले में अमेरिका को जवाब दिया है. एरिक गार्सेटी की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि विदेशी राजनयिक आमतौर पर भारत में आंतरिक विकास पर ऐसी टिप्पणी नहीं करते हैं. हालांकि, मैंने अभी उनका बयान नहीं देखा है."

बागची ने गुरुवार को नियमित मीडिया ब्रीफिंग में सवालों के जवाब में कहा कि सरकारी एजेंसियां ​​सीमावर्ती राज्य में शांति की दिशा में काम कर रही हैं. उन्होंने कहा, "मैंने अमेरिकी राजदूत की वो टिप्पणियां नहीं देखी हैं. अगर उन्होंने वो टिप्पणियां की हैं, तो हम इसे देखेंगे. मुझे देखने का मौका नहीं मिला. मुझे लगता है कि हमारी एजेंसियां ​​और हमारे सुरक्षा बल काम कर रहे हैं. हमारी स्थानीय सरकार इस पर काम कर रही है. मुझे यकीन नहीं है कि विदेशी राजनयिक आमतौर पर भारत में आंतरिक विकास पर टिप्पणी करेंगे, लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहूंगा."

दरअसल, कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान एक पत्रकार ने अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी से मणिपुर के मौजूदा हालात पर सवाल पूछा था. इसके जवाब में गार्सेटी ने मदद की पेशकश की. उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर के बच्चों और वहां मर रहे लोगों पर चिंता जाहिर करने के लिए किसी का भारतीय होना ही जरूरी नहीं है.

हालात सुधरे तो निवेश करेंगे
गार्सेटी ने ये भी कहा है कि भारत के नॉर्थ-ईस्ट में पिछले कुछ सालों में काफी तरक्की हुई है. शांति किसी भी इलाके के लिए काफी बेहतर चीजें लाती है. अगर मणिपुर में हिंसा खत्म होती है. शांति स्थापित होती है, तो अमेरिका वहां निवेश करेगा. उन्होंने कहा, "हम नए प्रोजेक्टस भी लाने के लिए तैयार हैं. लोकतंत्र काफी मुश्किल है, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत करना काफी मुश्किल काम है."

कर्ट कैंपबेल के बयान पर भी दी प्रतिक्रिया
जब उनसे इंडो-पैसिफिक के लिए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक कर्ट कैंपबेल के बयान के बारे में पूछा गया, तो बागची ने कहा, "मुझे नहीं पता कि क्या कहना है. मुझे लगता है कि कर्ट कैंपबेल ने एक टिप्पणी की. लेकिन मेरी समझ से दूसरे देशों के मामले में कमेंट करना शायद सटीक नहीं है. मुझे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है. मुझे लगता है कि यह संबंधों का प्रतिबिंब है. संबंधों की स्पष्टवादिता और गहराई के बीच हम विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात कर सकते हैं. हम यह भी स्वीकार करते हैं कि हमारे पास कई चीजें हैं जिन पर हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं.''
 

कांग्रेस बोली- अमेरिका दखल न दे
अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है- प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर जाना चाहिए था. हम इस मुद्दे को संसद में भी उठाएंगे.

US के गन कल्चर पर नहीं दिया लेक्चर-मनीष तिवारी
उन्होंने कहा- "भारत कई चुनौतियों से गुजर रहा है, पर हमें पसंद नहीं की कोई हमारे मामलों में दखलंदाजी करे. अमेरिका में गन से होने वाली हिंसा में कई लोग मारे जाते हैं. नस्लीय दंगे होते हैं, लेकिन हमने कभी उन्हें इस पर लेक्चर नहीं दिया. नए राजदूत को भारत-अमेरिका के रिश्तों के इतिहास की जानकारी रखनी चाहिए."

मणिपुर में 3 मई से भड़की थी हिंसा
बता दें कि मणिपुर में 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) की रैली के बाद जातीय हिंसा देखी गई. मैतेई और कुकी समुदाय के बीच कई जगहों पर जातीय हिंसा की खबरें आईं. हिंसा में अबतक 100 लोगों की मौत हो चुकी है. यह हिंसा मैतेई समुदाय के अनुसुचित जनजाति में शामिल होने के मांगों के खिलाफ निकाले गए जुलूस के दौरान शुरू हुई थी. लगभग दो महीनों से चल रहे इस हिंसा में अबतक तीन हजार से भी ज्यादा लोग घायल हुए हैं. हालांकि, सरकार के मुताबिक अभी हालात सुधर रहे हैं.

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