"दूसरों को जागरूक करने के पहले ये खुद को संवेदनशील बनाएं" : हरिद्वार हेट स्‍पीच मामले में SC की दो टूक

SC ने ये टिप्पणी  जितेंद्र त्यागी उर्फ ​​वसीम रिजवी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हुई की.

हरिद्वार धर्म संसद में हेट स्पीच मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद में हेट स्पीच मामले को लेकर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ' ये पूरे माहौल को खराब कर रहे हैं. इससे पहले कि वे दूसरों को जागरूक करने के लिए कहें, पहले उन्हें खुद को संवेदनशील बनाना होगा. वे संवेदनशील नहीं हैं. यह कुछ ऐसा है जो पूरे माहौल को खराब कर रहा है.' SC ने ये टिप्पणी  जितेंद्र त्यागी उर्फ ​​वसीम रिजवी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हुई की. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले को 17 मई को अगली सुनवाई होगी. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने धर्म संसद पर सवाल उठाते हुए कहा, ' हमें इस बात की चिंता नहीं है कि क्या हुआ, हमें मामले की समग्रता, सजा, हिरासत की अवधि आदि को देखना होगा.'त्यागी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा मे कहा कि आरोपी पहले से ही लगभग चार महीने से हिरासत में है.उनको मेडिकल समस्याएं भी हैं.वो एक आर्य समाजी हैं. हमने वीडियो देखे हैं, भगवा कपडों में लोग इकट्ठे हुए और भाषण दिए.हमें लोगों, राष्ट्र और अपने नागरिकों के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है. 

सुनवाई के दौरान अदालत ने लूथरा से पूछा कि ये धर्म संसद क्या है ?ये लोग माहौल खराब कर रहे हैं.शांति से साथ रहें. जीवन का आनंद लें .हालांकि अदालत ने सरकार से कहा कि जिस अपराध के लिए आरोपी पर आरोप लगाया गया है, उसके लिए अधिकतम सजा 3 साल है.वह पहले ही 4 महीने से जेल में है.जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और क्या चाहते हैं.शिकायतकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह चिंताजनक है कि आरोपी यह दिखाने पर तुले हुए हैं कि वह कानून से नहीं डरते और ऐसा करना जारी रखेंगे.इसके अलावा यह एक अलग घटना नहीं है और आरोपी ने पहले के बाद एक और वीडियो बनाया. उसे इस साल 13 जनवरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 298 के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. जस्टिस  रवींद्र मैथानी की एकल पीठ ने उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने बेहद अपमानजनक टिप्पणी की थीअदालत ने कहा कि पैगंबर के साथ दुर्व्यवहार किया गया है, यह एक विशेष धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा रखता है, यह युद्ध छेड़ने का इरादा रखता है.यह दुश्मनी को बढ़ावा देता है.यह  हेट स्पीच है. जितेंद्र त्यागी, जिन्हें पहले वसीम रिजवी के नाम से जाना जाता था, कभी यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे.पिछले साल दिसंबर में उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नाम स्वीकार कर लिया 

दरअसल नदीम अली ने 2 जनवरी 2022 को हरिद्वार कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि हरिद्वार में  17 से 19 दिसंबर तक धर्म संसद का आयोजन किया गया। इसमें भड़काऊ भाषण दिए गए तथा आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया.जितेंद्र नारायण त्यागी, यति नरसिंहानंद व अन्य ने बाद में इसका वीडियो बनाकर वायरल भी कर दिया.इस भड़काऊ भाषण से जिले में अशांति का माहौल बना रहा.पुलिस ने उनकी शिकायत पर आईपीसी की धारा 153,  295 तहत यति नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, आदि के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था.फिर गिरफ्तारियां भी की गईं.हालांकि यति नरसिंहानंद व अन्य कुछ आरोपी इस समय जमानत पर हैं 

इससे पहले, हरिद्वार कोर्ट ने गुरुवार को नफरत फैलाने वाले भाषण के आरोपी जितेंद्र त्यागी उर्फ ​​वसीम रिजवी को जमानत देने से इनकार कर दिया था.जांच अधिकारी ने स्थानीय अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि अभियुक्तों द्वारा सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले एक विशेष धर्म के खिलाफ कई बयान दिए गए.कोर्ट ने कहा कि केस डायरी के अनुसार, यह आरोप लगाया गया कि धर्म संसद की एक वीडियो रिकॉर्डिंग में त्यागी को यह कहते हुए देखा और सुना जा सकता है कि उसने मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी की.अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि पूर्व में भी कथित तौर पर इसी तरह के कृत्यों को करने के लिए इसी तरह के अपराधों के तहत मामला दर्ज किया गया था.अदालत ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि अभियोजन पक्ष ने उन अपराधों को दोहराने का आरोप लगाया, जिसके लिए उसे सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस दिया गया था. मामले की गंभीरता और उसके खिलाफ आरोपों को देखते हुए अदालत ने उसे जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया.

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