विज्ञापन
This Article is From Dec 12, 2024

"उत्पीड़न पर्याप्त नहीं...": अतुल सुभाष की खुदकुशी को लेकर विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को दी गई चुनौती पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें एक व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों को राहत देने से इनकार कर दिया गया था. उस व्यक्ति और उसके परिवार पर अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था.

"उत्पीड़न पर्याप्त नहीं...": अतुल सुभाष की खुदकुशी को लेकर विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए किसी को दोषी ठहराने के लिए केवल उत्पीड़न पर्याप्त नहीं है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में दोषसिद्धि के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने का सबूत होना चाहिए. यह आदेश 34 साल के आईटी विशेषज्ञ अतुल सुभाष की खुदकुशी से हुई मौत को लेकर उपजे विवाद के बीच आया है. 

अतुल सुभाष ने 81 मिनट के वीडियो और 24 पन्नों के नोट में अपनी अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार के सदस्यों पर उत्पीड़न और जबरन वसूली का आरोप लगाया है. अतुल के परिवार की शिकायत के आधार पर बेंगलुरु पुलिस ने निकिता और तीन अन्य के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है.

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को दी गई चुनौती पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें एक व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों को राहत देने से इनकार कर दिया गया था. उस व्यक्ति और उसके परिवार पर अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था.

पीठ ने 10 दिसंबर के अपने आदेश में कहा, "आईपीसी की धारा 306 के तहत दोषसिद्धि के लिए यह एक सुस्थापित कानूनी सिद्धांत है कि क्लियर मेन्स री (कृत्य को उकसाने का इरादा) की उपस्थिति आवश्यक है. केवल उत्पीड़न अपने आप में किसी आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है."

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष को आरोपी द्वारा कोई सक्रिय या प्रत्यक्ष कार्रवाई प्रदर्शित करनी चाहिए जिसके कारण मृतक ने आत्महत्या कर ली. गुजरात मामले में अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी को बरी कर दिया, लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत आरोप को बरकरार रखा, जो एक महिला के खिलाफ उसके पति या उसके परिवार के सदस्यों द्वारा क्रूरता से संबंधित है.

आत्महत्या में हाथ होने की बाच साफ तौर पर स्थापित हो 

पीठ ने कहा कि, महिला की शादी 2009 में हुई थी और शादी के पांच साल बाद भी इस जोड़े की कोई संतान नहीं है. इस कारण से महिला को कथित रूप से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था. सन 2021 में उसने आत्महत्या कर ली. उसके पिता ने उसके पति और ससुराल वालों पर उकसाने और क्रूरता का आरोप लगाया. सत्र न्यायालय ने दोनों धाराओं के तहत उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया और हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा, "किसी व्यक्ति पर इस धारा (306) के तहत आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि आरोपी का मृतक द्वारा आत्महत्या के कृत्य में हाथ थी."

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इस प्रकार पत्नी की मृत्यु के मामलों में कोर्ट को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए, साथ ही प्रस्तुत साक्ष्य का मूल्यांकन भी करना चाहिए. यह निर्धारित करना आवश्यक है कि क्या पीड़ित पर की गई क्रूरता या उत्पीड़न ने उन्हें अपना जीवन समाप्त करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ा था." 

कोर्ट ने कहा,  "केवल उत्पीड़न के आरोप दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. दोषसिद्धि के लिए अभियुक्त द्वारा पॉजिटिव एक्ट का साक्ष्य होना चाहिए जो घटना के समय से निकटता से जुड़ा हो, जिसने पीड़िता को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया या प्रेरित किया." 

इस मामले में न्यायालय ने कहा, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अभियुक्त ने कोई प्रत्यक्ष कार्य नहीं किया या आत्महत्या के लिए नहीं उकसाया.

12 साल तक शिकायत दर्ज नहीं होने का मतलब उत्पीड़न न होना नहीं

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने क्रूरता के आरोप को बरकरार रखा. कोर्ट ने इस मामले के तहत मुकदमे को आगे बढ़ाने की इजाजत देते हुए कहा, "अपीलकर्ताओं की यह दलील कि मृतक ने शादी के 12 सालों में अपीलकर्ताओं के खिलाफ क्रूरता या उत्पीड़न की एक भी शिकायत नहीं की, टिक नहीं सकती. सिर्फ इसलिए कि उसने 12 सालों तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की, इसका मतलब यह नहीं है कि क्रूरता या उत्पीड़न का कोई मामला नहीं हुआ." 

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अतुल सुभाष की आत्महत्या से हुई मौत को लेकर उठे विवाद के बीच आया है. 34 साल के अतुल ने 24 पन्नों के नोट में अपनी पत्नी निकिता और उसकी मां निशा की कथित टिप्पणियों का विवरण दिया है, जिसके कारण वह इस हद तक हताश हो गया था कि उसने खुदकुशी कर ली. बेंगलुरु पुलिस ने निकिता, उसकी मां निशा, भाई अनुराग और चाचा सुशील सिंघानिया के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है. मामले की जांच जारी है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com