गुवाहाटी पुलिस ने साइबर अपराध रैकेट का पर्दाफाश किया है. इस मामले में कई लोगों की गिरफ़्तारियां भी हुई है. गुवाहाटी में साइबर पुलिस ने जिन लोगों को दबोचा, वो साइबर ठगी का पूरा नेटवर्क ऑपरेट कर रहे थे. इस नेटवर्क से जुड़े लोग तुरंत नकदी का वादा करके अनजान लोगों को गुमराह करके उनके बैंक खाते खाली करवा लेते थे. गिरफ़्तार किए गए लोग नकली पहचान और बर्नर फ़ोन का उपयोग करके इन खातों का इस्तेमाल कर रहे थे.
चैकबुक, डेबिट-एटीम और विदेशी करेंसी बरामद
इस रैकेट के लोग असली खाताधारकों से उनके बैंक खातों का नियंत्रण पाने के लिए धोखाधड़ी कर रहे थे. ऐसे मामलों में इन अकाउंटस का उपयोग अवैध लेन-देन के लिए किया जाता था, हालांकि अवैध लेन-देन की ज़िम्मेदारी खाताधारक पर ही आती है. पुलिस द्वारा की गई जांच में कई आपत्तिजनक सबूत भी बरामद हुए. बरामद की गई चीज़ों में 44 चेकबुक, 12 बैंक पासबुक, 49 डेबिट/एटीएम कार्ड, यूएई और थाईलैंड की कैरेंसी मिली.
पुलिस ने इस रैकेट के बारे में क्या बताया
इसके साथ ही सात फोनपे यूपीआई स्कैनर, 17 सिम कार्ड, लेन-देन के विवरण वाली तीन व्यक्तिगत डायरियां, एक अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट, सात मोबाइल फ़ोन, एक पासपोर्ट और मारुति सुजुकी ऑल्टो कार बरामद हुई. पासपोर्ट और कार की पहचान मुख्य संदिग्धों में से एक अन्वेश चंद्र के रूप में की गई. पुलिस आयुक्त दिगंत बराह ने गुवाहाटी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस रैकेट के बारे में बताया. आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 468, 420 और 406 के तहत दर्ज मामला दर्ज किया गया.
रैकेट का भंडाफोड़ कैसे हुआ
यह मामला तब सामने आया जब उज़ान बाज़ार के निवासी राहित अली ने दिसंबर 2023 में अपने दोस्त बबलू दास उर्फ हलोवा के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराई. अली ने आरोप लगाया कि दास ने अली के आधार और पैन कार्ड सहित उसके डॉक्यूमेंट्स का उपयोग करके उसे फ़ेडरल बैंक की क्रिश्चियन बस्ती शाखा में बैंक खाता खोलने के लिए राजी किया. हालांकि, खाते की पासबुक, चेक बुक और एटीएम कार्ड हासिल करने के बाद दास ने अली को बताया कि उसे अस्थायी रूप से खाते का उपयोग करने की आवश्यकता है. जब अली ने अपने बैंकिंग डॉक्यूमेंट्स वापस मांगे, तो दास ने इनकार कर दिया और खाते का उपयोग अवैध गतिविधियों के लिए किया.
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