ट्रैफिक से परेशान हैं लोग
कोविड के दौर में आपने न्यू नॉर्मल शब्द बार-बार सुना होगा. इसका मतलब आदत बन जाने से था, जैसे लोगों में मास्क लगाना और एक दूसरे से दूरी बनाना न्यू नॉर्मल बन गया था. हालांकि अब ट्रैफिक जाम को लेकर भी यही कहा जा सकता है, जो लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. ट्रैफिक में रोजाना कई घंटे बर्बाद करने के बाद भी लोग शिकायत नहीं करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यही उनका न्यू नॉर्मल है. इसीलिए आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि भारत के लोग अपनी जिंदगी के कितने दिन सिर्फ ट्रैफिक में रहकर बिता रहे हैं.
गुरुग्राम में लगा महाजाम
दरअसल दिल्ली से सटे गुरुग्राम में भी भारी बारिश के बाद सोमवार 1 सितंबर को यही नजारा दिखा, जब देखते ही देखते हजारों गाड़ियां जाम का हिस्सा बनने लगीं. हालात ये थे कि लोगों को पांच किमी की दूरी तय करने में चार से पांच घंटे लग गए. इसके जो वीडियो वायरल हुए, वो काफी परेशान करने वाले थे, क्योंकि जो लोग घर पर बैठकर ये वीडियो देख रहे थे उनकी भी ये नजारा देख सांसें फूलने लगीं.

ट्रैफिक में बीत जाते हैं जिंदगी के इतने दिन
हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्ट में बताया गया कि एक नौकरी करने वाला औसत कर्मचारी अपने दिन का 8.6 फीसदी हिस्सा सिर्फ आने और जाने में बर्बाद कर देता है. यानी वो इस दौरान सड़कों पर बस, मेट्रो, कार या फिर बाइक से यात्रा कर रहा होता है. अब अगर इसे घंटे में तब्दील करें तो काम से बाहर निकलने वाला हर शख्स एक साल में 754 घंटे सिर्फ ट्रैफिक में फंसा होता है, यानी एक साल में 68 दिन के बराबर का वक्त आप ट्रैफिक में बर्बाद कर देते हैं.

तेजी से बढ़ रही है समस्या
रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि गुरुग्राम और बेंगलुरु जैसे शहरों में ये वक्त और ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. 2024 में जहां बेंगलुरु के लोगों को 19 किमी चलने में 54 मिनट लगते थे, वहीं आज एक साल बाद ये 63 मिनट से ज्यादा हो गया है. वहीं एनसीआर की अगर बात करें तो यहां 26 किमी की दूरी तय करने में करीब 65 मिनट से ज्यादा का वक्त लग रहा है. खास बात ये है कि सोमवार वो दिन है, जब लोग ट्रैफिक की समस्या से सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं.
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