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पिटबुल का खूनी इतिहास, इंलैंड में कुत्‍तों से खेला जाता था खूनी खेल

रैटलिंग खेल में कुत्‍ते, चूहों को उनके बिल से खोदकर बाहर निकालते थे और उन्‍हें मार देते थे. अब इस खेल के लिए खूंखार, फुर्तीले और ताकतवर कुत्‍तों की जरूरत थी. ऐसे में बुलडॉग और टेरियर की हाइब्रिड ब्रीड पिटबुल को तैयार किया गया.

पिटबुल का खूनी इतिहास, इंलैंड में कुत्‍तों से खेला जाता था खूनी खेल
बुलडाग और टेरियर का हाइब्रिड है पिटबुल
  • पिटबुल कुत्ते को लगभग दो सौ साल पहले बैल और सांड से लड़ाई के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था.
  • पिटबुल की उत्पत्ति बुलडॉग और टेरियर नस्ल के क्रॉस से हुई है, जिसे रैटलिंग नामक खेल के लिए बनाया गया था.
  • चेन्नई में पिटबुल ने एक व्यक्ति पर हमला कर उसकी जान ले ली, जबकि उसने अपने मालिक पर भी हमला किया था.
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नई दिल्‍ली:

Pitbull Dog History: कुत्‍तों को इंसान का सबसे वफादार जानवर माना जाता है. कहा जाता है कि कुत्‍ते बिना किसी वजह के इंसानों पर हमला नहीं करते हैं. लेकिन अगर किसी कुत्‍ते की किसी नस्‍ल को बनाया ही गया हो लड़ाई करने के लिए, दूसरों को मारने के लिए...! जी हां, आपने सही सुना कुत्‍तों की एक नस्‍ल को लगभग 200 साल पहले तैयार किया गया था, इन कुत्‍तों का काम बैल और सांडों से लड़ाई करना होता था. ये कुत्‍ते इतने खूंखार होते हैं कि अपने से शरीर में कई गुना बड़े बैलों को भी जमीन पर गिरा देते थे. इस खेल को बुल बैटिंग कहा जाता था. इसमें खूंखार और ताकतवर कुत्ते तब तक किसी बैल को नोचते, दौड़ाते और खसोटते थे, जब तक कि वह बेहोश नहीं हो जाता था. इस खूनी खेल में जिन कुत्‍तों का इस्‍तेमाल किया जाता था, उन्‍हें 'बुल डॉग' कहा जाता है. बुल डॉग की ही क्रॉस ब्रीड है, 'पिटबुल' जिसे आज सबसे खतरनाक कुत्‍तों की श्रेणी में रखा जाता है. 

खूनी खेल के लिए ब्रीड किये गए थे पिटबुल

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पिछले दिनों एक कुत्‍ते ने 55 वर्षीय एक शख्‍स पर हमला कर दिया. कुत्‍ते ने इस शख्‍स का प्राइवेट पार्ट को काट लिया, जिससे उसकी मौत हो गई. ये पिटबुल डॉग ही था, जिसने अपने मालिक को भी नहीं बक्‍शा. पिटबुल ने जब 55 वर्षीय करुणाकरण पर हमला किया, तो उसके मालिक ने उसे रोकना चाहा, लेकिन कुत्‍ते ने उस पर भी हमला कर दिया. पिटबुल का मालिक भी इस हमले में बुरी तरह घायल हो गया. कुत्‍ते के मालिक का अस्‍पताल में इलाज चल रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि कई लोगों की जान ले चुके पिटबुल को उनकी आक्रामकता के कारण ही पसंद किया जाता है. दरअसल, पिटबुल एक खूंखार और आक्रामक नस्ल है. इसे इग्लैंड में एक बेहद आक्रामक और क्रूर खेल के लिए ब्रीड किया गया था. 

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इंलैंड में कुत्‍तों से खेला जाता था खूनी खेल बुल बेटिंग 

इंग्‍लैंड में लगभग 225 साल पहले बुल बेटिंग नाम का खूनी खेल बहुत लोकप्रिय था. इस खेल में कुछ खूंखार, आक्रामक और ताकतवर कुत्‍तों को एक बैल का शिकार करने के लिए छोड़ दिया जाता था. ये कुत्‍ते बैल पर छपट पड़ते थे और उसे नोचते और खूब दौड़ाते थे. यू कुत्‍ते तब तक इस बैल का पीछा नहीं छोड़ते थे, जब तक वह बुरी तरह घायल होकर जमीन पर नहीं गिर जाता था. इस खेल के लिए बुल डॉग का इस्‍तेामल किया जाता था. बुल डॉग का शरीर बेहद मजबूत और मांसल होता है. साथ ही ये बेहद आक्रामक होता है. बुल बेटिंग पर इंग्‍लैंड की सरकार ने 1835 में प्रतिबंधित कर दिया था. लेकिन खूनी खेल के शौकीनों ने एक नए खेल  'रैटलिंग' शुरू कर दिया, जिसके लिए पिटबुल ब्रीड को तैयार किया गया.

बुलडॉग और टेरियर का हाइब्रिड पिटबुल

रैटलिंग खेल में कुत्‍ते, चूहों को उनके बिल से खोदकर बाहर निकालते थे और उन्‍हें मार देते थे. अब इस खेल के लिए खूंखार, फुर्तीले और ताकतवर कुत्‍तों की जरूरत थी. ऐसे में बुलडॉग और टेरियर की हाइब्रिड ब्रीड पिटबुल को तैयार किया गया. इन्‍हें पिटबुल में 'पिट' शब्‍द चूहों के बिल से ही लिया गया था. हालांकि, रैटलिंग के लिए जगह तलाशना बेहद मुश्किल होता था. हर जगह चूहों के बिल नहीं होते थे. ऐसे में लोगों ने कुत्‍तों की ही फाइट करनी शुरू कर दी. इस फाइट में भी पिटबुल जैसे खूंखार कुत्‍तों का इस्‍तेमाल किया जाता था. इससे पिटबुल और आक्रामक हो गए. यही पिटबुल आज लोगों पर हमला करते हैं, तो इन्‍हें दोष दिया जाता है. लेकिन लोग ये भूल जाते हैं कि इंसानों ने इस ब्रीड को तैयार ही खूनी खेल खेलने के लिए किया था.

क्‍यों हमला करते हैं पिटबुल, क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट?


 आज भी भारत में बहुत से लोग हैं, जो पिटबुल जैसे आक्रामक कुत्‍तों को पलते हैं और उन्‍हें परिवार के सदस्‍य के रूप में अपने साथ रखते थे. फिर एकाएक पिटबुल जैसे कुत्‍ते क्‍यों इंसानों पर हमला करते हैं? इस सवाल के जवाब में कुत्‍तों के व्‍यवहार को समझने वाले जानकार करते हैं कि पिटबुल एक ऐसे कुत्ते हैं, जिन्‍हें शारीरिक व्यायाम और अन्य शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने की जरूरत होती है. लेकिन उसके मालिकों के द्वारा उसे बांध दिया जाता है, जिससे वह काफी आक्रामक हो जाते हैं. ऐसे में जब उन्‍हें छोड़ा जाता है, तो वह काफी आक्रामकता दिखाते हैं, जब उन्‍हें रोका जाता है, तो वह हमला कर देते हैं. ऐसे में पिटबुल जैसे कुत्‍ते पालने वालों पर बड़ी जिम्‍मेदारी होती है कि वे इनकी शारीरिक जरूरतों का भी ध्‍यान रखें.

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भारत में पिटबुल सहित 24 विदेशी ब्रीड के डॉग पालने पर प्रतिबंध!

पिटबुल इतना खूंखार है कि दुनिया भर के 20 से ज्‍यादों देशों में या तो इस पर प्रतिबंध लगा है या फिर इसे पालने के लिए कड़े नियम लागू हैं. भारत उन देशों में हैं, जहां इसे पालने पर कड़े नियम लगाए गए हैं. जिन देशों में पिटबुल को पालना प्रतिबंधित है, उनमें यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सिंगापुर, वेनेजुएला, पुर्तगाल, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड नार्वे और पोलैंड प्रमुख हैं. भारत में पिटबुल, अमेरिकन बुलडॉग और टेरियर सहित 24 विदेशी ब्रीड के डॉग पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, ये इंसानों के लिए खतरा साबित हो रहे थे. इनमें से किसी भी ब्रीड के डॉग को विदेशों से भारत लाने और इनकी ब्रीडिंग को भी पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. हालांकि, अभी जिन लोगों ने इन ब्रीड के डॉग पाले हुए हैं, उन्हें उनकी नसबंदी कराने के निर्देश दिये गए हैं, ताकि इनकी संख्या बढ़ने से रोका जा सके.

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