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This Article is From Jul 04, 2015

शेरों के संरक्षण के लिए गुजरात सरकार ने बनाई नई नीति से खुश नहीं पर्यावरणविद

शेरों के संरक्षण के लिए गुजरात सरकार ने बनाई नई नीति से खुश नहीं पर्यावरणविद
गिर जंगल में ली गई शेरों की फाइल फोटो
अहमदाबाद: गुजरात में गिर के जंगल और उसके आसपास के इलाके में इमारतों की मंजूरी किस तरह से होनी चाहिए, इसे लेकर गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट में एक नीतिगत दस्तावेज पेश किया है। हाईकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा ईको टूरिज्म का रखरखाव ठीक प्रकार से नहीं करने की पीआईएल भी चल रही है। इसी सिलसिले में सरकार ने यह दस्तावेज़ पेश किए हैं।

पिछले एक साल में इस पीआईएल की वजह से गिर अभ्यारण्य के आसपास के इलाके में करीब 100 इमारतों को सील कर दिया गया है, क्योंकि वे इमारतें नियमानुसार नहीं बनाई गईं और आरोप है कि इनसे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।

सरकार के नए नियमों के मुताबिक, जंगल से ईको सेंसिटिव इलाके के बाहर एक किलोमीटर के इलाके में किसी भी तरीके की इमारत बनाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। एक किलोमीटर से दो किलोमीटर तक के इलाके में सिर्फ होम-स्टे के लिए इमारतें हो सकती हैं। इन इमारतों की ऊंचाई 13.5 मीटर से ज्यादा नहीं हो पाएगी। हालांकि, इसकी भी मंजूरी वन विभाग से लेनी पड़ेगी।

इसके अलावा इस इलाके में होटल या रिसोर्ट को मंजूरी नहीं मिलेगी। केवल दो किलोमीटर से पांच किलोमीटर तक के इलाके में ही होटल या रिसोर्ट बनाए जा सकेंगे, लेकिन इसके लिए भी वन विभाग की मंजूरी लेना जरूरी होगा।

हालांकि, पर्यावरणवादी कहते हैं कि यह नीति सही नहीं है। यह महज पुरानी नीतियों को ही नए कपड़े पहनाकर पेश करने जैसा है। उनका कहना है कि पहले तो दो किलोमीटर तक के इलाके में कोई इमारत नहीं बना सकते थे और अब तो वह भी घटाकर एक किलोमीटर कर दिया है, जिससे वन्य प्राणियों को और भी दिक्कत होगी। अब राज्य के एनजीओ मिलकर हाईकोर्ट में इस नीति का विरोध करने की योजना बना रहे हैं।

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