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"खाने को कुछ नहीं, बच्चों को देख कांपता है कलेजा..." : बाढ़ के बीच कैसे कट रही गुजरात के गांवों में जिंदगी

गुजरात में तीन दिनों में बाढ़ से 15 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. अब तक 6440 लोगों को निचले इलाकों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. इस बीच NDTV ने वडोदरा में बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लिया.

"खाने को कुछ नहीं, बच्चों को देख कांपता है कलेजा..." : बाढ़ के बीच कैसे कट रही गुजरात के गांवों में जिंदगी
कई घरों में बाढ़ का पानी घुस आया है. ऐसे में लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
वडोदरा:

गुजरात के वडोदरा, गांधीनगर समेत अन्य शहरों और गांवों के कई इलाके इन दिनों पानी में डूबे हुए हैं. यहां कई गांवों में बारिश के बाद बाढ़ (Gujarat Flood) आ गई है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) के लिए सेना के जवानों को बुलाया गया है. कुछ इलाकों में 10 से 12 फीट तक पानी भरा हुआ है. लिहाजा रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना के जवानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

गांधीनगर के रिलीफ कमिश्नर आलोक पांडे ने बताया कि तीन दिनों में बाढ़ से 15 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. अब तक 6440 लोगों को निचले इलाकों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. बाढ़ में फंसे कुछ और लोगों को बचाने की कोशिश जारी है. इस बीच NDTV ने वडोदरा में बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लिया. इस दौरान हमने वहां जमीनी हालात और रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही दिक्कतों को समझने की कोशिश की.

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सुनीता नाम की महिला ने NDTV को बताया, "दो दिन से बारिश हो रही है. हम बाहर नहीं जा पा रहे हैं. ठीक से खाना भी नहीं खाया है. कोई भी हमें राहत सामग्री देने नहीं आया है." सुनीता  बताती हैं, "मेरे पिता को पैरों में दिक्कत हैं. इसलिए वो चल नहीं सकते. उन्होंने खाना भी नहीं खाया है. हम सो भी नहीं पा रहे हैं. पूरी रात यहीं बैठकर काट रहे हैं."

पिता को पीठ पर लादकर टॉयलेट कराने ले जाते हैं पति
महिला ने बताया, "मुझे घर के बाहर टॉयलेट तक पहुंचने के लिए बाढ़ के पानी से होकर जाना पड़ता है. मेरे पति टॉयलेट जाने के लिए मेरे पिता को अपनी पीठ पर लेकर जाते हैं."

पास के कई घरों में बाढ़ का पानी घुस आया है. ऐसे में लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एक घर में घुटनों तक पानी आ गया है. यहां रहने वाले जहां पानी घुटनों तक पहुंच गया था, उस घर में रहने वाली तेजल ने NDTV को बताया कि वे दिन में अपनी खाट सूखने के लिए रख देते हैं. रात में उसे पानी के ऊपर बिछा लेते हैं.

घुटने तक पानी में खड़े होकर तेजल भावुक होकर बताती हैं, "हम पूरी रात वहीं बैठे रहे. हमने कुछ भी नहीं खाया. मेरे 3 छोटे बच्चे हैं, जिन्हें मुझे अपनी मां के घर भेजना पड़ा. घर में खाने के लिए कुछ नहीं है. एक मां होने के नाते मुझे उनके लिए बहुत बुरा लग रहा है."

लॉन्ग टर्म प्लान पर हो रहा काम
स्वास्थ्य मंत्री और गुजरात सरकार के प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने कहा, "राज्य सरकार एक लॉन्ग टर्म प्लान पर विचार कर रही है. इसमें बाढ़ के पानी को विश्वामित्री नदी में छोड़ने के बजाय नर्मदा नहर में बहा दिया जाए."

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ऋषिकेश पटेल ने NDTV से कहा, "ऐसी स्थिति करीब 20 साल बाद पैदा हुई है. विश्वामित्री में अजवा, प्रतापपुरा और 3 अन्य नॉन-गेट रिजर्वियर (जलाशयों) से पानी आ जाता है. बाढ़ के लॉन्ग टर्म सॉल्युशन के लिए हम डैम के पानी को विश्वामित्री नदी में छोड़ने के बजाय उसे नर्मदा नहर में डालने पर विचार कर रहे हैं. इस योजना पर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के साथ चर्चा की गई है."

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बाढ़ में फंसे 1200 लोगों को बचाया गया
ऋषिकेश पटेल ने कहा, "वडोदरा में हालात बहुत बुरे हैं, क्योंकि नदी के दोनों तरफ कई इलाकों में अभी भी 10 से 12 फीट पानी भरा हुआ है. कुछ इलाकों में 4 से 5 फीट पानी हैं. स्थानीय प्रशासन ने 5000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया है. बाढ़ में फंसे 1200 लोगों को बचाया गया है."

खतरे के निशान को पार कर गई विश्वामित्री नदी 
इस बीच भारी बारिश और अजवा बांध से पानी छोड़े जाने के बाद विश्वामित्री नदी मंगलवार सुबह 25 फीट के खतरे के निशान को पार कर गई. सत्तारूढ़ BJP के स्थानीय नेता बाढ़ में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं. हालांकि, उनके अपने घर भी बाढ़ में डूबे हुए हैं. पटेल ने कहा, "38000 से ज्यादा फूड पैकेट बांटे गए हैं. 1 लाख फूड पैकेट भी बांटने के लिए तैयार है."

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