Lok Sabha Elections 2024: दिल्ली में 25 मई को होने वाले मतदान से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इस बार यहां चुनावी लड़ाई बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) गठजोड़ के बीच है. सन 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय था और AAP ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार राजनीतिक समीकरण बदले हुए हैं. आप कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में है. क्या यह नया राजनीतिक गठजोड़ बीजेपी (BJP) को इस बार लोकसभा चुनावों में चुनौती दे पाएगा?
दिल्ली में 2014 और 2019 में कांग्रेस के खिलाफ लोकसभा की सभी 7 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद इस बार केजरीवाल कांग्रेस उम्मीदवारों का प्रचार कर रहे हैं. दिल्ली में कांग्रेस के सभी 3 उम्मीदवारों के समर्थन में केजरीवाल का रोड शो दिल्ली की राजनीति में बदलते राजनीतिक समीकरण को दर्शाता है. लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के सामने इस बार राजनीतिक चुनौती बड़ी है.
दिल्ली में वोटों का अंकगणितसन 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में AAP को करीब 18.2% वोट मिले थे जबकि कांग्रेस 22.63 % वोट जीतने में कामयाब रही थी. दूसरी तरफ बीजेपी का वोट प्रतिशत 2014 के मुकाबले 2019 में करीब 10% बढ़कर 56.86 % तक पहुंच गया था. अगर AAP और कांग्रेस के वोट प्रतिशत को साथ जोड़कर देखा जाए तो इस गठबंधन को 2019 के चुनावों में करीब 40.83% वोट मिले थे. यानी सातों सीटों पर बीजेपी को मिले कुल वोटों से करीब 16% कम.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 7% बढ़कर 22.63% हुआ था जबकि AAP का 2014 के करीब 33% से घटकर 18.2% पर गिर गया था. भाजपा को कुल 56.86% वोट मिले थे.
एनडीटीवी ने जब दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और चंडी चौक सीट से इस बार पार्टी के उमीदवार जयप्रकाश अग्रवाल से पूछा कि इस बड़े गैप को फिल-अप करना कितना मुश्किल होगा, तो उन्होंने कहा, "इस बार राजनीतिक माहौल अलग है... मुद्दे भी अलग हैं. महंगाई काफी बढ़ गई है... 400 का सिलेंडर 1200 रुपये में मिल रहा है. युवा सरकारी नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं. उन्हें 5000-7000 की नौकरी करनी पड़ रही है. लाखों सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं. चांदनी चौक से जो बीजेपी के सांसद रहे उन्होंने पिछले 5 साल में एक भी मुद्दा चांदनी चौक से जुड़ा संसद में नहीं उठाया."
बीजेपी के निशाने पर अरविंद केजरीवालउधर बीजेपी के चुनाव अभियान में पहले निशाने पर अरविंद केजरीवाल हैं. पीतमपुरा में महिला मतदाताओं के साथ एक संवाद में चांदनी चौक सीट से बीजेपी के उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "एक मुख्यमंत्री के घर में जो चारों तरफ से सुरक्षित है वहां AAP की एक वरिष्ठ नेता, जो सांसद हैं, के साथ कोई दुर्व्यवहार होता है. उसके बाद कहा जाता है कि एक्शन होगा, लेकिन कई दिन हो गए एक्शन की बात तो दूर मुख्यमंत्री उस व्यक्ति को लेकर घूम रहे हैं हवाई जहाज में उड़ रहे हैं... यह स्पष्ट है अरविंद केजरीवाल को महिलाओं के सम्मान की कोई चिंता नहीं है. इस एक घटना से अरविंद केजरीवाल का असली चरित्र, चेहरा सामने आ गया है. वह महिलाओं का सम्मान नहीं करते."
एनडीटीवी से बातचीत में खंडेलवाल ने कहा, ''AAP-कांग्रेस बीजेपी को इस बार कोई चुनौती पेश नहीं कर पाएंगे.'' पिछली बार 2019 में हर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. इस बार अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस एक साथ हैं. ये कितनी बड़ी चुनौती है बीजेपी के लिए? येह पूछे जाने पर प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "यह कोई चुनौती नहीं है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन एक मौकापरस्त गठबंधन है... आज कांग्रेस आम आदमी पार्टी की बैसाखी पर सत्ता की लालच में खड़ी हो गई है. दोनों पर्टियों ने देश को यह बताया कि वे सत्ता की लालच में कुछ भी कर सकती हैं. दिल्ली में दोनों पार्टी एक साथ हैं लेकिन पंजाब में वह एक-दूसरे को नीचे गिराने की कोशिश करेंगी."
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का मुद्दादरअसल इस बार अरविंद केजरीवाल ने जो दस गारंटी दिल्ली वासियों को दी हैं उनमें दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देना भी शामिल है. खंडेलवाल कहते हैं, इस मसले पर AAP और कांग्रेस के स्टैंड में विरोधाभास साफ़ सामने आ गया है. हालांकि दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जयप्रकाश अग्रवाल इस आरोप को ख़ारिज करते हैं. प्रवीण खंडेलवाल ने एनडीटीवी से कहा, "कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग का विरोध किया था. अब आम आदमी पार्टी के साथ चुनाव लड़ रही है." इसके जवाब में जेपी अग्रवाल कहते हैं, "हमने अपने मेनिफेस्टो में पहले लिखा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. हमने अपने मेनिफेस्टो में जो वादा किया था उस पर कायम हैं."
इस राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच हम दिल्ली के आम मतदाताओं से बात करने पीतमपुरा के एकता कैंप झुग्गी पहुंचे. इस बार दिल्ली में कुछ मुद्दे नए हैं तो कुछ पुराने भी... दिल्ली की एक बड़ी आबादी झुग्गी झोपड़ियां में रहती है जिनका वोट बेहद अहम माना जाता है. एकता कैंप झुग्गी के चारों तरह गंदगी फैली है.
झुग्गी वासियों को नई सरकार से बड़ी उम्मीदेंयहां के झुग्गी निवासियों में नेताओं के प्रति नाराजगी है, लेकिन जून में बनने वाली नई सरकार से बड़ी उम्मीदें भी हैं. 25 सितंबर 2018 को DDA ने यह पब्लिक पार्क यहां बनाया था जो पिछले कुछ समय से कूड़े के ढेर में तब्दील हो रहा है. इसकी वजह से गंदगी इस इलाके में बढ़ती जा रही है. इस झुग्गी झोपड़ी के चारों ओर गन्दा पानी जमा है. यहां झुग्गी झोपड़ी में रह रहे आम लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं, बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और स्वच्छता अहम चुनावी मुद्दे हैं.
यहां की कुछ महिलाओं की शिकायत है कि जब इलेक्शन आता है तो वोट लेने के लिए नेता आते हैं, चुनाव के बाद कोई वादों को पूरा नहीं करता है. उनका कहना है कि दिल्ली में नई सरकार जिस किसी पार्टी की बने, जो भी सत्ता में आए उनके इलाके की साफ-सफाई पर उसे ध्यान देना होगा. साथ ही बच्चों का भविष्य बेहतर हो इसके लिए शिक्षा की बेहतर सुविधाएं होनी चाहिए. यहां बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है. बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी तो उनका भविष्य अच्छा होगा. कुछ मतदाता कहते हैं कि नई सरकार को गरीब परिवारों को पक्का मकान बनाकर देना चाहिए जिससे उनके जीवन में आधारभूत बदलाव आ सके.
जाहिर है, इस बार दिल्ली लोकसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरण भी नए हैं और आम लोगों की नए सरकार से उम्मीदें भी.
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