लोकसभा में आज महाराष्ट्र के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ है और 17वीं लोकसभा को पहली बार स्थगित कर दिया गया. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगा. इसी बीच लोकसभा में आज केंद्र सरकार की ओर से एक अहम सवाल का जवाब दिया गया है. दरअसल TRS के सांसद नामा नागेश्वर राव ने मौजूदा अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए सवाल पूछा था कि क्या सरकार इस पर कोई श्वेत पत्र ला रही है. राव ने पूछा कि कृषि और औद्योगिक कठिनाई से वापस से अर्थव्यवस्था को बाहर निकालने और नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र की मदद के लिए पिछले दो सालों में क्या कदम उठाए गए हैं. इसके बाद जो सबसे अहम सवाल था कि बीते तीन सालों में रोजगार को लेकर किए सरकारी वायदों और सरकारी, निजी क्षेत्र में दिए गए रोजगार का ब्यौरा क्या है. आखिरी सवाल पूछा कि नोटबंदी का समाज और असंगठित क्षेत्र पर क्या असर पड़ा है?
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इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने जवाब दिया कि फिलहाल अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार कोई भी श्वेतपत्र लाने नहीं जा रही है. लेकिन रोजगार कितने उपलब्ध कराए गए हैं इस पर सीधा जवाब देने के बजाए सरकार की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं सिर्फ यही बताया. उन्होंने कहा कि देश में बड़ी मात्रा में विदेश निवेश हुआ है. मुद्रा स्फीत को कम रखने में सफलता मिली है और राजकोषीय खर्चे पर नियंत्रण रखा गया है. इसके साथ ही कारपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया है. घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स 15 फीसदी कर दिया गया है. उन्होंने आरबीआई की ओर से घटाए गए रेपो रेट का जिक्र किया और कहा कि प्रधानमंत्री किसान विकास योजना में अब सभी किसानों को शामिल कर लिया गया है. जिससे ग्रामीण खपत को बढ़ावा मिलेगा. छोटे और सीमांत किसानों के लिए स्वैच्छिक अंशदान पेंशन योजना पूरे देश में लागू कर दी गई है. इसके बाद वित्त मंत्री ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों का प्रभाव हुआ जिससे रोजगार का सृजन हुआ है.
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वहीं नोटबंदी के प्रभावों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे कालेधन को निकालने, टैक्स के आधार को बढ़ाने की दृष्टि से एक अहम कदम है. देश की वृद्धि में अनेक कारक जैसे संरचनात्मक, बाहरी, राजकोषीय और मौद्रिक प्रभावी होते हैं. इसके साथ ही निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि नोटबंदी के प्रभाव को मापने के लिए कोई प्रत्यक्ष या अलग से आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
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