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This Article is From Dec 07, 2012

एफडीआई पर राज्यसभा में भी माया, मुलायम के सहारे सरकार की जीत

एफडीआई पर राज्यसभा में भी माया, मुलायम के सहारे सरकार की जीत
नई दिल्ली: देश में मल्टी-ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी सरकार के फैसले पर संसद की मुहर लग गई। राज्यसभा में इसके खिलाफ लाया गया विपक्ष का प्रस्ताव 123 के मुकाबले 102 मतों से गिर गया।

मायावती की बहुजन समाज पार्टी द्वारा साथ दिए जाने के कारण सरकार को यह प्रस्ताव उच्च सदन में गिराने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई। सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा ने मतदान से पहले ही वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉक आउट कर दिया था।

मतदान के समय मनोनीत सदस्य एवं मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर उपस्थित नहीं थे। कांग्रेस के मुरली देवड़ा और बीजद के असंतुष्ट नेता प्यारी मोहन महापात्र भी उपस्थित नहीं थे। फिल्म अभिनेत्री रेखा सहित सदन में मौजूद सभी मनोनीत सदस्यों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। मतदान पर हुई चर्चा का जवाब दते हुए मैत्रेयन ने कहा कि प्रस्ताव पर मतदान मुद्दे के गुण दोष के आधार पर नहीं, बल्कि अन्य बातों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह अल्पमत की जीत है, क्योंकि सदन में अधिकतर राजनीतिक दलों ने चर्चा के दौरान इसका विरोध किया। प्रस्ताव पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि यह कहना सरासर गलत है कि केंद्र ने एफडीआई फैसले से पहले राजनीतिक दलों और विभिन्न राज्य सरकारों से बातचीत नहीं की।

उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गई। शर्मा ने कहा कि सरकार ने बीजेपी के अध्यक्ष नितिन गडकरी तथा वाम दलों के नेताओं से भी बातचीत की थी।

भाकपा नेता डी राजा, माकपा नेता सीताराम येचुरी और ममता ने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि उनके दल इस निर्णय का समर्थन नहीं कर सकते। लेकिन बीजेपी के नेता अब कह रहे हैं कि उनसे बात नहीं की गई। यदि बीजेपी के अध्यक्ष अपनी पार्टी के सदस्यों को इस बारे में जानकारी नहीं देते हैं, तो ऐसे में सरकार कुछ नहीं कर सकती।

लोकसभा में विपक्ष का ऐसा ही प्रस्ताव बुधवार को खारिज हो गया था। लोकसभा में सपा और बसपा ने प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लेकर सरकार की मुश्किलें खत्म कर दी थीं। उच्च सदन में दो दिन तक इस प्रस्ताव पर चली चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि यह निर्णय सरकार ने पूरी तरह से राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए किया है तथा इससे देश को निश्चित रूप से फायदा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार द्वारा आईटी क्षेत्र को खोले जाने के निर्णय सहित सरकार के पूर्व के कई फैसलों को लेकर देश में भारी विरोध हुआ था, लेकिन बाद में वे फैसले राष्ट्र के लिए फायदेमंद साबित हुए। प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन ने कहा कि सरकार के आश्वासन के बावजूद इस फैसले पर विभिन्न पक्षों के साथ कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष अगली बार सरकार में आया, तो इस निर्णय को बदल दिया जाएगा।

इससे पहले इस मुद्दे पर गरमागरम बहस हुई और विपक्ष के हंगामे के चलते सदन को ढाई बजे तक स्थगित कर दिया गया था। इससे पहले, सरकार ने मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई को मंजूरी देने के निर्णय से पहले आम सहमति बनाने का प्रयास नहीं करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अधिकतर दलों के नेताओं और मुख्यमंत्रियों से इस संबंध में बातचीत की गई थी और 11 राज्यों ने इस क्षेत्र में एफडीआई की नीति का समर्थन किया है।

शर्मा ने कहा कि विपक्ष दावा कर रहा है कि इस निर्णय से किसानों पर विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फैसला करने से पहले कृषि क्षेत्र के विभिन्न संगठनों से भी बातचीत की थी। इनमें भारतीय किसान यूनियन, भारतीय कृषक समाज, शेतकारी संगठन जैसे कृषि संगठन शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इन कृषि संगठनों ने एफडीआई के बारे में सरकार को लिख कर अपनी सहमति दी है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्यों के मुख्य सचिवों को इस बारे में लिखा था और 21 राज्यों ने अपनी प्रतिक्रिया भेजी है। उन्होंने कहा कि 11 राज्यों ने सरकार से कहा है कि वह अपने यहां बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि इसमें सीमावर्ती राज्य और राजस्थान जैसे बड़े कृषि प्रदेश भी शामिल हैं, इसलिए यह कहना सही नहीं है कि केवल छोटे-छोटे राज्य ही इस फैसले के समर्थन में सामने आए हैं। उन्होंने इस मामले में विपक्ष पर अनावश्यक भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने यह नहीं कहा है कि एफडीआई निवेश करने वालों को 30 प्रतिशत से अधिक की खरीद स्थानीय स्तर पर नहीं करनी है। उन्होंने कहा कि 30 प्रतिशत की सीमा न्यूनतम है, अधिकतम नहीं।

शर्मा ने कहा कि भारत पहला ऐसा देश है जिसने इस मामले में न्यूनतम सीमा तय की है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा देश में आने वाले निवेश का 50 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में लगाया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। राज्यसभा में प्रश्नकाल को स्थगित कर मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर बहस को जारी रखा गया।

मायावती की बहुजन समाज पार्टी द्वारा वोटिंग के दौरान सरकार को अपने 15 सांसदों का समर्थन देने का ऐलान किए जाने के बाद सरकार की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन जीत का अंतर कम  न रहे, इसलिए सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि एफडीआई का समर्थन करने वाला प्रत्येक सांसद वोटिंग के वक्त सदन में मौजूद रहे।

बताया जाता है कि इसी क्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जो राज्यसभा में सदन के नेता भी हैं, ने 10 मनोनीत सदस्यों में से कई को फोन किया। मनोनीत सदस्यों में से एक सचिन तेंदुलकर सदन में मौजूद नहीं थे, क्योंकि वह कोलकाता में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेल रहे हैं।

मायावती ने कहा था कि केंद्र केन्द्र सरकार द्वारा लाई जा रही एफडीआई में यह प्रावधान है कि इसे किसी राज्य पर थोपा नहीं जाएगा, इसलिए हमारी पार्टी ने फैसला किया कि हम इस मुद्दे पर सरकार के पक्ष में मतदान करें।

(इनपुट एजेंसियों से भी)

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