कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन की सप्लाई और ऑडिट को लेकर बने नेशनल टॉस्क फोर्स की रिपोर्ट दो हफ्तों में पेश करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. SC ने केंद्र को टास्क फोर्स के सुझावों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों पर NTF रिपोर्ट और कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अदालत ने कहा, चूंकि नेशनल टॉस्क फोर्स में वरिष्ठ डॉक्टर और विशेषज्ञ हैं इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि सिफारिशों को नीति स्तर पर लागू किया जाए.अब कोविड पर स्वत: संज्ञान मामले के साथ ही होगी सुनवाई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो दोनों मामलों को एक साथ ही सुनेगा.केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऑक्सीजन सप्लाई और ऑडिट पर नेशनल टास्क फोर्स की फाइनल रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई है. सभी राज्यों से कहा गया है कि वे अपने-अपने राज्यों में ऑक्सीजन ऑडिट कराने के लिए अपना टास्क फोर्स बनाएं. दिल्ली की ऑक्सीजन आवश्यकता का मूल्यांकन करने के लिए उपसमूह की अंतरिम रिपोर्ट जून में प्रस्तुत की गई थी.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, चूंकि एनटीएफ में वरिष्ठ डॉक्टर और विशेषज्ञ होते हैं, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगा कि सिफारिशों को नीति स्तर पर विधिवत लागू किया जाए. इस मामले की सुनवाई अब कोविड की तैयारियों पर स्वत: संज्ञान लेने के मामले के साथ होगी NTF रिपोर्ट और केंद्र की कार्रवाई रिपोर्ट की कॉपी भी एमिकस क्यूरी और सभी राज्य के वकीलों को 2 सप्ताह के भीतर देने को कहा गया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स अपनी रिपोर्ट दाखिल कर चुकी हैं.
दरअसल 5 मई को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजधानी में ऑक्सीजन की कमी के बारे में आप सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार को दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखने का निर्देश दिया था.साथ ही ऑक्सीजन की खपत को लेकर एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में ऑडिट के लिए एक उप कमेटी गठित की थी.समिति ने दिल्ली के चार अस्पतालों ने कुछ बेड होने के बावजूद ऑक्सीजन की अधिक खपत का दावा किया. दिल्ली के अस्पतालों द्वारा पैनल को दिए गए आंकड़ों में विसंगतियां पाई गईं.
सिंघल अस्पताल, अरुणा आसिफ अली अस्पताल, ESIC मॉडल अस्पताल और लाइफरे अस्पताल में कुछ बेड थे और उनका डेटा गलत था. इससे दिल्ली में ऑक्सीजन का अतिरंजित दावा हुआ. - दिल्ली सरकार के आंकड़े कहते हैं कि 29 अप्रैल से 10 मई तक खपत 350MT से अधिक नहीं थी.260 अस्पतालों को समिति द्वारा डेटा देने के लिए प्रोफार्मा भेजा गया और 183 ने जवाब दिया, इसमें 10916 गैर-आईसीयू बेड, और 4162 आईसीयू बेड थे.
उधर, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित ऑक्सीजन ऑडिट के लिए बनाये गए उप-समूह में 5 में से 2 सदस्य अलग बात कह रहे हैं, जो रिपोर्ट में ही संलग्न है. दिल्ली के प्रिंसिपल सेक्रेट्री (होम) भूपेंद्र सिंह भल्ला ने लिखा है कि अप्रैल के आखिर में बेड ऑक्युपेंसी के आधार पर दिल्ली की ऑक्सीजन की जरूरत 625 MT थी, और मई के पहले हफ़्ते में 700 MT थी.उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में जोड़ा जाए कि दिल्ली सरकार का ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट का फार्मूला आईसीएमआर गाइडलाइंस के आधार पर है.
जबकि इस समिति के दूसरे सदस्य मैक्स हॉस्पिटल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप बुद्धिराजा ने लिखा है. 214 अस्पतालों की ऑक्सीजन की खपत के आधार पर पाया गया कि 490 MT रोज़ाना की खपत थी जबकि इसके अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफिलिंग और गैर-कोरोना ज़रूरत वाली ऑक्सीजन ज़रूरत का डेटा शामिल नही था.
दिल्ली में ऑक्सीजन को लेकर उप समिति ने कई अहम सिफारिशें सौंपी थी. इसमें कहा गया था कि दिल्ली को सुनिश्चित आधार पर 300 मीट्रिक टन स्टॉक उपलब्ध कराया जाए.दिल्ली को 100 मीट्रिक टन का अतिरिक्त कोटा भी उपलब्ध कराया जाए ताकि दिल्ली इसे शाम 4 बजे तक उठा सके.
दिल्ली किसी भी आपातस्थिति के लिए 50-100 मीट्रिक टन का बफर स्टॉक रखे. मामले कम होने के दौरान अस्पतालों में PSA संयंत्र स्थापित किए जाएं.ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की उपलब्धता में वृद्धि हो.दिल्ली की औसत दैनिक आवश्यकता लगभग 400 मीट्रिक टन है.दिल्ली के लिए फिक्स कोटा हो और बची हुई ऑक्सीजन अन्य राज्यों को दिया जाना चाहिएदिल्ली की वर्तमान आवश्यकता 290 से 400 एमटी के बीच है.
वहीं देश भर में ऑक्सीजन प्रबंधन के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त नेशनल टास्क फोर्स ने रिपोर्ट दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि भविष्य में कोरोना की लहरों का मुकाबला करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की तर्ज पर ऑक्सीजन रिजर्व बनाने की रणनीति बनाई जाए. NTF ने कहा है कि देश के लिए 2-3 सप्ताह की खपत को कवर करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों के लिए की गई व्यवस्था के समान ऑक्सीजन का रणनीतिक भंडार होना चाहिए. इसी तरह, सभी अस्पतालों में आपात स्थिति के लिए बफर क्षमता होनी चाहिए.
नेशनल टास्क फोर्स ने देश भर में ऑक्सीजन की जरूरतों को निर्धारित करने के लिए फॉर्मूला सुझाया. 100 बेड वाले अस्पताल के लिए 25 फीसदी आईसीयू बेड के लिए आवश्यक 1.5 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन का फार्मूला हो. राज्य इसी फार्मूले के आधार पर अगले 24 घंटों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मांग के लिए केंद्र से मदद मांगे. रिपोर्ट के अनुसार, अगली महामारी के लिए ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है और सरकार को संबंधित उद्योगों को समर्थन और सब्सिडी देनी चाहिए.
सभी राज्यों में शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार ऑक्सीजन ऑडिट पैनल होने चाहिए. ऑक्सीजन के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए अस्पतालों का ऑडिट जरूरी है.ऑक्सीजन उत्पादन परिवहन द्वारा 24 घंटे के भीतर पहुंचाया जाए. आपात स्थिति से निपटने के लिए राज्य और जिला भंडारण के साथ ऑक्सीजन के लिए स्टोरेज हब होना चाहिए.
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