
- केंद्र सरकार ने लद्दाख के मामलों पर लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से बातचीत के खुला रुख अपनाया
- फिलहाल लेह एपेक्स बॉडी ने लद्दाख में सामान्य स्थिति बहाल होने तक समिति से बातचीत न करने का फैसला किया है
- 24 सितंबर को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में चार लोग मारे गए और कई घायल हुए, जिससे लद्दाख में तनाव बढ़ गया था
केंद्र सरकार ने लद्दाख के मामलों पर एपेक्स बॉडी लेह (एबीएल) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ किसी भी समय बातचीत के लिए हमेशा खुला रुख अपनाया है. हम लद्दाख पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) या किसी अन्य मंच के माध्यम से एबीएल और केडीए के साथ चर्चा का स्वागत करना जारी रखेंगे. गृह मंत्रालय की ओर से यह बयान जारी किया गया है. गृह मंत्रालय ने साथ ही कहा कि सरकार को विश्वास है कि लद्दाख के लोगों के साथ निरंतर बातचीत से निकट भविष्य में वांछित नतीजे समाने आएंगे.
लेह एपेक्स बॉडी कब करेगी बात
लेह एपेक्स बॉडी' (एलएबी)ने घोषणा की कि वह लद्दाख में सामान्य स्थिति बहाल होने और सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनने तक गृह मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ बातचीत नहीं करेगा. ‘लेह एपेक्स बॉडी' के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग ने यह घोषणा हिंसा के चौथे पीड़ित एक पूर्व सैन्य सैनिक का कर्फ्यूग्रस्त लेह में कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार किए जाने के तुरंत बाद की. अधिकारियों ने बताया कि गत बुधवार को लगाए गए कर्फ्यू में सोमवार शाम चार बजे पूरे शहर में दो घंटे की ढील दी गई. उनके मुताबिक इस दौरान कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है.
गृह मंत्रालय और सरकार से किया ये अनुरोध
पूर्व सांसद छेवांग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम सर्वसम्मति से इस बात पर सहमत हुए हैं कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर जब तक लद्दाख में शांति बहाल नहीं हो जाती, हम किसी भी वार्ता में भाग नहीं लेंगे.'' उन्होंने कहा, ‘‘हम गृह मंत्रालय, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और प्रशासन से आग्रह करेंगे कि वे वहां व्याप्त भय, शोक और गुस्से के माहौल को दूर करने के लिए कदम उठाएं.'' राज्य का दर्जा और लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर केंद्र के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए ‘लेह एपेक्स बॉडी' (एलएबी) द्वारा आहूत बंद के दौरान 24 सितंबर को व्यापक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए.
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अगली बातचीत 6 अक्टूबर को प्रस्तावित
प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पों में चार लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए, जबकि दंगों में कथित संलिप्तता के आरोप में 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया. आंदोलन का मुख्य चेहरा, कार्यकर्ता वांगचुक को भी कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया. केंद्र ने चार महीने तक वार्ता बंद रहने के बाद 20 सितंबर को एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) को आमंत्रित किया था, जो केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. केंद्र के साथ अगले दौर की बातचीत छह अक्टूबर को प्रस्तावित है.
छेवांग ने कहा, ‘‘70 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद, केंद्र ने (अगस्त 2019 में) बिना विधायिका के लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया, लेकिन यह हमारी उम्मीदों और न्याय के अनुरूप नहीं था.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने महसूस किया कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के तहत हमें प्रदान की गई सुरक्षा व्यवस्था लोकतंत्र के साथ-साथ क्षीण हो गई है, जिससे हमें अपने वास्तविक अधिकारों के लिए एक नया आंदोलन शुरू करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ''
लद्दाख में डर का माहौल
‘लेह एपेक्स बॉडी' अध्यक्ष के मुताबिक, केंद्र सरकार ने शुरू में उन्हें सुरक्षा उपायों के बारे में आश्वासन दिया था और उनकी चार मांगों - संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों का विस्तार, राज्य का दर्जा, अलग कैडर, नौकरी में आरक्षण और लोक सेवा आयोग, तथा अलग लोकसभा सीटें - पर पांच साल तक बातचीत की प्रक्रिया जारी रही. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हमारा संघर्ष शांतिपूर्ण तरीके से जारी था, लेकिन 24 सितंबर को जो हुआ वह समझ से परे था. अत्यधिक बल का प्रयोग किया, जिससे हमारे लोग मारे गए और घायल हुए तथा लद्दाख के लोगों में भय, शोक और आक्रोश का माहौल पैदा हो गया.''
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं