नूतन को उनके सशक्त अभिनय के लिए 5 बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
नई दिल्ली:
आज यानी 4 जून को अपने जमाने की मशहूर और खूबसूरत अदाकारा नूतन (nutan birthday) का जन्मदिवस है. नूतन का जन्म 4 जून, 1936 को मुंबई में हुआ था. गूगल ने अपने डूडल (Doodle) में नूतन के चार रेखाचित्रों को जगह देकर इस महान अभिनेत्री के 81वें जन्मदिन को यादगार बना दिया है.
गूगल ने अपने इंडिया पेज पर अभिनेत्री नूतन के खुशी, दुखद और नाटकीय रंगों को पेश किया है. जब आप इस पर माउस क्लिक करेंगे तो गूगल (google) आपको नूतन से जुड़े तमाम लिंक्स पर ले जाएगा, जहां आप उनके विकिपीडिया से लेकर उनसे संबंधित ख़बरें और तस्वीरों को भी देख सकते हो.
4 दशक तक किया राज
नूतन अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री शोभना समर्थ और निर्माता-निर्देशक कुमार सेन समर्थ की बड़ी बेटी थीं. नूतन ने फिल्मी दुनिया पर करीब चार दशक तक राज किया. इस दौरान उन्होंने 70 से अधिक फिल्मों में काम किया. उन्हें हिंदी सिनेमा के इतिहास में बेहतरीन महिला कलाकारों में से एक के रूप में माना जाता है.
फिल्मों में अभिनय की शुरूआत उन्होंने अपने स्कूल के समय से ही कर दी थी. नौ साल की उम्र में पिता कुमार सेन ने अपनी फिल्म ‘नल दमयंती’ में नूतन को बतौर बाल कलाकार पेश किया था. उनकी मां शोभना समर्थ ने 1950 में नूतन को फिल्म ‘हमारी बेटी’ में बतौर हीरोइन पेश किया.
नूतन की प्रमुख फिल्मों में बंदिनी, कन्हैया, छलिया, अनाड़ी, पेइंग गेस्ट, मैं तुलसी तेरे आंगन की, बारिश, मंजिल, तेरे घर के सामने, कर्मा और सौदागर शामिल हैं.
वर्ष 1958 में आई फिल्म 'दिल्ली का ठग' में नूतन ने स्विमिंग सूट पहनकर और फिल्म 'बारिश' में काफी बोल्ड सीन देकर उन्होंने सबको चौका दिया. उस जमाने में उनकी काफी आलोचना भी हुई. नूतन की बहन तनूजा ने भी हिंदी फिल्मों में एक अलग ही मुकाम हासिल किया. नूतन ने अपने जमाने में सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर 'मिस इंडिया' का भी खिताब जीता था.
नूतन को बेहतरीन आदकारी के लिए 5 बार फिल्मफेयर अवार्ड मिला. इनमें उनकी सीमा (1956), सुजाता (1959), बंदनी (1963), मिलन (1967) और मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978) फिल्में शामिल हैं. 1974 में भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया.
उन्होंने छोटे पर्द भी काम किया. उन्होंने दूरदर्शन के 'मुजरिम हाजिर हो' नामक धारावाहिक में भी दमदार भूमिका अदा की. इसमें उनके साथ उत्पल दत्त, राजीव वर्मा, रीता भादुड़ी जैसे कलाकारों भी थे.
1959 में नूतन का विवाह नेवी कंमाडर रजनीश बहल के साथ हुआ. मोहनीश बहल उन्हीं के बेटे हैं. 1989 में कैंसर ने नूतन को जकड़ लिया. 21 फरवरी, 1991 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
गूगल ने अपने इंडिया पेज पर अभिनेत्री नूतन के खुशी, दुखद और नाटकीय रंगों को पेश किया है. जब आप इस पर माउस क्लिक करेंगे तो गूगल (google) आपको नूतन से जुड़े तमाम लिंक्स पर ले जाएगा, जहां आप उनके विकिपीडिया से लेकर उनसे संबंधित ख़बरें और तस्वीरों को भी देख सकते हो.
4 दशक तक किया राज
नूतन अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री शोभना समर्थ और निर्माता-निर्देशक कुमार सेन समर्थ की बड़ी बेटी थीं. नूतन ने फिल्मी दुनिया पर करीब चार दशक तक राज किया. इस दौरान उन्होंने 70 से अधिक फिल्मों में काम किया. उन्हें हिंदी सिनेमा के इतिहास में बेहतरीन महिला कलाकारों में से एक के रूप में माना जाता है.
फिल्मों में अभिनय की शुरूआत उन्होंने अपने स्कूल के समय से ही कर दी थी. नौ साल की उम्र में पिता कुमार सेन ने अपनी फिल्म ‘नल दमयंती’ में नूतन को बतौर बाल कलाकार पेश किया था. उनकी मां शोभना समर्थ ने 1950 में नूतन को फिल्म ‘हमारी बेटी’ में बतौर हीरोइन पेश किया.
नूतन की प्रमुख फिल्मों में बंदिनी, कन्हैया, छलिया, अनाड़ी, पेइंग गेस्ट, मैं तुलसी तेरे आंगन की, बारिश, मंजिल, तेरे घर के सामने, कर्मा और सौदागर शामिल हैं.
वर्ष 1958 में आई फिल्म 'दिल्ली का ठग' में नूतन ने स्विमिंग सूट पहनकर और फिल्म 'बारिश' में काफी बोल्ड सीन देकर उन्होंने सबको चौका दिया. उस जमाने में उनकी काफी आलोचना भी हुई. नूतन की बहन तनूजा ने भी हिंदी फिल्मों में एक अलग ही मुकाम हासिल किया. नूतन ने अपने जमाने में सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर 'मिस इंडिया' का भी खिताब जीता था.
नूतन को बेहतरीन आदकारी के लिए 5 बार फिल्मफेयर अवार्ड मिला. इनमें उनकी सीमा (1956), सुजाता (1959), बंदनी (1963), मिलन (1967) और मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978) फिल्में शामिल हैं. 1974 में भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया.
उन्होंने छोटे पर्द भी काम किया. उन्होंने दूरदर्शन के 'मुजरिम हाजिर हो' नामक धारावाहिक में भी दमदार भूमिका अदा की. इसमें उनके साथ उत्पल दत्त, राजीव वर्मा, रीता भादुड़ी जैसे कलाकारों भी थे.
1959 में नूतन का विवाह नेवी कंमाडर रजनीश बहल के साथ हुआ. मोहनीश बहल उन्हीं के बेटे हैं. 1989 में कैंसर ने नूतन को जकड़ लिया. 21 फरवरी, 1991 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
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